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आजमगढ़

सोशल मीडिया युग में अभिव्यक्ति और साइबर अपराध: आजमगढ़ विश्वविद्यालय में गूंजे जागरूकता के स्वर

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आजमगढ़ के महाराजा सुहेल देव विश्वविद्यालय में “सोशल मीडिया युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और साइबर अपराधों के बीच कानूनी संतुलन” विषय पर एक व्याख्यान सत्र आयोजित हुआ, जिसमें विशेषज्ञों ने साइबर सुरक्षा और डिजिटल जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डाला।

जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

आजमगढ़। महाराजा सुहेल देव विश्वविद्यालय, आजमगढ़ में शनिवार, 26 अप्रैल को पत्रकारिता एवं जनसंप्रेषण तथा विधि विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “सोशल मीडिया युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और साइबर अपराधों के बीच कानूनी संतुलन” विषय पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान सत्र आयोजित किया गया।

यह सत्र विश्वविद्यालय के सुविधा केंद्र स्थित न्यू सेमिनार हॉल में प्रातः 11 बजे प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में आजमगढ़ जनपद ग्रामीण क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक श्री चिराग जैन उपस्थित रहे। मुख्य वक्ताओं में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता एवं जनसंप्रेषण विभाग के प्रो. अनुराग दवे तथा विधि संकाय के प्रो. रजनीश पटेल ने अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से हुआ। इसके पश्चात कुलपति प्रो. संजीव कुमार ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि यह व्याख्यान सत्र साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी को भी अपनी निजी जानकारी साझा न करें और इस ज्ञान को अपने मित्रों व परिवारजनों तक अवश्य पहुंचाएं।

इसके बाद, विशिष्ट अतिथि श्री चिराग जैन ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि साइबर क्राइम से बचाव का सबसे बड़ा उपाय स्वयं की सतर्कता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी को हर तीन से छह महीने में अपने पासवर्ड बदलते रहना चाहिए, ताकि साइबर धोखाधड़ी से बचा जा सके।

मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. अनुराग दवे ने कहा कि वर्तमान डिजिटल युग में नागरिकों के डाटा की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि डाटा की सुरक्षा में चूक हुई, तो इसका दुरुपयोग समाज के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। उन्होंने डिजिटल शिक्षा को समय की आवश्यकता बताते हुए सभी से डिजिटल रूप से सुरक्षित रहने का आह्वान किया।

इसी क्रम में, प्रो. रजनीश पटेल ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज के समय में यह जानना बेहद आवश्यक है कि “क्या बोलना है, कब बोलना है और कितना बोलना है”। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मोबाइल अब हमारे शरीर का हिस्सा बन गया है और इसके अत्यधिक उपयोग से साइबर अपराधों में बढ़ोत्तरी हो रही है।

सत्र का संचालन विधि विभाग की अतिथि प्रवक्ता सुश्री शिवानी शर्मा और श्रीमती निधि पांडेय ने संयुक्त रूप से किया। वहीं, धन्यवाद ज्ञापन पत्रकारिता एवं जनसंप्रेषण विभाग के अतिथि प्रवक्ता भंवरलाल सेनचा द्वारा किया गया।

इस व्याख्यान सत्र में विश्वविद्यालय के लगभग 100 विद्यार्थियों के साथ-साथ आयोजन टीम के डॉ. रामदुलारे सोनकर, नितेश सिंह, डॉ. परमानंद पांडेय, सौरभ सिंह, डॉ. रेनू तिवारी, डॉ. सपना त्रिपाठी, डॉ. हरेन्द्र सिंह प्रजापति, डॉ. संतोष चौरसिया, धीरज यादव तथा अन्य अतिथि प्रवक्ता एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, शिब्ली नेशनल पीजी कॉलेज, आजमगढ़ के विधि विभाग के छात्र-छात्राएं व शिक्षक भी कार्यक्रम का हिस्सा बने।

इस तरह, यह व्याख्यान सत्र सोशल मीडिया युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा साइबर अपराधों के बीच आवश्यक कानूनी संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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