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देवरिया: जहां इतिहास बोलता है, परंपराएं सांस लेती हैं और विकास दस्तक दे रहा होता है !! 

पारंपरिक संस्कृति से आधुनिकता की ओर बढ़ता देवरिया: एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण

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देवरिया उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक जिला है, जो न सिर्फ अपने सांस्कृतिक रिवाजों बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के कारण भी विशेष महत्व रखता है। इस विस्तृत रपट में पढ़ें देवरिया के इतिहास से लेकर वर्तमान तक की क्रमिक विकास यात्रा।

▶️मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर पर बसा देवरिया जिला एक ऐसा भूभाग है, जो सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक घटनाओं और राजनीतिक चेतना का सजीव उदाहरण है। सारगर्भित जनजीवन, विशिष्ट परंपराएं और जुझारू जनता इस क्षेत्र की पहचान हैं। यह रपट देवरिया के इतिहास, सामाजिक रिवाजों, विकास और राजनीति की परतों को क्रमशः खोलती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: पौराणिकता से आधुनिकता तक

देवरिया का नाम “देवारण्य” से उत्पन्न माना जाता है, जिसका अर्थ है “देवों का वन”। यह क्षेत्र प्राचीन काल में कोशल राज्य का हिस्सा था और माना जाता है कि भगवान राम की यह जन्मभूमि अवध से लगी होने के कारण धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।

गुप्त और मौर्य वंशों के शासनकाल में भी यह क्षेत्र प्रशासनिक दृष्टि से समृद्ध था। पुरातत्व विभाग द्वारा मिले अवशेष इस बात का प्रमाण हैं कि यह भूभाग बौद्ध और वैदिक संस्कृतियों का संगम रहा है। ब्रिटिश काल में यह गोरखपुर जनपद का हिस्सा था, लेकिन 16 मार्च 1946 को इसे स्वतंत्र जिले का दर्जा प्राप्त हुआ।

सामाजिक रिवाज और सांस्कृतिक पहचान

देवरिया का समाज पारंपरिक और समावेशी है। यहां की लोकसंस्कृति में भोजपुरी गीतों का विशेष स्थान है। विवाह, जन्म और पर्व-त्योहारों में सोहर, कजरी, चैता, झूमर और फगुआ जैसे गीत गाए जाते हैं।

विवाह प्रथा में ‘हल्दी’, ‘मटकोड़’, ‘बरात’ और ‘द्वारचार’ जैसे आयोजन न केवल रीति-रिवाज का हिस्सा हैं, बल्कि सामाजिक सहभागिता और सामूहिकता का प्रतीक भी हैं।

सूर्यास्त की पृष्ठभूमि में एक प्राचीन भारतीय मंदिर और विशाल वृक्ष का दृश्य

त्योहारों की बात करें तो छठ पूजा, होली, दीपावली और दुर्गापूजा को पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। खास बात यह है कि यहाँ कुश्ती और अखाड़ा संस्कृति भी जीवित है, जो युवाओं को शारीरिक और नैतिक रूप से जागरूक करती है।

देवरिया का क्रमिक विकास: ग्रामीणता से नगरीकरण की ओर

देवरिया मुख्यतः एक कृषि-प्रधान जिला रहा है। लेकिन समय के साथ यहाँ शैक्षिक, औद्योगिक और बुनियादी ढांचे में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं।

1. शिक्षा:

देवरिया में उच्च शिक्षा के कई संस्थान हैं, जिनमें देवराहा बाबा पी.जी. कॉलेज, एम.एम.एम. विश्वविद्यालय (निकटवर्ती गोरखपुर) से संबद्ध महाविद्यालय शामिल हैं। शिक्षा का स्तर ग्रामीण क्षेत्रों में भी सतत रूप से उन्नत हो रहा है।

2. बुनियादी ढाँचा:

जिले में सड़कें, रेलवे नेटवर्क और बिजली व्यवस्था में सुधार हुआ है। देवरिया सदर रेलवे स्टेशन पूर्वोत्तर रेलवे का महत्वपूर्ण जंक्शन है।

3. कृषि और उद्योग:

धान, गेहूं, गन्ना और दलहन की प्रमुख पैदावार होती है। इसके साथ ही लघु एवं कुटीर उद्योग, जैसे मूर्तिकला, हथकरघा और बुनाई, रोजगार के प्रमुख स्रोत हैं।

4. स्वास्थ्य सेवाएं:

जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और कई निजी नर्सिंग होम स्वास्थ्य सेवा में योगदान दे रहे हैं। फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधार की मांग करती है।

राजनीतिक परिदृश्य: जनांदोलन से जनप्रतिनिधित्व तक

देवरिया का राजनीतिक इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से शुरू होता है। यहाँ के नागरिकों ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भाग लिया था।

स्वतंत्र भारत में देवरिया विधानसभा और संसदीय क्षेत्र दोनों ही बड़े राजनीतिक रूप से संवेदनशील और सक्रिय रहे हैं।

प्रमुख राजनीतिक हस्तियाँ

कलराज मिश्र (पूर्व सांसद, वर्तमान में राज्यपाल)

रामेश्वर सिंह यादव (पूर्व मंत्री)

रमापति राम त्रिपाठी (वर्तमान सांसद, भाजपा)

इन नेताओं का क्षेत्रीय राजनीति में अहम योगदान रहा है।

राजनीतिक रूप से यहाँ पर भाजपा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे दलों का प्रभाव रहा है। हाल के वर्षों में भाजपा की स्थिति मजबूत रही है, परंतु समाजवादी पार्टी भी ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी जड़ें बनाए हुए है।

सामाजिक समस्याएं और चुनौतियाँ

हालांकि देवरिया का विकास संतोषजनक रहा है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ अब भी मुंह बाए खड़ी हैं:

बेरोजगारी: ग्रामीण युवाओं के लिए रोज़गार के पर्याप्त अवसर नहीं हैं।

स्वास्थ्य और पोषण: कुपोषण और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी विशेषकर आदिवासी व दलित वर्गों में देखी जाती है।

महिला सशक्तिकरण: शिक्षा और जागरूकता बढ़ने के बावजूद महिलाओं की सामाजिक भागीदारी अभी सीमित है।

संभावनाएं और समाधान

देवरिया में पर्यटन, कृषि-आधारित उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। यदि स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार मिलकर योजनाबद्ध विकास करें तो यह जिला पूर्वांचल का एक मॉडल बन सकता है।

धार्मिक पर्यटन: ऐतिहासिक मंदिर और पौराणिक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।

कृषि-प्रसंस्करण इकाइयाँ: किसानों को जोड़कर कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित की जा सकती हैं।

शहरीकरण: स्मार्ट सिटी योजनाओं के अंतर्गत देवरिया को आधुनिक नगरीय सुविधाओं से लैस किया जा सकता है।

देवरिया, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से जागरूक जिला है।

यहाँ की परंपराएं, संघर्षशीलता और सामाजिक सौहार्द इसे विशेष बनाते हैं। यदि नीति निर्धारक, प्रशासन और समाज मिलकर एक साझा दृष्टिकोण अपनाएं तो देवरिया निकट भविष्य में न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश के अग्रणी जिलों में गिना जा सकता है।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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