मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला: आगामी जनगणना में जाति जनगणना का शामिल होनामोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने के निर्णय से विपक्षी दलों को झटका दिया है। कांग्रेस, सपा, बसपा और भाजपा ने इस फैसले को अपने-अपने दृष्टिकोण से सराहा है। पढ़ें इस ऐतिहासिक निर्णय के बारे में विस्तार से।
अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ: केंद्र की मोदी सरकार ने विपक्षी दलों की लंबे समय से चली आ रही जातीय जनगणना की मांग को स्वीकारते हुए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब आगामी जनगणना में जातियों की गणना भी कराई जाएगी। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसमें कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी शामिल थे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि आगामी जनगणना में जातियों की गणना को शामिल किया जाएगा।
कांग्रेस का समर्थन
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस निर्णय का स्वागत किया है, हालांकि उन्होंने यह भी पूछा कि यह निर्णय कब तक लागू होगा। राहुल गांधी ने कहा कि जाति जनगणना के लिए तेलंगाना एक मॉडल बन सकता है और इस विषय पर सरकार को पूरा समर्थन देने का वादा किया। उनका कहना था कि जाति जनगणना से यह पता चलेगा कि देश में ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्ग की कितनी भागीदारी है और उनकी संस्थाओं में क्या स्थिति है।
योगी आदित्यनाथ का बयान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि यह निर्णय देश के 140 करोड़ नागरिकों के हित में है और वंचित वर्गों को सरकारी योजनाओं में उनका उचित स्थान दिलाने में मदद करेगा। योगी ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम सामाजिक न्याय और डेटा-आधारित सुशासन को बढ़ावा देगा।
सपा और बसपा की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस फैसले को पीडीए की एकजुटता की जीत बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के दबाव में यह निर्णय लिया गया है, जो सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने भी इस फैसले का स्वागत किया, जो उनकी पार्टी लंबे समय से मांग कर रही थी। उनका कहना था कि यह जनगणना समाज के विभिन्न वर्गों के लिए उचित अधिकारों की पहचान का एक कदम है।
इस निर्णय का महत्व
जाति जनगणना भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, और इसके परिणामस्वरूप देश के हर वर्ग की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति का एक स्पष्ट चित्र मिलेगा। यह निर्णय उन वर्गों के लिए राहत का कारण बनेगा, जिन्हें लंबे समय तक अपनी सही हिस्सेदारी नहीं मिल पाई है। सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक और स्वागत योग्य माना जा रहा है, जो लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है।
मोदी सरकार के जातीय जनगणना को लेकर लिया गया यह निर्णय भारत के सामाजिक ढांचे को बेहतर समझने और सुधारने के लिए एक बड़ा कदम है। विपक्षी दलों के विभिन्न दृष्टिकोण इस निर्णय की अहमियत को और भी स्पष्ट करते हैं। अब यह देखना होगा कि इस फैसले का कार्यान्वयन किस प्रकार से किया जाएगा और इसके परिणाम क्या होंगे।