देवरिया की डीएम दिव्या मित्तल ने समाधान दिवस के दौरान ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत को गंभीरता से लिया। लापरवाही बरतने पर लेखपाल को सस्पेंड किया और अधिकारियों को फटकार लगाई। जानिए पूरा मामला।
अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
देवरिया(उत्तर प्रदेश) । देवरिया जिले की जिलाधिकारी दिव्या मित्तल इन दिनों सख्त प्रशासक के रूप में चर्चाओं में हैं। सलेमपुर तहसील में आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस के दौरान उन्होंने ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत मिलने पर लापरवाह अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की।
सबसे पहले, उन्होंने शिकायत पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए लेखपाल सुभाष गोंड को मौके पर ही निलंबित कर दिया। इसके साथ ही, डीएम मित्तल ने कानूनगो और लेखपाल को जेल भेजने की चेतावनी तक दे डाली।
भीमपुर गांव के प्रधान ने उठाया मुद्दा
दरअसल, भीमपुर गांव के प्रधान धनंजय यादव ने समाधान दिवस में शिकायत दर्ज कराई थी कि गांव की सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है और सड़क सीमांकन का कार्य भी अधूरा है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में पूर्व में एसडीएम और तहसीलदार को भी सूचित किया गया था, लेकिन कार्यवाही नहीं हुई।
डीएम ने लिया सख्त रुख
शिकायत सुनने के बाद डीएम ने मौके पर ही कानूनगो और लेखपाल से जवाब-तलबी की। जब लेखपाल ने जल्दबाजी में 6 जुलाई की तारीख तय करने की कोशिश की, तो डीएम मित्तल का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जनहित के मामलों में लापरवाही किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इसके बाद उन्होंने एसडीएम दिशा श्रीवास्तव और तहसीलदार अलका सिंह को निर्देशित किया कि ग्रामसभा की भूमि की त्वरित पैमाइश कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ डीएम का वीडियो
इस पूरी कार्रवाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें डीएम दिव्या मित्तल का तेज़ तेवर साफ तौर पर देखा जा सकता है। लोग उनके इस एक्शन मोड की सराहना कर रहे हैं और प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सख्ती लाने की दिशा में इसे अहम कदम मान रहे हैं।
लेखपाल पर गंभीर आरोप
जांच में यह सामने आया कि लेखपाल सुभाष गोंड ने न तो सीमांकन कराया था और न ही अतिक्रमण हटवाया था, जबकि तहसीलदार और एसडीएम द्वारा पहले ही टीम गठित कर दी गई थी। ऐसे में डीएम ने इसे आदेश की अवहेलना और प्रशासनिक लापरवाही माना।
डीएम दिव्या मित्तल का यह संदेश स्पष्ट है कि सरकारी जमीन और जनहित से जुड़े मामलों में कोई भी अधिकारी यदि लापरवाही करता है, तो उसे तत्काल सज़ा मिलेगी। उनका यह रुख प्रशासनिक कार्यशैली में नई ऊर्जा और जवाबदेही लाने का संकेत देता है।