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विशेष संपादकीय

ये कोरोना नहीं है जनाब.. जे-एन-वन वायरस है… 

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मोहन द्विवेदी

कोरोना वायरस के कुछ मामले जरूर आ रहे हैं, लेकिन यह कोई ‘लहर’ नहीं है। महामारी की सुनामी नहीं है। जो भयानक मंजर हम देख और झेल चुके हैं, एकदम उसकी वापसी भी नहीं है। वायरस की एक नई नस्ल भारत में भी है जे-एन-वन। यह बीए-2-86 या पिरोला का ही एक और प्रकार है, जो ओमिक्रॉन वायरस के ही प्रकार हैं। उन्हीं की कतार में जेएन-1 है। आज इसके संक्रमण का विस्तार 40 देशों में बताया जा रहा है।

हमारे देश में गुरुवार, 21 दिसंबर तक कुल 2669 संक्रमित मामले दर्ज किए जा चुके हैं। उनमें से 2300 से अधिक अकेले केरल में हैं। अभी तक सिर्फ 6 मौतें भी दर्ज की गई हैं, जिनमें से 3 केरल में हुई हैं। बाकी महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब में दर्ज की गई हैं।

पिछले दौर में भारत संक्रमण के हजारों मामले रोजाना देख चुका है। कुछ बड़े अस्पतालों में संक्रमित मरीजों की सांसें ऑक्सीजन की कमी के कारण टूटी थीं। वैसे मंजर की संभावनाएं नहीं हैं, क्योंकि वायरस की यह नस्ल उतनी घातक नहीं है।

हम अपने पाठकों को आश्वस्त कर सकते हैं कि लॉकडाउन के आसार नगण्य हैं। एक-दूसरे राज्य में आने-जाने पर अभी कोई पाबंदी नहीं है। मास्क पहनना भी अनिवार्य नहीं किया गया है। अलबत्ता इतना आग्रह जरूर किया जा रहा है कि यदि आप भीड़ वाले इलाके में जाएं, तो मास्क पहन लें। यदि आपकी उम्र 60 साल से अधिक है और आप हृदय, लिवर, गुर्दे, मधुमेह आदि बीमारियों के पुराने मरीज हैं, तो भी मास्क पहन कर भीड़-भाड़ वाले बाजार या क्षेत्र में जाएं।

कोरोना वायरस को लेकर हम अब कोई ढील नहीं बरत सकते, लिहाजा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और संघशासित क्षेत्रों को परामर्श भेजा है कि अस्पतालों में पूरी तैयारियां रखें। ऑक्सीजन सिलेंडर भरे हों। आईसीयू की व्यवस्था चाक-चौबंद हो और मॉक ड्रिल करके देख लें कि तमाम बंदोबस्त हो गए हैं अथवा नहीं।

इन परामर्शों से आप चिंतित न हों और दहशत के कोई भी आसार भी न हों। लेकिन इनसे साबित होता है कि कोरोना वायरस अब भी जिंदा है, वायरस कभी नहीं मरते, उनकी नस्लें संक्रमण फैलाती रहती हैं। अमरीका जैसा विकसित देश भी कोरोना-मुक्त नहीं हो पाया, यह वायरस के अस्तित्व के कारण ही है।

वैसे सबसे पहले अगस्त, 2023 में यह वायरस लक्समबर्ग में पाया गया। उसके बाद इंग्लैंड, आइसलैंड, फ्रांस और अमरीका में इसके मामले दर्ज किए गए। इन देशों में जीनोम निगरानी काफी सक्रिय है, लेकिन अन्य वायरस की तुलना में जेएन-1 अप्रभावी है।

चिकित्सकों की सलाह है कि जिनमें इम्युनिटी कम है या दबी हुई है, ऐसे बुजुर्ग लोग मास्क से अपना बचाव कर सकते हैं। सांस से संबंधी सभी वायरस, कोरोना समेत, के लिए अच्छी किस्म के मास्क काफी बचाव कर सकते हैं, लेकिन दहशत का कोई कारण नहीं है। सचेत जरूर रहें।

ऑमिक्रॉन की जितनी भी नस्लें हैं, वे डेल्टा की तरह संक्रामक नहीं हैं। वे ज्यादा लोगों को संक्रमित कर सकती हैं, लेकिन उनसे मौतें बहुत कम होंगी। चिकित्सक यह भी मानते हैं कि जिन्होंने कोरोना के टीके की दोनों खुराक ली हैं, वे मौजूदा वायरस से भी व्यक्ति का बचाव कर सकती हैं। वे आज भी प्रभावी हैं। सर्दी का मौसम गहराने लगा है। आगे क्रिसमस त्योहार और नववर्ष के समारोह भी हैं। जाहिर है कि उनमें भीड़ जरूर आएगी, लिहाजा उसका बचाव जरूर करें। कहीं ऐसा न हो कि आनंद के उत्सव आपको बीमार ही कर दें।

बेशक कोरोना की कोई ‘लहर’ नहीं है और न ही वायरस घातक है, लेकिन अगले कुछ दिन तक संक्रमण के आंकड़े आपके सामने जरूर आते रहेंगे। उनसे घबराना नहीं है। यह वायरस का सार्वजनिक प्रभाव है। यदि आपको थोड़ा-सा भी बुखार होता है, तो कोरोना के दौर वाला व्यवहार ही करें। खुद को दूसरों से अलग और दूरी पर रखें। बेहतर होगा कि आप मास्क पहनें।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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