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November 21, 2024 10:00 pm

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बुलडोजर की चोट, सरकार पर भारी: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से योगी सरकार को झटका

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर सरकारी अधिकारियों द्वारा किए गए एक अन्यायपूर्ण विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण निर्णय सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 2019 में महाराजगंज में एक मकान को ध्वस्त करने के एवज में पीड़ित व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश की विपक्षी पार्टियों, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने राज्य सरकार पर तीखे आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार और उसके अधिकारी ‘बुलडोजर’ का दुरुपयोग कर रहे हैं और आम जनता को निशाना बना रहे हैं।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का स्वागत किया और राज्य सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “जुर्माना लगाने वाली सरकार पर ही कोर्ट जुर्माना लगा रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस आदेश से यह स्पष्ट है कि प्रदेश में भाजपा के राज में अराजकता फैली हुई है। मजाकिया लहजे में अखिलेश ने यह भी पूछा कि क्या अब भाजपा सरकार अपने ही खिलाफ बुलडोजर चलाएगी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के इस रवैये को कड़ी फटकार लगाई। पीठ ने कहा कि रातों-रात बुलडोजर लेकर किसी का घर गिराना गैरकानूनी है और ऐसा करना आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को मामले की पूरी जांच कराने का निर्देश भी दिया है।

सपा प्रवक्ता शरवेंद्र बिक्रम सिंह ने भी इस फैसले का स्वागत किया और सरकार पर आरोप लगाया कि वह अधिकारियों को आम लोगों के खिलाफ बुलडोजर का दुरुपयोग करने की अनुमति देती है। सिंह ने मांग की कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए और उनके घरों के नक्शों की भी जांच की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे खुद किसी तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल नहीं हैं।

कांग्रेस पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की सराहना की और कहा कि राज्य सरकार की बुलडोजर नीति का सबसे बड़ा असर आम आदमी पर पड़ रहा है। कांग्रेस के प्रान्तीय प्रवक्ता मनीष हिंदवी ने कहा कि अधिकारी बुलडोजर लेकर लोगों के घरों पर आ धमकते हैं और उनके सपनों को चकनाचूर कर देते हैं। उन्होंने इसे एक ‘अपराध’ करार दिया और कहा कि इस तरह की विध्वंसक कार्रवाई को तुरंत बंद होना चाहिए।

इस आदेश के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करके किसी नागरिक के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता। विपक्ष का मानना है कि सरकार को अब इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए ताकि प्रदेश में आम नागरिकों के हितों की रक्षा हो सके।

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