google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
आज का मुद्दा

सीजफायर या समर्पण? पीएम मोदी पर विपक्ष की जुबानी जंग तेज़

सीमा पर सन्नाटा, संसद में कोहराम: रणनीति बनाम राजनीति: सीजफायर पर विपक्ष का हमला कितना जायज़?

IMG-20250425-WA1620
IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
Green Modern Medical Facebook Post_20250505_080306_0000
64 पाठकों ने अब तक पढा

हाल ही में भारत और पड़ोसी देश के बीच हुए सीमित संघर्ष के बाद घोषित सीजफायर ने देश में राजनीतिक हलकों में गर्म बहस को जन्म दिया है। खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विपक्ष द्वारा कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस, टीएमसी, और अन्य विपक्षी दलों ने पीएम मोदी पर आरोप लगाए कि उन्होंने कड़ा रुख न दिखाकर ‘कायरता’ का परिचय दिया। इन बयानों ने न केवल संसद में बल्कि सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है।

➡️मोहन द्विवेदी

{इस लेख में हम तथ्यों, रणनीतिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक दृष्टिकोणों का विश्लेषण करेंगे कि क्या विपक्ष का यह रवैया तर्कसंगत है या केवल राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से प्रेरित है।}

सीजफायर: क्या, क्यों और कैसे

सीजफायर शब्द का अर्थ है अस्थायी रूप से युद्धविराम। यह तब किया जाता है जब दोनों पक्षों को लगता है कि संघर्ष से अधिक नुकसान हो रहा है और बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। हाल ही में भारत और पाकिस्तान (या चीन, यदि वह प्रासंगिक हो) के बीच सीमा पर हुई झड़पों के बाद सीजफायर की घोषणा हुई। इसका उद्देश्य सीमा पर शांति बनाए रखना और आम नागरिकों के जीवन को सुरक्षित करना था।

क्या यह निर्णय सरकार की कमजोरी दर्शाता है?

सीजफायर कोई नई प्रक्रिया नहीं है। भारत में अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सिंह और यहां तक कि इंदिरा गांधी के शासन में भी सीजफायर हुए हैं। इसका उद्देश्य युद्ध से बचकर कूटनीतिक हल निकालना होता है।

हालांकि, विपक्ष द्वारा पीएम मोदी को ‘कायर’ कहने की आलोचना यह प्रश्न उठाती है कि क्या राजनीतिक असहमति अब व्यक्तिगत अपमान तक पहुंच गई है?

विपक्ष की आलोचना: तर्क या राजनीति?

विपक्ष का तर्क है कि भारत को कड़ा रुख अपनाना चाहिए था, और बार-बार होने वाले संघर्षविराम उल्लंघन का जवाब सीधा और आक्रामक होना चाहिए। विपक्ष के कुछ नेता दावा कर रहे हैं कि जब ‘56 इंच की छाती’ की बात की गई थी, तो अब पीछे हटना राष्ट्र के सम्मान के खिलाफ है।

लेकिन क्या ये बयान रणनीतिक दृष्टिकोण से तर्कसंगत हैं?

1. सेना की प्राथमिकता शांति : भारतीय सेना की कई रणनीतिक रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि सीमाओं पर शांति बनाए रखना सैनिकों और नागरिकों दोनों के लिए लाभकारी होता है।

2. अंतरराष्ट्रीय दबाव : किसी भी सैन्य प्रतिक्रिया के समय भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान देना होता है। अमेरिका, रूस, और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं युद्ध से बचने की सलाह देती हैं।

3. चुनावी राजनीति का प्रभाव : विपक्षी दल, खासकर जो आगामी चुनावों में सरकार को घेरने की तैयारी में हैं, इस मौके को भावनात्मक रूप से भुना रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति और सामरिक दृष्टिकोण

पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल में कई बार यह स्पष्ट किया है कि भारत ‘शांति में विश्वास करता है लेकिन यदि चुनौती दी जाए तो जवाब देना भी जानता है।’

2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक इसका प्रमाण हैं। ऐसे में यह कहना कि मोदी सरकार कायरता दिखा रही है, कई विशेषज्ञों की दृष्टि में असंगत है।

सीजफायर के पीछे रणनीति

  • सीमावर्ती क्षेत्रों में ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
  • डिप्लोमैटिक चैनलों को खुला रखना
  • आंतरिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना (जैसे कश्मीर में आतंक विरोधी ऑपरेशन)
  • वैश्विक मंचों पर भारत की छवि को संतुलित रखना

राजनीतिक मर्यादा बनाम कटु आलोचना

भारतीय लोकतंत्र की विशेषता है कि सरकार की आलोचना की जा सकती है, लेकिन उस आलोचना में शिष्टता और तथ्यों का पालन अनिवार्य होता है।

प्रधानमंत्री को ‘कायर’ कहना केवल राजनीतिक असहमति नहीं, बल्कि संवैधानिक पद की गरिमा पर भी प्रश्नचिन्ह है।

इस तरह के बयान न केवल राजनीतिक बहस को निम्न स्तर पर ले जाते हैं, बल्कि राष्ट्रहित से ध्यान भटकाते हैं। यदि विपक्ष को सरकार के फैसलों पर आपत्ति है, तो उन्हें तथ्यों और रणनीतिक विकल्पों के आधार पर अपनी बात रखनी चाहिए, न कि व्यक्तिगत हमलों से।

सोशल मीडिया और जनमानस की भूमिका

सीजफायर और उसके बाद की बयानबाजी को लेकर सोशल मीडिया पर दो धाराएं बन चुकी हैं। एक धारा सरकार के कदम को परिपक्वता बता रही है, जबकि दूसरी इसे कमजोरी। कई पूर्व सैन्य अधिकारियों और कूटनीतिक विशेषज्ञों ने भी विपक्ष की भाषा की आलोचना की है।

ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्मों पर #ModiCoward और #PeaceForIndia जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जो बताता है कि यह विषय अब केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि जन भावनाओं से भी जुड़ गया है।

तटस्थ विश्लेषण की आवश्यकता

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना एक स्वस्थ प्रक्रिया है, लेकिन जब वह आलोचना तथ्यों की बजाय भावनाओं और व्यक्तिगत आरोपों पर आधारित हो जाती है, तो लोकतंत्र की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।

प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों से असहमति हो सकती है, लेकिन उन्हें ‘कायर’ कहना न केवल असंवैधानिक भाषा का प्रयोग है, बल्कि यह राष्ट्रीय हित के मुद्दों को राजनीतिक रंग देने का प्रयास भी है।

सीजफायर कोई कायरता नहीं, बल्कि सामरिक विवेक का परिचायक हो सकता है—जिसका उद्देश्य युद्ध नहीं, शांति है।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close