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राजनीति

विपक्षियों के लिए आसान नहीं है यूपी की डगर, भाजपा इसलिए तो हो रही है खुश..

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति बनाने में सभी दल जुटे हैं। इस रणनीति के केंद्र में यूपी है जहां लोकसभा की सबसे अधिक सीटें हैं। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष दोनों के केंद्र में उत्तर प्रदेश है। 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश से काफी कुछ तय होगा। इस प्रदेश में जो बाजी मारेगा 2024 की राह उसकी आसान होगी। पटना में विपक्षी दलों की बैठक होती है जिसमें बीजेपी को सत्ता से हटाने की रणनीति तैयार होती है। फिलहाल इस राज्य के अंकगणित पर गौर किया जाए तो यहां विपक्षी दलों की राह आसान नहीं है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां से रिकॉर्ड सीटें मिली हैं। 2014 में 71 और पांच साल बाद 62 सीटें बीजेपी को मिलती हैं। वह भी तब जब बीएसपी और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़े। विपक्ष की बैठक पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सवाल खड़े कर दिए। इसका मतलब है कि विपक्षी दलों की चुनौती इस राज्य में और अधिक होगी। यूपी जैसे राज्य में अब सपा और कांग्रेस के बीच ही गठबंधन की गुंजाइश है। इसको लेकर भी सवाल है। यदि गठबंधन होता भी है तो विपक्ष की राह यहां आसान नहीं रहने वाली। ऐसा क्यों इसके लिए वोट शेयर के इस गणित को समझना जरूरी है।

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पटना में जो विपक्षी दल शामिल हुए उसमें समाजवादी पार्टी (SP) को 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 फीसदी से थोड़े अधिक वोट मिले। यह तब जब उसका बीएसपी के साथ गठबंधन था। कांग्रेस अकेले लड़ी और उसे 6.36 प्रतिशत वोट मिले। इस बैठक में जयंत चौधरी जो शामिल नहीं थे उनकी पार्टी आरएलएडी का वोट शेयर 1.68 प्रतिशत था। जनता दल (यूनाइटेड) को सिर्फ 0.01 प्रतिशत वोट मिले। पिछले लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव अलग लड़े थे और तब उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को 0.3% वोट मिले।

बसपा को 2019 के चुनाव में 19.42 प्रतिशत वोट मिले। इस बार चुनाव में बीएसपी अलग राह पर है। यदि बीएसपी के वोट शेयर को हटा दिया जो तो इन सभी दलों को मिलाकर वोट शेयर 26.46 है। जो बीजेपी गठबंधन को मिले 51.18 फीसदी वोटों का करीब आधा है। यह कहानी है 2019 की यदि बात की जाए 2014 के चुनाव की तो एसपी, बीएसपी और आरएलडी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और उनका संयुक्त वोट शेयर 42.98% था। इसकी तुलना में अकेले बीजेपी को यूपी में 42.63% वोट मिले।

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ये तो रही बात वोट शेयर की लेकिन इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसका सीधा फायदा लाभार्थियों को मिल रहा है। बीजेपी अपनी सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं जैसे फ्री राशन, फ्री आवास, शौचालय, 5 लाख तक हेल्थ बीमा, एलपीजी कनेक्शन, स्मार्टफोन वितरण से इस वर्ग के लाभार्थियों से समर्थन की उम्मीद कर रही है। यूपी में ऐसी विभिन्न योजनाओं के लगभग 11 करोड़ लाभार्थी हैं। इनमें बड़ी संख्या में मुस्लिम, जाटव दलित और यादव हैं।

हालांकि इनसे पार्टी को बहुत ज्यादा समर्थन की उम्मीद नहीं है। बीजेपी की ओर से अनुमान लगाया गया है सभी लाभार्थियों में से कम से कम एक करोड़ 2024 में भाजपा को वोट देंगे। यदि पसमांदा मुसलमान पार्टी का समर्थन करते हैं तो यह संख्या बढ़ सकती है। इन योजनाओं से उन्हें लाभ हुआ है और बीजेपी ने निकाय चुनाव में भी पसमांदा समुदाय के कई लोगों को टिकट दिया था। अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ यूपी में बीजेपी का गठबंधन है। बीजेपी को गठबंधन से गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के बीच अपना समर्थन मजबूत होने की उम्मीद है।

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Author: samachardarpan24

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