पाकिस्तान के नागरिकों को 29 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश मिला है, लेकिन सीमा हैदर को इस सूची से बाहर रखा गया है। जानें योगी सरकार और वकीलों की क्या है दलील।
लोकेश भारती की रिपोर्ट
हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के नागरिकों को भारत छोड़ने का सख्त आदेश दिया है। उन्हें 29 अप्रैल तक देश से बाहर जाना होगा। इस बीच एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ—क्या सीमा हैदर भी इस आदेश के दायरे में आती हैं? इसको लेकर सोशल मीडिया से लेकर खबरों तक में चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
हालांकि, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के शीर्ष सूत्रों ने स्पष्ट कर दिया है कि सीमा हैदर को पाकिस्तान नहीं भेजा जाएगा। उनके अनुसार, सीमा उन पाकिस्तानी नागरिकों की सूची में शामिल नहीं हैं जिन्हें भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है।
सीमा हैदर का मामला क्यों है अलग?
दरअसल, सीमा हैदर साल 2023 में नेपाल के रास्ते अवैध रूप से भारत आई थीं। यहां आकर उन्होंने ग्रेटर नोएडा निवासी सचिन मीना से विवाह कर लिया। यही नहीं, उत्तर प्रदेश प्रशासन ने उनके नवजात शिशु का जन्म प्रमाण पत्र भी जारी किया है, जिसमें सीमा को मां और सचिन मीना को पिता के रूप में दर्ज किया गया है।
कानूनी पक्ष क्या कहता है?
सीमा हैदर के वकीलों का कहना है कि चूंकि उन्होंने एक भारतीय नागरिक से विवाह किया है, इसलिए अब उनकी नागरिकता भी भारत से जुड़ चुकी है। उनके अनुसार, विवाह के पश्चात महिला की राष्ट्रीयता उसके पति की नागरिकता से निर्धारित होती है। यही वजह है कि वह ‘वीजा धारक’ की श्रेणी में नहीं आती हैं।
यूपी से 100% पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी, लेकिन सीमा को राहत
दिलचस्प बात यह है कि उत्तर प्रदेश ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने अपने राज्य से 100% पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेज दिया है। योगी सरकार ने बुधवार तक शेष बचे एकमात्र पाकिस्तानी नागरिक को भी देश से बाहर भेजने की बात कही है। हालांकि, सूत्रों ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह शेष नागरिक सीमा हैदर हैं या कोई और।
जहां एक ओर केंद्र सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए है, वहीं सीमा हैदर का मामला कानूनी और मानवीय आधार पर एक अलग आयाम में देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में अदालत का निर्णय इस मुद्दे को और स्पष्टता प्रदान करेगा।