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November 22, 2024 8:45 am

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समान नागरिक आचार संहिता पर लालकिले की प्रचीर से प्रधानमंत्री का विस्तार से बात करना किस ओर संकेत देता है❓👇वीडियो देखिए

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परवेज़ अंसारी के साथ सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

हालांकि बीजेपी इस बार लोकसभा चुनावों में अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई है, लेकिन उसने अपने कोर एजेंडे से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तीसरी सरकार के पहले स्वतंत्रता दिवस समारोह में यह स्पष्ट कर दिया कि देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जाएंगे।

पीएम मोदी ने लाल किले से 11वीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए इस बात पर जोर दिया कि यूसीसी आज देश की मांग है। उन्होंने मौजूदा सिविल कोड को सांप्रदायिक बताते हुए कहा कि देश ऐसे कानून को बर्दाश्त नहीं कर सकता जो धार्मिक आधार पर विभाजन का कारण बने।

उन्होंने संविधान निर्माताओं, संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि देश को भेदभावकारी कानूनों से छुटकारा पाना ही होगा। पीएम ने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार 3.0 देश में यूसीसी लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा कानून सांप्रदायिक हैं और अब देश को एक सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) संहिता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यूसीसी की चर्चा की है और इसके लिए आदेश भी दिए हैं।

पीएम ने कहा कि संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, संविधान की भावना और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप, हमें यूसीसी की दिशा में बढ़ना होगा। उन्होंने देशवासियों से इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा करने और अपने विचार प्रस्तुत करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट संकेत दिया कि धार्मिक आधार पर अलग-अलग कानूनों का समय अब समाप्त होने वाला है। उन्होंने कहा कि ऐसे कानून जो धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, या जो सामाजिक ऊंच-नीच का कारण बनते हैं, उन्हें आधुनिक समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

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उन्होंने जोर दिया कि अब समय आ गया है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो, जिससे धर्म के आधार पर हो रहे भेदभाव और सामान्य नागरिकों को महसूस हो रही दूरी से मुक्ति मिल सके।

संविधान निर्माताओं के बीच इस बात पर भी लंबी बहस हुई थी कि देश में वैयक्तिक कानूनों को मान्यता दी जाए या व्यापक कानून को शासन का आधार बनाया जाए। डॉ. आंबेडकर ने 2 दिसंबर 1948 को संविधान सभा में इस पर तार्किक दलीलें दी थीं।

उन्होंने कहा कि धर्म को इतना महत्व नहीं दिया जाना चाहिए कि वह व्यक्ति के जीवन पर पूरी तरह हावी हो जाए। प्रधानमंत्री मोदी ने भी संविधान निर्माताओं की इसी भावना का उल्लेख करते हुए यूसीसी की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की आवश्यकता दोहराई है। 1985 के शाह बानो मामले से लेकर 2017 के शायरा बानो मामले तक, सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होना चाहिए, जो धर्म से परे हो।

बीजेपी के तीन प्रमुख एजेंडों में से दो—जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण—पूरा हो चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले से समान नागरिक संहिता पर विस्तार से बात करना इस बात का संकेत है कि बीजेपी का तीसरा और शेष बचा एजेंडा भी जल्द ही पूरा हो सकता है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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