अयोध्या पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई में वाहन चोरी के कुख्यात गैंग का भंडाफोड़ किया। 35 से अधिक गाड़ियों की चोरी में शामिल मास्टरमाइंड दयाशंकर भारती समेत तीन आरोपी गिरफ्तार। जानिए पूरी कहानी।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
अयोध्या में पिकअप चोरी कांड का पर्दाफाश, 35 वाहन चोरी का मास्टरमाइंड सलाखों के पीछे
अयोध्या की शांत और पवित्र फिज़ाओं में उस समय हड़कंप मच गया, जब थाना कैंट क्षेत्र से एक पिकअप वाहन चोरी की खबर सामने आई। शुरुआत में यह एक सामान्य चोरी का मामला प्रतीत हुआ, लेकिन जब अयोध्या पुलिस ने जांच की दिशा बदली और तकनीकी साक्ष्यों की मदद ली, तो एक बेहद संगठित और खतरनाक वाहन चोर गिरोह का पर्दाफाश हो गया।
चोरी हुई गाड़ी के पीछे था संगठित अपराध का जाल
दरअसल, 2 मई को जलालाबाद के पास से एक पिकअप गाड़ी चोरी हुई थी। इस घटना के बाद से ही पुलिस महकमा सतर्क हो गया। कैंट थाना प्रभारी पंकज सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने सूझबूझ दिखाते हुए और तकनीकी उपकरणों — विशेषकर त्रिनेत्र ऐप और सीसीटीवी फुटेज की मदद से, कुछ ही दिनों में इस ब्लाइंड केस को सुलझा लिया।
रायपुर से बरामद हुई गाड़ी, तीन आरोपी गिरफ्त में
अयोध्या पुलिस ने रायपुर के पास से चोरी हुई गाड़ी को बरामद कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान सामने आया कि मुख्य आरोपी दयाशंकर भारती न सिर्फ एक शातिर चोर है, बल्कि पिछले छह वर्षों में उसने अकेले 35 से अधिक वाहन चोरी की वारदातों को अंजाम दिया है।
दयाशंकर: कबाड़ी से गैंग लीडर तक का खतरनाक सफर
दयाशंकर का नाम जितना साधारण, उसका आपराधिक इतिहास उतना ही खौफनाक है। कभी बनारस में कबाड़ी का काम करने वाला यह शख्स आज वाहन चोरी के एक पूरे रैकेट का संचालन कर रहा था। उत्तर प्रदेश के छह से अधिक जिलों में 20 से अधिक मुकदमे इसके खिलाफ दर्ज हैं।
इस गिरोह की कार्यशैली भी बेहद शातिर थी — ड्राइवर को चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर बेहोश किया जाता और फिर पिकअप गाड़ी लेकर फरार हो जाते थे। बाद में उन गाड़ियों को या तो सीधा बेच दिया जाता या कबाड़ में काटकर उनके पार्ट्स की तस्करी की जाती थी।
अन्य आरोपियों की भूमिका और आपराधिक रिकॉर्ड
गिरफ्तार किए गए अन्य दो आरोपियों में शामिल संदीप पर पहले से ही 9 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जबकि लक्ष्मण यादव नामक तीसरा आरोपी बनारस का निवासी है और उस पर भी 5 केस दर्ज हैं। लक्ष्मण चोरी की गाड़ियों को खरीदकर कबाड़ में बदलने का काम करता था।
तकनीकी मदद से खुला नेटवर्क का राज
दयाशंकर की पहचान चार अलग-अलग सीसीटीवी लोकेशनों से ली गई तस्वीरों के जरिए हुई। जब इन तस्वीरों को पुलिस के पास मौजूद डेटा से क्रॉस-चेक किया गया, तो पूरे गिरोह की गतिविधियाँ और नेटवर्क कुछ ही सेकेंड में सामने आ गया।
गाड़ियों की तस्करी का नेटवर्क और कीमत
यह गिरोह चोरी की गाड़ियों को एमपी बॉर्डर तक भेजता था और फिर उन्हें बनारस में कबाड़ बनाकर अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई करता था। हर पिकअप की कीमत 90,000 से 1 लाख रुपये के बीच लगाई जाती थी। इस संगठित अपराध ने वाहन चोरी को एक व्यापार का रूप दे दिया था।
पुलिस की सराहनीय कार्रवाई, एसएसपी ने किया सम्मानित
अयोध्या पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल एक खतरनाक गिरोह को बेनकाब किया, बल्कि वाहन चोरी की कई घटनाओं के रहस्य से भी पर्दा उठाया। इस ऑपरेशन की सफलता पर एसएसपी अयोध्या ने पूरी टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा भी की है।
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि अपराध चाहे जितना भी शातिर क्यों न हो, कानून की पकड़ से नहीं बच सकता। अयोध्या पुलिस की तत्परता और तकनीकी दक्षता ने यह दिखा दिया कि प्रदेश में अपराधियों के लिए अब कोई जगह नहीं बची है।