आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा l समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। गत शनिवार को यूपी के बांदा जिले में उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान का विभाजन इसलिए हुआ क्योंकि हिंदू महासभा ने दो राष्ट्रों की मांग की थी, जिन्ना की नहीं। जो लोग हिंदू राष्ट्र की बात कर रहे हैं, वे राष्ट्र के दुश्मन हैं। भारतीय संविधान कहता है कि आस्था, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। अगर कोई हिंदू हिंदू राष्ट्र की बात करता है तो दूसरे क्यों नहीं करेंगे?
मीडिया से बातचीत में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हिंदू महासभा ने बहुत पहले हिंदू राष्ट्र की बात की थी, जिसके परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का गठन हुआ। भारत और पाकिस्तान जिन्ना के कारण विभाजित नहीं हुए थे, वे इसलिए विभाजित हुए क्योंकि हिंदू महासभा ने दो राष्ट्रों की मांग की थी। मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका और फ्रांस में बोला था कि हिंदू धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने की शैली है। यही बात हमने कह दी तो बवंडर खड़ा हो गया है। बौद्ध समाज से जुड़े लोगों से कहा कि कसम खाओ जो सिर कलम करना चाहते हैं उनके सामने सीना तानकर खड़ा होना होगा।
‘हिंदू धर्म सिर्फ एक धोखा है’
स्वामी प्रसाद ने कहा कि मोदी के बाद नितिन गडकरी ने भी कहा कि हिंदू धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने की व्यवस्था है। अगर हमने यह बात कह दी तो हमारा सिर कलम करने की बात कही गई। सिर कलने करने वालों को इनाम देने तक का वादा किया गया। उल्लेखनीय है कि इस साल अगस्त में भी सपा नेता मौर्य को हिंदू धर्म पर उनकी टिप्पणी को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा था कि ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सभी असमानताओं का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है। हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं है, हिंदू धर्म सिर्फ एक धोखा है।
अखिलेश को अब मौर्य को अलविदा कह देना चाहिए: प्रमोद कृष्णम
तब, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान का विरोध जताया था। उन्होंने कहा था कि हिंदुओं को गाली देना एक फैशन बन गया है और सपा नेता मौर्य ने हदें पार कर दी हैं। हर दिन वह जहां भी जाते हैं, हिंदू धर्म का अपमान करते हैं। इस बार उन्होंने यह कहकर चमत्कार किया है कि हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं है और अखिलेश यादव इस पर चुप हैं। मुझे लगता है कि समाजवादी पार्टी को अब हिंदुओं और उनके वोटों की जरूरत नहीं है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। अखिलेश यादव को अब स्वामी प्रसाद मौर्य को अलविदा कह देना चाहिए अन्यथा यह उनके और पार्टी के लिए बहुत बुरा होगा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."