उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के आउटसोर्स कर्मचारियों ने सोमवार रात 12 बजे से 72 घंटे की कार्य बहिष्कार हड़ताल शुरू कर दी है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में वेतन भेदभाव की समाप्ति और नियुक्तियों में पारदर्शिता शामिल है।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही, जिससे कई जिलों में बिजली आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर यह हड़ताल की जा रही है, जिसमें संविदा कर्मी से लेकर तकनीकी और अभियंता तक शामिल हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि 2017 में जारी आदेश का उल्लंघन हो रहा है। आदेश के अनुसार ग्रामीण विद्युत उपकेंद्रों पर 20 और शहरी उपकेंद्रों पर 36 कर्मचारियों की तैनाती होनी थी। लेकिन वर्तमान में केवल 12.5 और 18.5 कर्मचारियों की तैनाती की जा रही है।
पावर कॉरपोरेशन तकनीकी और जोखिम भरे कार्य आउटसोर्स कर्मचारियों से करवा रहा है। साथ ही 55 साल से अधिक उम्र का हवाला देकर कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा रहा है। कर्मचारियों की अन्य मांगों में ईपीएफ घोटाले की जांच और घायल कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा शामिल है।
15 मई को किया था सत्याग्रह संगठन ने 15 मई को शक्ति भवन लखनऊ पर सत्याग्रह किया था। लेकिन मांगों का समाधान न होने पर हड़ताल का निर्णय लिया गया। हड़ताल के दौरान जिले में विद्युत फॉल्ट की जिम्मेदारी सीडीओ सरकारी कर्मचारियों को दी गई है। इस हड़ताल का सीधा असर विद्युत उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
हड़ताली कर्मियों की प्रमुख मांगों में पुरानी पेंशन योजना की बहाली, निजीकरण का विरोध, तथा ठेका प्रणाली को समाप्त करना शामिल है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्यवाही नहीं होती, हड़ताल जारी रहेगी।
इस हड़ताल के चलते लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी सहित कई जिलों में बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी के इस मौसम में बिजली गुल होने से आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार ने हड़ताल को ‘अवैध और जनविरोधी’ करार दिया है। ऊर्जा मंत्री ने चेतावनी दी है कि आवश्यक सेवाओं में बाधा डालने वाले कर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था के तहत तकनीकी स्टाफ की तैनाती की जा रही है।
राज्य सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच बातचीत की कोशिशें अभी तक विफल रही हैं। फिलहाल हड़ताल का कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है, जिससे आम जनता की चिंता और बढ़ गई है।