सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
रामपुर में समाजवादी पार्टी का चुनाव प्रचार उठ ही नहीं पा रहा और इसकी वजह हैं आजम खान। उन्होंने अभी तक सपा प्रत्याशी मोहिबुल्लाह नदवी को अपना समर्थन घोषित नहीं किया है।
सियासी नजरिए से बात करें तो कभी मौलाना अबुल कलाम आजाद और आजम खान को संसद भेजने वाला रामपुर इस चुनाव में खामोश नजर आ रहा है। यहां के सियासी फिजाओं में एक अजीब सा सन्नाटा पसरा है।
कोई कह रहा कि ये रमजान में रोजे की खामोशी है, तो कोई कहता है आजम खान के चुनाव से दूर होने की मायूसी है। रामपुर में चुनाव प्रचार भी इतनी खामोशी से चल रहा है कि कई लोगों को मालूम ही नहीं कि यहां 19 अप्रैल को वोटिंग होने वाली है। लेकिन इन खामोशियों के बीच भी धीरे-धीरे चुनाव अपनी रफ्तार पकड़ रहा है।
सपा ने मोहिबुल्लाह नदवी को रामपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है, तो बीजेपी ने एक बार फिर घनश्याम सिंह लोधी पर अपना दांव लगाया है।
बसपा ने जीशान खां को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया है। हर बार आजम खान की मौजूदगी रामपुर में चुनाव को खास बनाने के लिए काफी हुआ करती थी। आजम खान बोलते रामपुर में थे, लेकिन चर्चा देशभर में होती थी। क्योंकि उनके कटाक्ष और लतीफे उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को अंदर तक भेदते थे।
आजम खान की पसंद नहीं थे सपा प्रत्याशी मोहिबुल्लाह नदवी
रामपुर के लोग इस बार समझ ही नहीं पा रहे है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो आजम खान ने यहां से अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारा। क्या यह उनका कोई सियासी दांव है या फिर सचमुच अखिलेश यादव ने रामपुर में उन्हें पठखनी दे दी है। यानी मुरादाबाद में आजम खान ने अखिलेश को झुका दिया, तो अखिलेश ने उसका बदला रामपुर में आजम खान के घर में ही निकाल लिया।
रामपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मोहिबुल्लाह नदवी कतई आजम खान की पसंद नहीं थे। वह अखिलेश यादव की एक दूसरी मुस्लिम लॉबी के पसंद थे, जो मुरादाबाद मंडल के प्रत्याशी तय कर रही थी।
Author: कार्यकारी संपादक, समाचार दर्पण 24
हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं