2025 की गर्मी अब तक की सबसे भयानक साबित हो रही है। उत्तर प्रदेश का बांदा जिला 46.6°C के साथ देश में सबसे गर्म रहा। यह स्थिति न केवल मौसम का बदलाव दर्शाती है, बल्कि एक गहरे जलवायु संकट की चेतावनी भी है। जानें कैसे प्रभावित हो रही है कृषि, अर्थव्यवस्था और जनजीवन।
संतोष कुमार सोनी के साथ सुशील मिश्रा की रिपोर्ट
बांदा। उत्तर भारत की सड़कों पर दोपहर का समय अब किसी इम्तिहान से कम नहीं। जब तापमान 45 डिग्री के पार चला जाता है, तब सिर पर बंधा दुपट्टा और चेहरा ढकती रुमाल केवल कपड़ा नहीं रह जाता—वो बन जाता है एक ज़रूरी सुरक्षा कवच।
इस साल 2025 की शुरुआत से ही तापमान असामान्य ऊंचाइयों पर पहुंच चुका है। बांदा, झांसी, हमीरपुर, प्रयागराज जैसे ज़िलों में 45°C से ऊपर तापमान दर्ज हुआ है। मौसम विभाग का कहना है कि हीटवेव की ये लहर सामान्य से तेज़ और लंबी है।
गर्मी का असर हर तबके पर पड़ा है—स्कूल से लौटते बच्चे, दफ्तर जा रहे कर्मचारी, निर्माण कार्य में लगे मज़दूर या खेतों की ओर जाती महिलाएं—हर कोई छांव की तलाश में खुद को कपड़ों में लपेटे नजर आ रहा है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों से आईं ये तस्वीरें न केवल मौसमी बदलाव की गवाही देती हैं, बल्कि जलवायु संकट के मानवीय असर को भी उजागर करती हैं। स्कूल यूनिफॉर्म में लड़कियां, सिर ढके युवक—सब इस तपती दोपहर से बचने की जद्दोजहद में हैं।
धरती का तापमान हर साल नई ऊंचाइयों को छू रहा है, लेकिन 2025 एक अभूतपूर्व चेतावनी लेकर आया है। जनवरी से अप्रैल तक के आंकड़े साफ संकेत दे रहे हैं कि यह साल अब तक का सबसे गर्म साल बन सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इसके 99% से अधिक संभावनाएं हैं।
इस गंभीर स्थिति का सबसे अधिक असर भारत के घनी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश पर पड़ा है। विशेष रूप से, बांदा जिला बीते तीन दिनों में दो बार देश का सबसे गर्म जिला बन चुका है, जहां तापमान 46.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
तापमान के अन्य आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं
झांसी: 44.7°C, उरई: 44.2°C, हमीरपुर: 43.2°C, प्रयागराज: 42°C
विशेषज्ञों के अनुसार, राजस्थान के मरुस्थल से उठ रही गर्म हवाएं उत्तर प्रदेश के पथरीले इलाके से टकराकर और गर्म हो रही हैं, जिससे इन क्षेत्रों में भीषण गर्मी देखने को मिल रही है।
वैश्विक संकट की तस्वीर
अमेरिका की NOAA और यूरोपीय Copernicus एजेंसी की रिपोर्ट बताती है कि जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच वैश्विक तापमान औसतन 1.28°C बढ़ चुका है — जो पिछले 175 वर्षों में सबसे अधिक है। इसके कारण:
1. महासागरों का तापमान सामान्य से 0.8°C ज्यादा।
2. समुद्री जीव-जंतु संकट में।
3. ग्रीनहाउस गैसें रिकॉर्ड स्तर पर।
उत्तर प्रदेश: जलवायु परिवर्तन की मार सबसे गहरी
- उत्तर भारत का मैदानी इलाका, विशेषकर उत्तर प्रदेश, जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में गिना जाता है।
- अप्रैल में ही कई जिलों का तापमान 44°C के पार।
- हीटवेव ने लखनऊ, प्रयागराज, झांसी, बांदा और बलरामपुर जैसे जिलों को प्रभावित किया।
- बेमौसम बारिश और आंधी ने फसलों को नुकसान पहुंचाया।
- गंगा और यमुना के जलस्तर में गिरावट से पेयजल संकट की स्थिति बनी।
अर्थव्यवस्था और कृषि पर संकट
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, लेकिन बदलता मौसम किसानों के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
- धान की बुआई में देरी की आशंका।
- गन्ने की पैदावार में गिरावट।
- सिंचाई की लागत में इज़ाफा।
- मजदूरों की उत्पादकता 30% तक घटी।
- निर्माण और सड़क कार्यों में ठहराव।
हीटवेव के चलते दोपहर में कामकाज बंद करना पड़ रहा है, जिससे विकास परियोजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं।
बिजली की मांग में भारी इज़ाफा
- गर्मी के कारण बिजली की मांग में 20% तक वृद्धि हुई है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में लोडशेडिंग, जिससे स्कूल, अस्पताल और उद्योग प्रभावित।
- शहरी क्षेत्रों में AC और कूलर पर निर्भरता से ऊर्जा संकट और गहराया।
2025 की गर्मी सिर्फ मौसम की कहानी नहीं, बल्कि एक गंभीर जलवायु संकट की दस्तक है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां जनसंख्या घनी, संसाधन सीमित और अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है — वहां यह संकट जीविका के लिए खतरा बनता जा रहा है।
अब वक्त है कि सरकार, समाज और विज्ञान मिलकर ऐसी योजनाएं बनाएं, जो न केवल इस भीषण गर्मी से निपटने में मदद करें, बल्कि भविष्य को भी सुरक्षित बनाएं।