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मौसम

ओलों की मार और गर्मी का कहर: यूपी के किसान दोहरी आपदा की चपेट में

बदलते मौसम पर सरकार की दीर्घकालिक रणनीति की दरकार

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उत्तर प्रदेश में अचानक बदले मौसम—ओलावृष्टि, आँधी और बारिश—ने किसानों की रबी फसल पर कहर ढाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत राहत कार्यों के निर्देश दिए हैं। जानिए पूरी स्थिति और सरकारी कदम।

संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के आसमान पर इन दिनों मौसम की दोहरी मार छाई हुई है—कहीं तेज़ धूप और लू, तो कहीं आँधी, बारिश और ओलावृष्टि। कुशीनगर, बलरामपुर समेत कई ज़िलों में अचानक हुए ओलावृष्टि ने खेतों को बर्बाद कर दिया है। खेतों में तैयार खड़ी रबी की फसल, खासकर गेहूं और सरसों, पर इसका सीधा असर पड़ा है।

ओलावृष्टि का मंजर

किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं, तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रशासन को अलर्ट मोड पर डाल दिया है। उन्होंने अधिकारियों को सर्वे कराकर तत्काल राहत राशि देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जल निकासी, घायलों के इलाज और पशुहानि पर फोकस करने के आदेश भी जारी किए हैं।

जब आसमान से बरसी आफत

तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह ओले घरों के आंगनों और खेतों को सफेद चादर से ढँक चुके हैं। कुशीनगर जैसे इलाकों में ओलावृष्टि इतनी तीव्र थी कि कुछ ही मिनटों में खेत पूरी तरह से बर्बाद हो गए।

कई गांवों से पशुहानि और बिजली कटौती की भी खबरें सामने आई हैं। इस मौसमी मार के बीच किसानों का कहना है कि यह नुकसान उनकी सालभर की मेहनत को निगल गया।

राहत कार्यों पर सरकार का विशेष ज़ोर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे “क्षेत्र भ्रमण कर नुकसान का आकलन करें और तुरंत राहत दें।” इसके अलावा, शहरी निकायों को जलजमाव की स्थिति से निपटने की दिशा में तत्काल कदम उठाने को कहा गया है।

राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि किसी भी आपदा से जनहानि या पशुहानि की स्थिति में 24 घंटे के भीतर मुआवजा जारी किया जाए।

जब धूप भी बनी खतरा

एक तरफ जहां बारिश और ओलावृष्टि तबाही ला रही है, वहीं प्रदेश के कई हिस्से लू और तेज़ गर्मी से झुलस रहे हैं। मौसम विभाग ने कई ज़िलों में हीट वेव का अलर्ट जारी किया है। इसी के तहत योगी सरकार ने स्वास्थ्य विभाग और राहत विभाग को हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए विशेष गाइडलाइन जारी करने का निर्देश दिया है।

“मित्र प्रणाली” जैसी पहल से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि श्रमिक एक-दूसरे का ख्याल रखें, ताकि गंभीर स्थितियों से समय रहते निपटा जा सके।

आगे क्या?

मौसम में इस तरह के उतार-चढ़ाव जलवायु परिवर्तन की ओर भी इशारा करते हैं। सरकार ने ज़रूर त्वरित कदम उठाए हैं, लेकिन दीर्घकालीन रणनीति—जैसे कि फसल बीमा, मौसम आधारित चेतावनी प्रणाली, और जल प्रबंधन—अब और अधिक आवश्यक हो गई है।

उत्तर प्रदेश में मौसम की मार ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि किसान की ज़िंदगी कितनी असुरक्षित है। सरकार राहत पहुंचाने में जुटी है, लेकिन मौसम की मार से पहले से ही जूझ रहे किसानों को दीर्घकालीन सुरक्षा की ज़रूरत है—न केवल सरकारी योजनाओं की, बल्कि जलवायु-संवेदनशील नीतियों की भी।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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