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नेता बन पछताई “कंगना” : बोलीं, ‘50-60 हज़ार ही बचते हैं हाथ में’, राजनीति को बताया सबसे महंगा शौक

"लोकसभा की कुर्सी पर बैठते ही सच से हुआ सामना, बोलीं— राजनीति ईमानदारों के लिए घाटे का सौदा, सैलरी से नहीं चलता गुज़ारा!”

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राकेश सूद की रिपोर्ट

बॉलीवुड अभिनेत्री और मंडी से सांसद कंगना रनौत ने सांसद की सैलरी और राजनीति की असलियत पर खुलकर बात की। टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि राजनीति कोई लाभ का सौदा नहीं, बल्कि एक ‘महंगा शौक’ है।

फिल्मों से संसद तक: कंगना की नई पारी में खुला राजनीति का सच

बॉलीवुड की बोल्ड और दमदार अदाकारा कंगना रनौत ने जब साल 2024 में हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता, तो यह उनके जीवन का एक नया अध्याय था। अभिनय से राजनीति तक का यह सफर न केवल चुनौतीपूर्ण रहा, बल्कि उनके लिए कई मायनों में आंखें खोलने वाला भी साबित हुआ।

हाल ही में मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कंगना ने सांसद के रूप में अपने अनुभव साझा करते हुए राजनीति के भीतर की सच्चाइयों को बिना लाग-लपेट के सामने रखा।

“राजनीति एक महंगा शौक है” – कंगना का ईमानदार कबूलनामा

सबसे पहले, उन्होंने अपनी सांसद सैलरी को लेकर जो बात कही, वह आमजन के लिए काफी चौंकाने वाली थी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा,

“मैं हमेशा कहती हूं कि राजनीति एक बहुत महंगा शौक है।”

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जब एंकर ने ‘शौक’ शब्द पर सवाल उठाया तो उन्होंने पूरी ईमानदारी से जवाब दिया –

“अगर आप ईमानदार इंसान हैं, तो सांसद होना एक प्रोफेशन नहीं बन सकता क्योंकि आपको अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए नौकरी चाहिए होती है।”

उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें जो वेतन मिलता है, उसमें से कुक, ड्राइवर, और अन्य कर्मचारियों की तनख्वाह देने के बाद केवल 50 से 60 हजार रुपये ही उनके पास बचते हैं।

लाखों का खर्च, चंद हजार की बचत’ – संसदीय यात्रा की सच्चाई

इसके अलावा, कंगना ने अपने संसदीय क्षेत्र मंडी की भौगोलिक चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि एक दौरा, जो 300-400 किलोमीटर दूर होता है, उसमें स्टाफ के साथ जाना बेहद खर्चीला हो जाता है। अक्सर एक यात्रा का खर्च लाखों में पहुंच जाता है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि –

“राजनीति में टिके रहने के लिए आपको कोई दूसरा जॉब या इनकम सोर्स जरूर चाहिए।”

अपने तर्क को बल देते हुए कंगना ने जावेद अख्तर का उदाहरण दिया कि कैसे वे सांसद रहते हुए भी अपने पेशे में सक्रिय थे।

राजनीति से ज्यादा संतुष्ट नहीं कंगना, बोलीं- ‘ये मेरी दुनिया नहीं’

गौरतलब है कि कंगना पहले भी राजनीति को लेकर अपनी असहजता जाहिर कर चुकी हैं। उन्होंने स्वीकार किया था कि सांसद बनने के बाद उन्हें ऐसे-ऐसे कामों से रूबरू होना पड़ा जो उनके लिए बिल्कुल नए और अजनबी थे।

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“लोग छोटी-छोटी शिकायतें लेकर आते हैं – जैसे कि टूटी नालियां, सड़कें, पानी की टंकी।”

उन्होंने यह भी माना कि समाजसेवा या प्रशासन उनका बैकग्राउंड नहीं रहा, इसलिए यह सबकुछ उनके लिए सीखने जैसा है।

वर्क फ्रंट पर भी एक्टिव हैं कंगना

राजनीति के साथ-साथ कंगना अपने फिल्मी करियर को भी आगे बढ़ा रही हैं। हाल ही में रिलीज़ हुई उनकी फिल्म ‘इमरजेंसी’ को लेकर उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी थीं।

इसके अलावा आने वाले महीनों में कंगना ‘तनु वेड्स मनु 3’, ‘इमली’ और ‘भारत भाग्य विधाता’ जैसी बड़ी फिल्मों में भी नजर आएंगी। इससे स्पष्ट है कि अभिनय उनकी आत्मा में बसता है और फिल्मों से उनका नाता अभी टूटा नहीं है।

ग्लैमर के पीछे की कठिन राजनीति

कंगना रनौत का यह बयान हमें एक महत्वपूर्ण सच्चाई से रूबरू कराता है—कि राजनीति, बाहर से भले ही ग्लैमरस और पॉवरफुल लगे, लेकिन उसके अंदर एक अलग ही दुनिया है जो बलिदान, खर्च और मानसिक धैर्य की मांग करती है। ईमानदार राजनेताओं के लिए यह पेशा कभी-कभी आर्थिक रूप से नुकसानदेह भी साबित हो सकता है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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