मानिकपुर में चटर बाबू की तलैया पर भू-माफियाओं ने अवैध कब्जा कर मकान बना लिया। अदालत के आदेश और सरकारी योजनाओं के बावजूद प्रशासन मौन। जानिए पूरा मामला।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट, मानिकपुर। जल संरक्षण को लेकर सरकार जहां एक ओर रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसी योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये योजनाएं कागजों तक ही सीमित रह गई हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला मानिकपुर नगर पंचायत के गाटा संख्या 465, रकबा दो बीघा 16 विश्वा में स्थित चटर बाबू (परितोष चटर्जी) की तलैया को लेकर सामने आया है, जिस पर दबंग भू-माफियाओं ने अवैध रूप से कब्जा कर मकान निर्माण करा लिया है।
अदालत के आदेश के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई
इस सार्वजनिक संपत्ति पर कब्जे को लेकर माननीय न्यायालय तहसीलदार द्वारा धारा 67 के तहत अवैध कब्जाधारियों को बेदखली का आदेश भी जारी किया गया था। इसके अतिरिक्त कब्जा धारकों को पूर्व में नोटिस भी भेजी गई थी। बावजूद इसके अब तक ना तो कोई प्रभावी प्रशासनिक कार्रवाई हुई और ना ही नगर पंचायत द्वारा कोई ठोस कदम उठाया गया।
तालाब को खत्म करने पर तुले दबंग भू-माफिया
जानकारी के अनुसार, जिन लोगों ने इस तलैया पर अवैध रूप से कब्जा कर निर्माण कार्य कराया है, उनमें प्रमुख रूप से रामकुमार तिवारी, घनश्याम गुप्ता, संगम साहू, सदाशिव साहू, किशोरी अग्रवाल, बच्चा अग्रवाल, डॉक्टर रामस्वरूप सिंह, अनिल जायसवाल, मुन्ना जायसवाल, संतोष सोनी, बच्चीलाल सोनी और छेदी साहू सहित अन्य दबंग भू-माफिया शामिल हैं। ये सभी मिलकर इस ऐतिहासिक जलस्रोत को मिटा देने पर आमादा हैं।
सरकारी योजनाओं की उड़ रही धज्जियाँ
सरकार द्वारा भूगर्भ जल स्तर को सुधारने के लिए जलाशयों की खुदाई, तालाबों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण जैसे कई जनकल्याणकारी प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली और उदासीनता के चलते ये योजनाएं धरातल पर पूरी तरह विफल साबित हो रही हैं। कुछ स्थानों पर केवल नाममात्र की खुदाई कर कागजों में कार्य पूर्ण दिखाया गया है और धनराशि की बंदरबांट की गई है।
सर्वोच्च न्यायालय और सरकार के निर्देशों की अनदेखी
यह भी गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तालाबों पर अवैध कब्जा हटाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं और उत्तर प्रदेश सरकार की “भूमि मुक्त अभियान” भी इस दिशा में सख्त कार्रवाई के लिए चल रही है। इसके बावजूद स्थानीय तहसील और नगर पंचायत प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
सवाल उठता है: क्या जिला प्रशासन करेगा हस्तक्षेप?
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में कितना सजग होता है। क्या चटर बाबू की तलैया को दबंगों से मुक्त करवा कर एक उदाहरण पेश किया जाएगा? या फिर भू-माफियाओं की मनमानी ऐसे ही चलती रहेगी? यह एक बड़ा सवाल बनकर उभरा है।