रामपुर से सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सेना को धार्मिक चश्मे से देखने, शिमला समझौते के अपमान और ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी को लेकर सरकार की आलोचना की। जानें पूरी खबर।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
रामपुर, उत्तर प्रदेश । रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा पर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा के कुछ नेता सेना को धार्मिक नजरिए से देखते हैं, जो न केवल संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है।
तीसरे देश के दबाव में हुआ सीजफायर: शिमला समझौते का अपमान
नदवी ने जंगबंदी और सीजफायर के निर्णय को लेकर कहा कि हालांकि इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन यह निर्णय किसी तीसरे देश के दबाव में लिया गया प्रतीत होता है। उनके अनुसार, यह सीधे तौर पर 1972 के शिमला समझौते का अपमान है, जिसमें भारत और पाकिस्तान ने आपसी मुद्दों को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाने का संकल्प लिया था।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से सख्त कार्रवाई की मांग
प्रेस वार्ता के दौरान सांसद ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अपील की कि जो नेता सेना और सुप्रीम कोर्ट का अपमान कर रहे हैं, उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाए। साथ ही, उन्होंने उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की भी मांग की। नदवी ने यह भी कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्ता में रहते हुए कुछ नेता संवैधानिक संस्थाओं को कमतर आंकने का प्रयास कर रहे हैं।
ऑपरेशन सिंदूर और जम्मू-कश्मीर के हालात पर सवाल
सांसद नदवी ने भाजपा के एक वरिष्ठ नेता पर ऑपरेशन सिंदूर के अपमान का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह सैन्य अभियान देश की सुरक्षा और सम्मान का प्रतीक था, और इसकी आलोचना करना वीर जवानों के बलिदान का अपमान है। इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में सर्वाधिक आतंकी हमले भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही हुए हैं, जो सुरक्षा नीति पर पुनर्विचार की आवश्यकता दर्शाता है।
विपक्ष की मांग: विशेष सत्र और जेपीसी गठन
नदवी ने विपक्ष और इंडिया एलायंस की ओर से उठाई गई मांग का समर्थन करते हुए कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जंग और सुरक्षा संबंधी मामलों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाए। उनके अनुसार, मीडिया में इस पर बहस की बजाय, बंद कमरे में गंभीर विचार-विमर्श होना चाहिए।
सांसद मोहिबुल्लाह नदवी के बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अब देखना यह होगा कि भाजपा और सरकार इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और विपक्ष की मांगों पर क्या कदम उठाए जाते हैं।