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लखनऊ

ड्यूटी भूल बैठे खाकीवाले! अखिलेश यादव की तस्वीर से खिलवाड़, 6 सिपाही हुए सस्पेंड

सोशल मीडिया की गलती पर बड़ी कार्रवाई

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ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट

फिरोजाबाद में एक पुलिसकर्मी द्वारा समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के जन्मदिन पर व्हाट्सएप स्टेटस में अभद्र टिप्पणी किए जाने का मामला गरमाया। सपा कार्यकर्ताओं के विरोध और जांच रिपोर्ट के बाद एसएसपी ने 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। पढ़ें पूरा घटनाक्रम।

🔴 क्या है मामला

फिरोजाबाद ज़िले में तैनात एक पुलिसकर्मी की एक अभद्र टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बवाल मच गया है। यह मामला तब उठा जब शिकोहाबाद कोतवाली में तैनात सिपाही प्रदीप ठाकुर ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के जन्मदिन पर अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर उनकी तस्वीर के साथ अपमानजनक टिप्पणी साझा की।

इस स्टेटस के वायरल होते ही समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष शिवराज सिंह यादव ने अन्य कार्यकर्ताओं के साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सौरभ दीक्षित से मुलाकात की और कार्रवाई की मांग की। उन्होंने आरोपी सिपाही के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल भेजने और बर्खास्तगी की मांग की।

🔍 जांच के आदेश और खुलासा

शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी ने सीओ सदर चंचल त्यागी को पूरे मामले की जांच सौंपी। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से, न तो कोई आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई और न ही पुलिस मीडिया सेल द्वारा बयान दिया गया।

इसके बावजूद, शुक्रवार देर रात, सूत्रों से यह सूचना सामने आई कि जांच रिपोर्ट आने के बाद एसएसपी ने 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि अभी तक इन पुलिसकर्मियों के नाम स्पष्ट नहीं किए गए हैं।

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🧾 प्रदीप ठाकुर की तैनाती पर भी सवाल:

जब मीडिया ने अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) त्रिमोहन बेसिन से बात की, तो उन्होंने बताया कि प्रदीप ठाकुर पहले तत्कालीन एएसपी ग्रामीण अखिलेश भदौरिया का हमराही था, लेकिन वर्तमान में उसकी तैनाती शिकोहाबाद कोतवाली में है, जबकि उसकी ड्यूटी राम जन्मभूमि, अयोध्या में लगी हुई है।

इस सूचना से यह सवाल भी उठता है कि जब सिपाही अयोध्या में ड्यूटी पर था, तो उसने यह स्टेटस कब और कहां से पोस्ट किया?

🧩 क्यों बढ़ा मामला इतना संवेदनशील:

1. अखिलेश यादव की तस्वीर के साथ की गई अभद्र टिप्पणी से समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत हुईं।

2. एक सरकारी कर्मी द्वारा राजनीतिक नेता पर अभद्र टिप्पणी, लोकतांत्रिक और प्रशासनिक मूल्यों के खिलाफ है।

3. शिकायत और साक्ष्यों के बावजूद पुलिस की चुप्पी और मीडिया से दूरी, पूरे मामले को संदेहास्पद बना रही है।

🚨 अब आगे क्या?

हालांकि 6 पुलिसकर्मियों का निलंबन हुआ है, लेकिन इस पूरे मामले में किसके किस भूमिका में क्या दोष है, इसकी स्पष्टता और पारदर्शिता अभी बाकी है। समाजवादी पार्टी लगातार मांग कर रही है कि प्रदीप ठाकुर को बर्खास्त कर जेल भेजा जाए, लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज होने की पुष्टि भी नहीं हुई है।

संभावना है कि आने वाले दिनों में यदि पुलिस प्रशासन इस मुद्दे पर स्पष्ट और कड़ी कार्रवाई नहीं करता, तो यह मामला और अधिक राजनीतिक रंग ले सकता है।

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फिरोजाबाद में सामने आया यह मामला न केवल पुलिस प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सोशल मीडिया पर की गई एक छोटी सी टिप्पणी, किस तरह प्रशासनिक कार्रवाई और राजनीतिक तनाव को जन्म दे सकती है। इस प्रकरण में जल्द और पारदर्शी कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि जनता का पुलिस प्रशासन पर भरोसा बना रहे।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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