पाकिस्तान में सांसद रहे डबाया राम अब भारत में कुल्फी बेचकर जी रहे हैं। जानिए उनकी संघर्ष भरी कहानी, जो सोशल मीडिया पर लोगों की आंखें नम कर रही है।
ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
भारत-पाकिस्तान के राजनीतिक रिश्तों से परे, एक ऐसी कहानी सामने आई है जो दिल को छू जाती है। डबाया राम, जो पाकिस्तान में सांसद रह चुके हैं, आज हरियाणा के फतेहाबाद में कुल्फी बेचते हुए अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं। यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उम्मीद, संघर्ष और इंसाफ की तलाश की भी है।
बेनजीर भुट्टो सरकार में थे सांसद
डबाया राम ने पाकिस्तान में बेनजीर भुट्टो की सरकार के दौरान सांसद के रूप में कार्य किया। लेकिन हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों से परेशान होकर उन्होंने 2000 में भारत की ओर रुख किया। उनका मानना था कि भारत ही वह जगह है जहां उनके बच्चों को सुरक्षित भविष्य मिल सकता है।
एक महीने का वीजा, 25 साल की जद्दोजहद
शुरुआत में वे एक महीने के वीजा पर भारत आए, लेकिन फिर हालात और ज़रूरतों के चलते वीजा को बार-बार बढ़वाया। आज उनके परिवार में 34 सदस्य हैं, जिनमें से 6 को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है। शेष 28 सदस्य अब भी नागरिकता की बाट जोह रहे हैं।
पाकिस्तान में छूटी ज़मीन, भारत में मिली शांति
डबाया राम ने बताया कि उनके दादा की 25 एकड़ ज़मीन पाकिस्तान के बखर जिले में अब भी दर्ज है। लेकिन आज उनका मन केवल भारत में बसने और शांति से जीने में लगता है। वह कहते हैं, “वहां ज़मीन थी, लेकिन डर भी था; यहां ज़मीन नहीं, पर चैन है।”
कुल्फी बेचकर बसर हो रही जिंदगी
एक समय के सांसद, अब गली-गली कुल्फी बेचते हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों ने उन्हें भरपूर समर्थन दिया है। उनकी सबसे बड़ी तसल्ली यही है कि उनके बच्चे आजादी और सुरक्षा में जी रहे हैं, भले ही वो खुद सड़क पर मेहनत कर रहे हों।
पहलगाम आतंकी हमले पर सख्त प्रतिक्रिया
हालिया पहलगाम आतंकी हमले के बाद डबाया राम ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अब वक्त आ गया है आतंकियों को उनके घर में घुसकर जवाब देने का।” उनके इस बयान ने यह साफ कर दिया कि भारत से उनका जुड़ाव सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि वैचारिक भी है।
सोशल मीडिया पर भावुक कर रही है कहानी
डबाया राम की यह कहानी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। हजारों लोग भारत सरकार से अपील कर रहे हैं कि उन्हें और उनके परिवार को जल्द नागरिकता दी जाए। कई लोग उन्हें संघर्षशील योद्धा और सच्चा देशभक्त बता रहे हैं।
डबाया राम की कहानी एक ऐसा आईना है, जिसमें दर्द, त्याग और उम्मीद सब कुछ दिखाई देता है। यह सवाल भी खड़ा करती है—क्या 25 साल के इंतजार के बाद भी न्याय और पहचान इतनी दूर होनी चाहिए?