चित्रकूट में मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय के प्रधान सहायक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप। सपा नेता ने सजातीय कर्मी को लाभ पहुंचाने और फर्जी प्रमोशन दिलाने का लगाया आरोप, जांच की मांग।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। सरकार द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त शासन के तमाम दावों के बावजूद जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर दिखाई देती है। जनपद चित्रकूट के विकास भवन में भ्रष्टाचार की एक और परत खुलती नजर आ रही है, जहां मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) कार्यालय में तैनात प्रधान सहायक रामानुज त्रिपाठी पर सरकारी नियमों की खुलेआम अनदेखी कर सजातीय कर्मी को लाभ पहुंचाने के गंभीर आरोप लगे हैं।
सपा नेता ने शासन को लिखा पत्र, जांच की मांग की
समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमृतलाल गुप्ता ने इस मामले को लेकर आयुक्त ग्राम्य विकास सहित मुख्य विकास अधिकारी को पत्र भेजते हुए प्रधान सहायक के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने पत्र में बताया कि वर्ष 2022 में प्रधान सहायक रामानुज त्रिपाठी ने सजातीय कर्मी अम्बरीष त्रिपाठी, जो तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी थे, की प्रतिकूल प्रविष्टियों को नजरअंदाज कर उन्हें पदोन्नति दिलाने के लिए भ्रामक सूचना भेजी थी।
फर्जी प्रविष्टियों के आधार पर मिली पदोन्नति
जानकारी के अनुसार, अम्बरीष त्रिपाठी की वर्ष 2009-10, 2011-12 और 2012-13 की प्रविष्टियाँ प्रतिकूल थीं, जिन्हें जिला विकास अधिकारी कार्यालय ने पहले ही दर्ज किया था। लेकिन प्रधान सहायक रामानुज त्रिपाठी ने कार्यालय पत्रांक संख्या 937, दिनांक 22/08/2019 के माध्यम से इन प्रविष्टियों को “उत्तम” व “उत्कृष्ट” में बदलकर ब्राड शीट में दर्शाया और पदोन्नति के लिए आयुक्त कार्यालय को गलत सूचना भेज दी। इसके एवज में कथित रूप से मोटी रकम की वसूली की गई।
स्थानांतरण के बावजूद पद पर कायम
सूत्रों की मानें तो रामानुज त्रिपाठी का स्थानांतरण भी हो गया था, लेकिन पैसे और राजनीतिक रसूख के चलते वह अब तक चित्रकूट जिले में ही पद पर बने हुए हैं। यह प्रशासनिक लापरवाही और नियमों की धज्जियों का स्पष्ट प्रमाण है।
अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई, उठ रहे सवाल
सबसे अहम बात यह है कि सपा नेता द्वारा लगातार शिकायतों और पत्राचार के बावजूद अभी तक शासन या प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है बल्कि शासन की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।
अब देखना यह होगा कि क्या जिला प्रशासन इस गंभीर प्रकरण को संज्ञान में लेकर निष्पक्ष जांच कराएगा, या फिर भ्रष्टाचार का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?