चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
रामपुर। एक बेहद चौंकाने वाली और विवादास्पद घटना सामने आई है, जिसमें एक मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) द्वारा एक मुस्लिम महिला प्रिंसिपल के प्रति की गई आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी ने समाज में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। यह घटना एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान घटित हुई, जिसमें सीएमओ ने महिला प्रिंसिपल के साथ अनुचित व्यवहार किया, जिसके परिणामस्वरूप प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया, और इस विवाद ने और भी गंभीर रूप ले लिया है।
यह घटना तब शुरू हुई जब सीएमओ ने कथित तौर पर महिला प्रिंसिपल से कहा, “आप बहुत सुंदर हैं; मुझे शेरनी बिस्तर पर चाहिए।” इस अत्यंत अपमानजनक टिप्पणी ने प्रिंसिपल को न केवल गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि उनका आत्मसम्मान भी ठेस पहुँची।
इसके बाद, प्रिंसिपल ने साहस दिखाते हुए सीएमओ का सामना किया और उनसे पूछा, “क्या आपको लगता है कि मैं बंदूक लेकर आती हूँ?” इस पर सीएमओ ने व्यंग्यात्मक रूप से जवाब दिया, “कौन सी बंदूक? किसकी बंदूक?”
प्रिंसिपल ने इस असभ्य और अवमाननापूर्ण व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाई और कहा कि उनका यह व्यवहार अत्यधिक अनुचित है, खासकर उनकी स्थिति और पद को देखते हुए। उन्होंने यह भी बताया कि वह लाइसेंसधारी हैं। इस पर सीएमओ ने और भी अपमानजनक टिप्पणी करते हुए कहा, “मुस्लिम औरतें कब से लाइसेंस रखने लगीं? मुस्लिम औरतें तो लेबर पेन के लिए होती हैं, आपको लाइसेंस रखने का अधिकार कब से मिल गया?”
CMO साहब ने मुस्लिम प्रिंसिपल से कहा — " आप बहुत सुंदर हो मुझे शेरनी बिस्तर पर चाहिए "
जवाब में शिक्षिका ने कहा — कोई सी 🔫 लेकर आऊँ मेरे पास लाइसेंस है 🔫 का
CMO का जवाब – मुस्लिम औरतें कब से लाइसेंस रखने लगी , मुस्लिम औरते लेबर पेन लेने के लिए होती हैं
बाकी आप वीडियो देखें pic.twitter.com/nwAKiv3vlx
— Uved Muazzam 🇮🇳 (@mohd_uved) August 29, 2024
यह घटना यहीं समाप्त नहीं हुई। प्रिंसिपल द्वारा की गई शिकायत के बाद, अपेक्षा के विपरीत, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
बीएसए कार्यालय ने प्रिंसिपल को एक नोटिस जारी किया और अंततः उन्हें निलंबित कर दिया गया। बीएसए ने अपने निर्णय में कहा कि प्रिंसिपल ने सीएमओ के साथ इस प्रकार के विवाद में उलझकर अपने पद की गरिमा को ठेस पहुँचाई है।
इस निर्णय से पूरे क्षेत्र में गहरा आक्रोश उत्पन्न हो गया है। कई लोगों ने इस निर्णय की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है और इसे महिलाओं, विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं, के खिलाफ पूर्वाग्रह और सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण माना है।
जब इस मामले के संबंध में रामपुर के सीएमओ, एस.पी. सिंह से पूछा गया, तो उन्होंने इस पर कोई स्पष्ट उत्तर देने से इनकार कर दिया और साक्षात्कार बंद करने की धमकी दी, जिससे जनता में और भी अधिक संदेह और गुस्सा फैल गया।
इस घटना के बाद, प्रिंसिपल के निलंबन के खिलाफ स्थानीय समुदाय में व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ग्रामीणों ने जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) के कार्यालयों के बाहर इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया और प्रिंसिपल के निलंबन को तुरंत वापस लेने की मांग की है। एक ग्रामीण ने कहा, “हमारी मैडम के साथ जो हुआ, वह बिल्कुल गलत था। उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया; वह केवल अपने सम्मान और आत्मरक्षा के लिए खड़ी हुई थीं।”
जैसे-जैसे यह विवाद बढ़ता जा रहा है, यह देखना बाकी है कि इस मामले में प्रिंसिपल को न्याय मिलेगा या नहीं। इस घटना ने महिलाओं, विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं, के साथ होने वाले व्यवहार और सत्ता के पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा शक्ति के दुरुपयोग के मुद्दों पर गहरी चिंता पैदा की है। जनता इस संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामले को कैसे निपटाया जाएगा, इस पर करीब से नजर बनाए हुए है, और न्याय की आशा कर रही है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."