आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
चुनावी मौसम है। लोकसभा चुनाव में 8-9 महीने का वक्त बचा है तो एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में बमुश्किल 4 महीने बचे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को राजस्थान में थे। सीकर की रैली में उन्होंने गारंटी के तौर पर अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया। एक दिन पहले दिल्ली के प्रगति मैदान में कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन के मौके पर आत्मविश्वास से भरे पीएम मोदी ने चुनाव से पहले ही अपने तीसरे टर्म की मुनादी कर दी। उन्होंने कहा कि तीसरे टर्म में देश की इकॉनमी टॉप-3 में होगी, ये मोदी की गारंटी है। अपने चुनाव घोषणा पत्र को संकल्प पत्र का नाम देने वाली बीजेपी भी अब गारंटी-गारंटी खेल रही है। गारंटी पॉलिटिक्स की शुरुआत आम आदमी पार्टी ने की। फिर कांग्रेस ने इसे अपनाया और अब तो प्रधानमंत्री मोदी भी गारंटी गिनाने लगे हैं। तो क्या बीजेपी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लोकलुभावन वादों से डर गई है, जो गारंटी गिनाने लगी है।
पीएम मोदी की गारंटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले बुधवार को दिल्ली के प्रगति मैदान में कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन के बाद अपने तीसरे कार्यकाल की भविष्यवाणी कर दी। उन्होंने कहा कि जब 2014 में वह पहली बार प्रधानमंत्री बने तो दुनिया की बड़ी इकॉनमी के मामले में भारत 10वें नंबर पर था। दूसरे कार्यकाल में हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी हैं और तीसरे टर्म में भारत टॉप 3 इकॉनमी में होगा, ये मोदी की गारंटी है। इस तरह प्रधानमंत्री ने पूरे विश्वास के साथ 2024 में फिर मोदी सरकार की भविष्यवाणी कर दी। वैसे भी आजकल उनकी 5 साल पहले की एक भविष्यवाणी बहुत चर्चित है जब 2018 में अपनी सरकार के खिलाफ लाए अविश्वास प्रस्ताव पर उन्होंने कहा था कि विपक्ष 2023 में भी उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगा।
गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के सीकर में अपनी सरकार की उपलब्धियों की बखान करते हुए गारंटियों की फेहरिस्त गिना दी। पक्का घर बनाने की गारंटी। करोड़ों गरीबों को मुफ्त राशन की गारंटी। कोरोना महामारी के दौर में मुफ्त वैक्सीन की गारंटी। करोड़ों लोगों को अस्पताल में 5 लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज की गारंटी….। पीएम मोदी ने कहा कि इन गारंटियों को बीजेपी सरकार ने ही पूरा किया।
AAP ने शुरू की ‘गारंटी पॉलिटिक्स’
दिल्ली में मुफ्त-बिजली पानी के वादे की अभूतपूर्व सफलता से उत्साहित आम आदमी पार्टी चीफ अरविंद केजरीवाल ने दूसरे राज्यों में पार्टी के विस्तार के लिए दिल्ली मॉडल की गारंटी का दांव चला। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने पंजाबवालों को 10 गारंटियां दी थीं, जिन्हें सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी सरकार पूरी करती। इनमें मुफ्त बिजली, तीर्थ यात्रा, मोहल्ला क्लीनिक, 18 साल की उम्र से ऊपर की हर महिला को प्रति महीने 1000 रुपये देने जैसी गारंटियां शामिल थीं। आम आदमी पार्टी ने इसी तरह उत्तराखंड, यूपी, गुजरात, हिमाचल और कर्नाटक चुनाव के लिए भी ‘गारंटी कार्ड’ जारी किया था। हालांकि, पंजाब को छोड़कर बाकी राज्यों में उसे कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाई। पंजाब में उसने जबरदस्त जीत हासिल की। गुजरात में भी खाता खोलने में कामयाब रही। इससे उत्साहित AAP ने दिल्ली एमसीडी चुनाव में भी 10 गारंटियां दी थी।
AAP के बाद कांग्रेस ने भी अपनाया ‘गारंटी कार्ड’
आम आदमी पार्टी के बाद ‘गारंटी कार्ड’ वाली पॉलिटिक्स को कांग्रेस ने भी अपना लिया। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उसने 5 गारंटियों का वादा किया- गृह ज्योति (199 यूनिट तक मुफ्त बिजली), गृह लक्ष्मी (परिवार की महिला मुखिया को हर महीने 2000 रुपये), अन्न भाग्य (गरीब परिवारों के प्रत्येक सदस्य को हर महीने 10 किलो मुफ्त चावल), युवा निधि (18-25 आयु वर्ग के ग्रैजुएट बेरोजगार युवाओं को हर महीने 3 हजार रुपये, डिप्लोमाधारक को 1500 रुपये) और शक्ति (महिलाओं को सार्वजनिक बसों में मुफ्त यात्रा)। चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त जीत हुई और बीजेपी का इकलौता दक्षिणी किला ध्वस्त हो गया। इसका बहुत बड़ा श्रेय इन 5 गारंटियों को जाता है। इसी तरह हिमाचल चुनाव के लिए कांग्रेस ने 10 गारंटियों का वादा किया था। वहां भी पार्टी बीजेपी की सरकार उखाड़ने में कामयाब रही।
डर गई है बीजेपी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक दलों को लोकलुभावन वादों के लिए घेरते रहे हैं। मुफ्त की रेवड़ियों को खतरनाक करार देते हुए वह कह चुके हैं कि रेवड़ी कल्चर वर्तमान के साथ भविष्य को भी बर्बाद कर देगा। लेकिन अब खुद पीएम मोदी ही ‘गारंटी पॉलिटिक्स’ में उतर गए हैं। क्या विपक्ष की एकजुटता को देखते हुए बीजेपी 2024 चुनाव को लेकर डर गई है? वैसे पीएम मोदी ने सीकर में जिन गारंटियों का जिक्र किया, वो वादे नहीं, बल्कि उनकी सरकार की उपलब्धियां हैं। हां, तीसरे टर्म में टॉप 3 इकॉनमी बनाना जरूर एक वादा है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी या कांग्रेस चुनावी राज्यों में जो ‘गारंटी कार्ड’ देती हैं वो वादे हैं। वो वादे जो उनकी सरकार बनने पर वो ‘हर हाल में पूरा’ करेंगे। विपक्ष जिस तरह I.N.D.I.A. के बैनर तले एकजुट हुआ है, उससे बीजेपी की बेचैनी साफ समझी जा सकती है। इसीलिए नरेंद्र मोदी ने जब एनडीए के 39 दलों के नेताओं को संबोधित किया तो 50 प्रतिशत वोटशेयर का लक्ष्य रखा। चुनाव के दौरान लोकलुभावन वादों की कामयाबी से बीजेपी पर भी ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ बांटने या उनका वादा करने के लिए मजबूर किया है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."