दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
महंगाई की मार ने पूरे घर का बजट बिगाड़ दिया है। ऐसा कोई सेक्टर नही बचा, जो महंगाई की आग से झुलस न रहा हो। सुबह ब्रश से लेकर रात की दवा तक, नाश्ते से लेकर डिनर, घर से लेकर आफिस तक की जिंदगी में काम आने वाली हर चीज 100 से 400 फीसदी तक महंगी हो चुकी है। रही सही कसर पेट्रोल-डीजल ने पूरी कर दी है। महज दो महीने में 12 रुपये लीटर की वृद्धि ने ट्रांसपोर्टरों की कमर तोड़ दी है। इसका सीधा असर आम जनजीवन पर व्यापक रूप से पड़ा है।
साल 2000 से तुलना करें तो जिस रफ्तार से महंगाई बढ़ी है, उतनी तेज लोगों की आय नहीं बढ़ी है। आय और व्यय के बीच बढ़ती खाई के कारण ही लोग परेशान हैं। गरीब वर्ग के लिए दाल-रोटी जुटाना मुश्किल है। मिडिल क्लास लगातार अपने जरूरत के खर्चों में भी कैंची चला रहा है।
रोजमर्रा की जरूरतों के सामान को महंगाई की आग ने किस कदर झुलसाया है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 22 साल पहले घड़ी वाला सेल 3 रुपये का था, जो आज 12 रुपये का हो गया है। टार्च वाला बड़ा सेल 7 रुपये का था जो आज 30 रुपये का हो गया है।
नयागंज के थोक व्यापारी और कानपुर उद्योग व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष रोशन लाल अरोड़ा ने बताया कि पेट दर्द-गैस भगाने वाला एसिडिटी पाउच तीन से 9 रुपये का हो गया है। बालों को रंगने वाली डाई का छोटा पाउच 5 से 35 रुपये का हो गया है। 50 ग्राम का ब्रांडेड टूथपेस्ट से 25 रुपये और 100 ग्राम का 20 से 60 का हो गया है। उन्होंने बताया कि हेयर आयल की 16 रुपये वाली छोटी शीशी 45 रुपये की और 100 एमएल की शीशी 29 से 75 रुपये की बिक रही है। एक बड़े ब्रांड की 250 ग्राम चाय 65 से उछलकर 175 रुपये की हो चुकी है। वहीं एंटीसेप्टिक साबुन 7 से 35 रुपये का बिक रहा है। सिरदर्द का मलहम 12 से बढ़कर 42 रुपये में है, जबकि बच्चों का पसंदीदा शरबत का पैकेट 20 से बढ़ते-बढ़ते 45 रुपये में पहुंच गया है। एक मशहूर शरबत की बोतल 70 रुपये की थी जो आज 175 रुपये में बिक रही है।
महंगाई के कारण अस्पताल में इलाज कराना भी कठिन होता जा रहा है। खासकर गरीब व मध्यम श्रेणी के लोगों के सामने अच्छी सेहत पाना भी किसी बड़ी चुनौती को पार करने से जैसा है।
गेहूं 2007 में 12 अब 29
चना दाल 2007 में 25 अब 75
चावल बासमती 2007 में 42 अब 110
अरहर दाल 2007 में 34 अब 104
मूंग दाल 2007 में 38 अब 103
उड़द दाल 2007 में 40 अब 105
सरसों तेल 2007 में 58 अब 190
देसी घी 2007 में 190 अब 400
अंडा 2007 में 2 अब 06
वनस्पति 2007 में 60 अब 165
चीनी 2007 में 18 अब 40
लाल मिर्च 2007 में 55 अब 185
हल्दी 2007 में 32 अब 150
नोट: सभी कीमत रुपये प्रति किलोग्राम में हैं। प्रति लीटर
फोन, लैपटाप, पार्ट्स महंगे
मोबाइल फोन, टैबलेट्स, लैपटाप भी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। कोरोना के बाद से इन उत्पादों के दाम 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं। चाइना से पार्ट्स की आपूर्ति में कमी की आड़ में गैजेट्स को ठीक कराना भी जेब पर भारी पड़ रहा है। एसेसीरीज से लेकर पार्ट्स के दाम 150 से 2700 रुपये तक बढ़ गए हैं। पिछले दो साल में सबसे सस्ता मोबाइल भी 2000 रुपये महंगा हो गया है।
मनोरजंन भी हो रहा कठिन
घर के बाहर जाना तो महंगा है ही, घर के अंदर रहना भी महंगा हो गया है। 22 साल पहले सिनेमा का टिकट 40 से 100 रुपये के बीच था। आज 200 से 600 रुपये का हो गया है। ये कीमत तब है, जब टिकट पर टैक्स 40 फीसदी से घटकर 18 फीसदी रह गया है। घर में बैठकर केबिल टीवी और ओटीटी प्लेटफार्म देखने में भी जेब कट रही है। 40 फीसदी तक शुल्क बढ़ा दिया गया।
आफत:दाम बढ़ा दिए फिर भी तंगी
निरालानगर रेलवे मैदान के पास रोटी-दाल सब्जी-चावल का ठेला लगाने वाले मंगल को महंगाई ने परेशान कर रखा है। वह अभी तक गरीबों को एक 30 रुपये थाली में खाना खिला रहे थे। थाली में चार रोटी, दाल, सब्जी, चावल आराम से लोग खाते थे। रोटी दो रुपये की अलग से मिल जाती थी। तेल, अनाज व सब्जी की कीमतों में बढोत्तरी ने मंगल को दाम बढ़ाने को मजबूर कर दिया। अब मंगल की थाली 50 रुपये की हो गई है। अलग से रोटी लेने पर 3 रुपये लगते हैं। मंगल कहते है कि लगातार तेल, घी, सब्जी, अनाज के दाम बढ़ने पर पहले रोटी का साइज छोटा किया। दाल भी पतली हो गई। दाम बढ़ते चले गए तो क्वालिटी से समझौता करने के बजाय ग्राहकों को समझा कर दाम बढ़ा दिया। मेहनतकश व आसपास काम करने वाले लोग आते हैं। इससे सामान अच्छा इस्तेमाल करने के लिए दाम बढ़ाने पड़े। परिवार का खर्च दोगुना बढ़ गया है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."