अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत प्रेम दास पहली बार मंदिर परिसर से बाहर निकलेंगे और रामलला के दर्शन करेंगे। यह ऐतिहासिक मौका अक्षय तृतीया पर आएगा, श्रद्धालुओं के लिए ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण!
ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
अयोध्या, उत्तर प्रदेश: अयोध्या में एक ऐतिहासिक और अनोखा पल सामने आ रहा है! हनुमानगढ़ी मंदिर के 70 साल के मुख्य पुजारी महंत प्रेम दास पहली बार मंदिर परिसर से बाहर कदम रखेंगे और रामलला के दर्शन करेंगे। यह अद्वितीय और अभूतपूर्व अवसर अक्षय तृतीया के पावन दिन, 30 अप्रैल को होगा, जो न केवल भक्तों बल्कि संत समाज के लिए भी यादगार बन जाएगा।
गद्दी नशीं की 18वीं सदी की परंपरा टूटेगी!
हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी, जिनकी भूमिका ‘गद्दी नशीं’ की होती है, ने जीवनभर मंदिर परिसर से बाहर न जाने की परंपरा का पालन किया है। यह परंपरा 18वीं सदी से चली आ रही थी, लेकिन अब महंत प्रेम दास ने इसे बदलने का साहस दिखाया है। उनका यह कदम न केवल ऐतिहासिक बल्कि आस्था और श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है।
रामलला से मिलन की इच्छा ने बदला इतिहास
महंत प्रेम दास ने राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के दर्शन की अपनी इच्छा जताई थी, जिसे निर्वाणी अखाड़े के पंचों ने सम्मान देते हुए पूरा किया। इस निर्णय के बाद महंत प्रेम दास अब मंदिर से बाहर निकलकर इस ऐतिहासिक अवसर पर रामलला के दर्शन करेंगे। यह अयोध्या के धार्मिक इतिहास में एक अनूठा बदलाव है, जो वर्षों बाद आस्था की नयी परिभाषा लिखेगा।
अक्षय तृतीया पर भव्य जुलूस: अयोध्या की गलियाँ गूंज उठेंगी!
अक्षय तृतीया, 30 अप्रैल को महंत प्रेम दास के नेतृत्व में भव्य जुलूस निकलेगा। यह जुलूस न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण होगा। हाथी, ऊंट, घोड़े और अखाड़े का निशान इस जुलूस की भव्यता को चार चांद लगाएंगे। महंत प्रेम दास के साथ नागा साधु, उनके शिष्य और श्रद्धालु भी इस ऐतिहासिक यात्रा का हिस्सा बनेंगे।
रामलला के दर्शन: ऐतिहासिक मिलन का प्रतीक
यह अवसर अयोध्या के करोड़ों भक्तों के लिए एक सपना साकार होने जैसा होगा, जब महंत प्रेम दास रामलला के दर्शन करेंगे। यह पल राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला होगा, जिससे अयोध्या के धार्मिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा।
धार्मिक आस्था और परंपरा का अद्भुत मिलन
यह घटना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से भी ऐतिहासिक होगी। महंत प्रेम दास का मंदिर परिसर से बाहर आकर रामलला से मिलना परंपरा और आस्था के बीच एक शानदार संतुलन का उदाहरण प्रस्तुत करेगा। अयोध्या में इस जुलूस को लेकर भारी उत्साह है और पूरा शहर भक्तिमय हो चुका है।
यह ऐतिहासिक पल न केवल अयोध्या, बल्कि पूरे भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।