
नोएडा के सेक्टर-18 स्थित कृष्णा अपरा प्लाजा में 1 अप्रैल को हुए अग्निकांड में घायल महिला पूजा ने इलाज के 19 दिन बाद दम तोड़ा। चौथी मंजिल से कूदने से रीढ़ की हड्डी टूटी और शरीर 40% झुलसा था। परिवार गहरे सदमे में।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित व्यावसायिक हब सेक्टर-18 के कृष्णा अपरा प्लाजा में 1 अप्रैल को हुई आग की भयावह घटना ने एक और जान ले ली। आग में घायल महिला पूजा ने आखिरकार 19 दिनों तक जिंदगी से जूझने के बाद शनिवार को दम तोड़ दिया। इस हादसे ने ना केवल एक परिवार को गहरे दुख में डाल दिया, बल्कि प्रशासन और भवन सुरक्षा व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
ऐसे हुई थी घटना की शुरुआत
सेक्टर-20 थाना प्रभारी डीपी शुक्ल के अनुसार, 1 अप्रैल को सुबह करीब 11:30 बजे कृष्णा अपरा प्लाजा की भूतल पर स्थित एक रियल एस्टेट ऑफिस में अचानक एसी का कंप्रेसर फट गया। इसके बाद आग ने देखते ही देखते पूरी आठ मंजिला इमारत को अपनी चपेट में ले लिया। दमकल विभाग ने तत्परता दिखाते हुए करीब 170 लोगों की जान बचाई, जो इस भीषण हादसे के बावजूद राहत की बात थी।
अपनी जान बचाने के लिए चौथी मंजिल से कूदी पूजा
हालांकि, आग से जान बचाने के लिए कई लोगों को जानलेवा कदम उठाने पड़े। सेक्टर 122 की रहने वाली पूजा, जो उसी इमारत की एक कंपनी में कार्यरत थीं, चौथी मंजिल से कूद गई थीं। इस प्रयास में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और शरीर का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा जल गया।
19 दिन तक अस्पताल में चली जंग, लेकिन नहीं बच सकी जान
घटना के बाद पूजा को पहले फरीदाबाद रेफर किया गया, फिर दिल्ली और अंत में नोएडा के सेक्टर 110 स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां बीते 19 दिनों से उसका इलाज चल रहा था। मगर शनिवार को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद पूजा ने अंतिम सांस ली।
इकलौती बेटी की मौत से टूटा परिवार
पूजा के पति राघव गुप्ता ने बताया कि पूजा अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी और अपनी पूरी कमाई उन्हें देती थी। ऐसे में उसकी असमय मृत्यु से न केवल पति, बल्कि पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। फिलहाल पुलिस ने बताया है कि इस मामले में कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है, लेकिन यदि पीड़ित पक्ष की ओर से कोई औपचारिक शिकायत मिलती है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर से नोएडा की व्यावसायिक इमारतों में सुरक्षा मानकों की पोल खोल दी है। सवाल यह है कि अगर आग लगने की स्थिति में पर्याप्त आपातकालीन व्यवस्थाएं होतीं, तो क्या पूजा को अपनी जान बचाने के लिए चौथी मंजिल से कूदना पड़ता?
पूजा की मौत केवल एक व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही का एक और उदाहरण है। अब वक्त आ गया है जब प्रशासन को जागरूकता और सख्ती दोनों दिखानी होगी, ताकि इस तरह की घटनाएं दोहराई न जा सकें।