ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
पूजा की कहानी एक चेतावनी है— कि जब रिश्ते सौदे बन जाएं… तब भरोसा भी खून हो जाता है।”
“24 जून 2025 की शाम, उत्तर प्रदेश के झांसी जिले का कुम्हरिया गांव…
एक ऐसा गांव जहां हर शाम रोज़ की तरह ढलती थी, लेकिन उस दिन… शाम ढली थी एक खौफनाक राज़ के साथ।
एक दरवाज़ा था जो बाहर से बंद था… और अंदर वो सन्नाटा था जिसने एक परिवार को हमेशा के लिए तोड़ दिया।”
झांसी की शांत गलियों में उठा सनसनी का तूफान
24 जून 2025 की शाम झांसी के कुम्हरिया गांव में अजय नामक बुजुर्ग जब ग्वालियर से लौटे, तो उन्होंने अपने घर का दरवाज़ा बाहर से बंद पाया। उन्हें लगा कि पत्नी सुशीला शायद पड़ोस में होंगी, लेकिन जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, उनका संसार उजड़ गया।
घर के अंदर अलमारी खुली हुई थी, गहने और नगदी गायब थे, और बेड पर उनकी पत्नी सुशीला की लाश पड़ी थी—मुंह में कपड़ा ठूंसा हुआ और गला घोंटा गया था।
जैसे ही अजय की चीख सुनकर आस-पड़ोस के लोग जमा हुए, उन्होंने बताया कि उन्होंने एक महिला और एक पुरुष को घर में घुसते देखा था। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई और अजय ने शक अपनी बड़ी बहू रागिनी और उसके भाई पर जताया।
जांच की उलझन और संदेह की दिशा बदली
रागिनी, जो आठ महीने से अपने मायके में थी, खुद अपने भाई के साथ थाने पहुंची और खुद को निर्दोष बताया। पुलिस को न तो कोई ठोस सुराग मिला और न ही इलाके में कोई सीसीटीवी कैमरा था।
जैसे-जैसे पुलिस मामले की तह में जाने लगी, वैसे-वैसे केस और उलझता गया। इसी दौरान एक सवाल खड़ा हुआ—छोटी बहू पूजा जाटव अपनी सास की हत्या की खबर सुनकर भी क्यों नहीं लौटी?
ग्वालियर से आई सच्चाई, जो रोंगटे खड़े कर दें
पुलिस की टीम ग्वालियर पहुंची और पूजा को हिरासत में लिया गया। शुरू में उसने खुद को बेकसूर बताया, लेकिन सख्ती के बाद वह टूट गई। उसने स्वीकार किया कि सास सुशीला की हत्या उसकी बहन कमला और उसके बॉयफ्रेंड अनिल ने की—पूजा की साजिश के तहत।
मकसद था: जमीन का बंटवारा, जिसमें सुशीला रोड़ा बन रही थीं।
लेकिन यह तो शुरुआत भर थी…
जैसे-जैसे पुलिस ने पूजा का इतिहास खंगाला, उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि सामने आने लगी:
लगभग 11 साल पहले उसकी शादी मध्य प्रदेश के ओरछा निवासी रमेश से हुई थी।
घरेलू विवाद के चलते उसने रमेश पर जानलेवा हमला करवाया, लेकिन रमेश बच गया और पूजा पर केस दर्ज कराया गया।
इसके बाद,
ग्वालियर कोर्ट में पेशी के दौरान उसकी मुलाकात झांसी निवासी कल्याण से हुई। दोनों में प्रेम हुआ और वे लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगे।
छह साल बाद कल्याण की सड़क हादसे में मौत हो गई।
इसके बाद कल्याण का भाई संतोष और पिता अजय उसे घर ले आए, जहां पूजा और संतोष में अवैध संबंध बन गए।
रिश्तों में दरार, लालच में विकृति
संतोष की पत्नी रागिनी को जब इन संबंधों की भनक लगी, तो घर में हंगामा मच गया। सुशीला भी पूजा को पसंद नहीं करती थीं। पूजा ने फिर ग्वालियर लौटने का फैसला किया और वहां संतोष की बेटी को जन्म दिया।
इसी दौरान उसने जमीन के बंटवारे की मांग की, जिसे सुशीला ने नकार दिया। यहीं से हत्या की साजिश ने जन्म लिया।
पूरी प्लानिंग: ग्वालियर में जश्न, झांसी में मौत
पूजा ने 22 जून को अजय को पोती के जन्मदिन में बुलाया और संतोष को बहाना बनाकर बुला लिया।
जैसे ही घर में सुशीला अकेली रह गईं, पूजा ने अपनी बहन कमला और उसके बॉयफ्रेंड अनिल को हत्या के लिए भेजा।
- दोनों ने सुशीला को नशे का इंजेक्शन दिया
- मुंह में कपड़ा ठूंसा और गला घोंट दिया
- अलमारी से गहने-रुपये लेकर भाग निकले, ताकि मामला लूट जैसा लगे।
लेकिन चालाकी नाकाम रही
हालांकि, पुलिस ने बारीकी से जांच करते हुए पूजा, कमला और अनिल को गिरफ्तार कर लिया।
पूजा की बनाई झूठी कहानियों और उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि ने पूरे केस को एक सस्पेंस थ्रिलर जैसी शक्ल दे दी।
एक महिला, जिसने अपने जीवन में तीन रिश्तों को झेला—एक पति, एक प्रेमी, और एक देवर। लेकिन, अंत में वह लालच, धोखे और नफरत के दलदल में इतनी धंस गई कि अपनी ही सास को मरवा दिया।
इस केस ने न सिर्फ झांसी को दहला दिया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि जब रिश्ते स्वार्थ में बदलते हैं, तो इंसान किस हद तक गिर सकता है।