लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज, नेहा सिंह राठौर के बाद सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति बनाम राष्ट्रहित को लेकर बहस। जानिए पूरा मामला और प्रतिक्रियाएं।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ – लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) की सहायक प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी की मुश्किलें उस समय बढ़ गईं, जब पहलगाम आतंकी हमले पर उनकी सोशल मीडिया पोस्ट विवादों में आ गई। एबीवीपी के विरोध प्रदर्शन के बाद उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले चर्चित लोकगायिका नेहा सिंह राठौर के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई को लेकर बहस छिड़ी थी। अब डॉ. काकोटी के मामले ने सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम राष्ट्रहित को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
डॉ. माद्री काकोटी, जो एलयू के भाषा विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,
“धर्म पूछकर गोली मारना आतंकवाद है। धर्म पूछकर लिंच करना, धर्म पूछकर नौकरी से निकाल देना, धर्म पूछकर घर न देना, धर्म पूछकर घर बुलडोजर चलाना आदि भी आतंकवाद है। असली आतंकी को पहचानो।”
उनकी इस टिप्पणी के सामने आते ही विवाद खड़ा हो गया। इसके तुरंत बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन किया और उन पर देश की अखंडता को खतरे में डालने का आरोप लगाया।
कानूनी कार्रवाई और विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया
एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने हजरतगंज थाने में डॉ. काकोटी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।
इसी बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कुलसचिव विद्यानंद त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षिका की टिप्पणी विश्वविद्यालय और देश दोनों की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली है, जो शिक्षकों की आचार संहिता के खिलाफ है।
छात्रों का विरोध प्रदर्शन
घटना के बाद विश्वविद्यालय में छात्रों के दो गुटों ने मिलकर प्रशासनिक भवन का घेराव किया। संस्कृत विभाग के शोधार्थी गुलशन पांडेय और अमन दुबे के नेतृत्व में छात्रों ने ताला बंदी कर प्रदर्शन किया।
कई छात्रों ने कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को ज्ञापन सौंपते हुए शिक्षिका के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शन के दौरान छात्र “राष्ट्र विरोधी बर्दाश्त नहीं” जैसे नारे लगाते रहे।
सोशल मीडिया पर बहस: नेहा सिंह राठौर और डॉ. काकोटी का संदर्भ
डॉ. काकोटी का मामला आने से कुछ ही समय पहले लोकगायिका नेहा सिंह राठौर पर भी उनके गीतों और टिप्पणियों को लेकर विवाद हुआ था। उस प्रकरण में भी सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रहित के मुद्दे पर जमकर बहस हुई थी।
अब डॉ. माद्री काकोटी का मामला सामने आने के बाद यही बहस और अधिक तेज हो गई है।
कुछ लोग इसे लोकतंत्र में व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का अधिकार बता रहे हैं, जबकि अन्य इसे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा मान रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह भी है कि डॉ. काकोटी के पोस्ट का एक वीडियो अब पाकिस्तान के पीटीआई प्रमोशन नामक ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है, जिसने मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है।
डॉ. माद्री काकोटी का मामला न सिर्फ विश्वविद्यालयों में अभिव्यक्ति की सीमाओं पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी बताता है कि डिजिटल युग में एक शिक्षक या सार्वजनिक व्यक्ति को किस हद तक जिम्मेदारी से अपनी राय रखनी चाहिए।
इस प्रकरण ने नेहा सिंह राठौर के हालिया विवाद के बाद देश में एक और बड़ी बहस को जन्म दे दिया है – कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और देशभक्ति के बीच संतुलन कैसे साधा जाए?