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चित्रकूट

सरदार पटेल इण्टर कालेज रैपुरा के मामले में पत्रकार ‘संजय सिंह राणा’ पर कार्यवाही के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर की कार्यवाही की मांग

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

चित्रकूट। सरदार पटेल इण्टर कॉलेज रैपुरा के 11वीं की छात्रा को बंधक बनाकर गायब किए जाने व उपरोक्त मामले में पीड़ित पति से फिरौती मांगने वाले बहुचर्चित मामले में एक नया मोड़ सामने आ गया है। 

विद्यालय के प्रबंधक मइयादीन पटेल पुत्र स्व. सुरिज भान निवासी ग्राम रैपुरा थाना रैपुरा हाल मुकाम कोतवाली के पीछे कर्वी चित्रकूट, प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार सिंह पुत्र हनुमान प्रसाद निवासी रैपुरा थाना रैपुरा व प्रधानाचार्य का साला मिथलेश पटेल पुत्र केशव निवासी ग्राम रैपुरा थाना रैपुरा चित्रकूट ने पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ, माननीय अध्यक्ष राज्य मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ, पुलिस महानिरीक्षक प्रयागराज जोन प्रयागराज, पुलिस उप महानिरीक्षक चित्रकूट धाम मण्डल बांदा, पुलिस अधीक्षक महोदया चित्रकूट, जिलाधिकारी महोदय चित्रकूट, प्रभारी निरीक्षक थाना रैपुरा, माननीय राज्य सूचना आयोग लखनऊ व माननीय ज़िला सूचना अधिकारी चित्रकूट को लिखे गए पत्र में पत्रकार संजय सिंह राणा के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की गई है l

शासन प्रशासन व जिले के उच्चाधिकारियों को लिखे गए पत्र में सरदार पटेल इण्टर कालेज रैपुरा के प्रबंधक मइयादीन पटेल,प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार सिंह व मिथलेश पटेल द्वारा बताया गया कि विद्यालय के प्रबंधक मइयादीन पटेल पुत्र स्व सुरिजपाल राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक हैं जो सेवानिवृत हैं। वहीं कृष्ण कुमार सिंह सरदार पटेल इण्टर कॉलेज रैपुरा के प्रधानाचार्य के पद पर आसीन हैं। प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार सिंह का साला मिथलेश पटेल 11वीं की छात्रा के पति से फिरौती मांगने के मामले में मुख्य आरोपी है जिनके द्वारा शासन प्रशासन व जिले के उच्चाधिकारियों को लिखे गए पत्र में बताया गया कि 11वीं की छात्रा व दो बच्चों की मां को लेकर फरार होने वाले शिक्षक सुरेश कुमार पांडेय व उसका सहयोग करने वाले शिक्षक शांतिशरण व शिवगोपाल सिंह के द्वारा किए गए कृत्य को सही साबित किया है। इस मामले में प्रबंधक, प्रधानाचार्य व प्रधानाचार्य के साले के शामिल होने की ख़बर प्रकाशित करने वाले पत्रकार संजय सिंह राणा के विरूद्ध कार्यवाही की मांग की गई है।

विद्यालय के प्रबंधक मइयादीन पटेल पुत्र स्व सुरिजपाल पटेल,प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार सिंह पुत्र हनुमान प्रसाद व प्रधानाचार्य के साले मिथलेश पटेल द्वारा शासन प्रशासन व जिले के उच्चाधिकारियों को लिखे गए पत्र में अनुसूचित जाति की महिला को हरिजन शब्द का इस्तेमाल करते हुए अपमानित करने का काम किया गया है। जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों को हरिजन कहने पर आपत्ति जताई है व अनुसूचित जाति के लोगों को हरिजन कहने वालों के विरूद्ध गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का प्राविधान है l

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माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हरिजन शब्द को माना अपराधिक

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी हरिजन शब्द को आपराधिक माना है। केंद्र व केरल राज्य की सरकार भी अलग-अलग अध्यादेश द्वारा प्रतिबंध लगा चुकी है। हरिजन शब्द के प्रयोग पर संशोधित अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार अधिनियम व भारतीय दंड संहिता की धाराओं में केस दर्ज हो सकता है, व जाना पड़ सकता है जेल। हरिजन शब्द का प्रयोग करने वाले लोगों व सरकारी काम काज में इसका इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हो सकता है। महात्मा गांधी द्वारा भारत के अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय के लोगों के लिए उपयोग किए गए शब्द हरिजन का प्रयोग करना अब महंगा पड़ सकता है।

नेशनल एलाइंस फॉर दलित हुमन राइट्स के संयोजक व दलित राइटस एक्टिविस्ट, अधिवक्ता रजत कल्सन के अनुसार महात्मा गांधी द्वारा देश के अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लिए इज़ाद किए गए शब्द हरिजन का शुरू से ही विरोध रहा है। उनके अनुसार भारत का अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय शुरू से ही इस शब्द को अपने लिए अपमान जनक मानता आ रहा है तथा इस पर रोक लगाने के लिए आजादी के बाद से ही आवाज उठनी शुरू हो गई थी।

भारत की राष्ट्रपति ने भारत सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के पत्र दिनांक 22-11-12 व क्रमांक 17020/64/2010 / SCD (RL CELL) के मार्फत सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को सर्कुलर जारी कर हरिजन शब्द के सरकारी काम काज में इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगाने के आदेश दिए हुए हैं। इसी के साथ सन 2008 में केरल सरकार भी हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर पूर्णतया रोक लगा चुकी है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की मोहर भी लग गई है ।

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सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले क्रिमिनल अपील नम्बर 570/17 में मंजू सिंह बनाम ओंकार सिंह आहलूवालिया में 24 मार्च 2017 को आरोपी ओंकार सिंह अहलूवालिया द्वारा हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर दर्ज हुए मुकदमे में हाई कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार की धारा 18 में अग्रिम जमानत पर प्रतिषेध के बावजूद जमानत दिए जाने के आदेश को खारिज करते हुए हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी टिप्पणी की तथा बैंच ने कहा कि इस बात का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरिजन शब्द का इस्तेमाल उच्च जाति के लोगों द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों को नीचा दिखाने व अपमानित करने के लिए किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हरिजन शब्द का प्रयोग अपमान जनक के साथ-साथ आपराधिक भी है, इसलिए इस तरह के मामलों में अपराधी को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हरिजन शब्द का इस्तेमाल जानबूझकर एक जाति विशेष को नीचा दिखाने व अपमानित करने के लिए किया जा रहा है ।

सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा किदेश का नागरिक होने के नाते हमें एक बात अपने दिल और दिमाग में रखनी चाहिए कि हम देश के किसी भी नागरिक को इस तरह की भाषा का प्रयोग कर नीचा दिखाना या अपमानित नहीं कर सकते अगर ऐसा करते हैं तो यह आपराधिक होगा।

इन दिनों पुलिस व सरकारी अधिकारियों द्वारा सरकारी कामकाज में भारत सरकार के उपरोक्त निर्देश व सुप्रीम कोर्ट की उपरोक्त जजमेंट के बावजूद हरिजन शब्द का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है तथा सरकारी अधिकारी तथा लोग जानबूझकर सरकारी आदेशों व कोर्ट के आदेशों की आपराधिक अवहेलना कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि यदि उनके संज्ञान में इस तरह का कोई मामला आता है कि सरकारी या पुलिस विभाग का कोई कर्मचारी या अधिकारी अपने सरकारी कामकाज में हरिजन शब्द का प्रयोग कर रहा है तो वह उसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने का काम करेंगें। इस शब्द का इस्तेमाल करने पर उसके खिलाफ एससी एसटी एक्ट की धारा 3(1) (आर) (एस) (यू) व आईपीसी की धारा 295 A व 505 के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है तथा इसमें जेल भी जाना पड़ सकता है तथा अपराध साबित होने पर आरोपी को कम से कम 5 साल तक की सजा भी हो सकती है। उन्होंने दलित समाज को संदेश दिया कि यदि उनके मामले में इस तरह का कोई मामला संज्ञान में आता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का काम करें ताकि इस तरह के शब्द के प्रयोग करने वालों पर लगाम लगाई जा सके l

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पत्रकार संजय सिंह राणा करेंगे मुकदमा दर्ज

सरदार पटेल इण्टर कॉलेज रैपुरा के प्रबंधक व राष्ट्रपति पुरस्कृत सेवानिवृत्त शिक्षक मइयादीन पटेल पुत्र स्व सुरिजपाल पटेल,प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार सिंह पुत्र हनुमान प्रसाद व प्रधानाचार्य के साले मिथलेश पटेल द्वारा शासन प्रशासन व जिले के उच्चाधिकारियों को लिखे गए पत्र में अनुसूचित जाति के पीड़ित को हरिजन शब्द का उपयोग करके अपमानित किया गया है मामले को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठ पत्रकार/ सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह राणा ने अनुसूचित जाति के पीड़ित को हरिजन शब्द का इस्तेमाल कर अपमानित करने वाले सरदार पटेल इण्टर कालेज रैपुरा के प्रबंधक,प्रधानाचार्य व प्रधानाचार्य के साले द्वारा किए गए कृत्य में घोर निन्दा की है व अनुसूचित जाति के लोगों को हरिजन शब्द का इस्तेमाल करते हुए अपमानित करने वालों पर सख्त कार्यवाही की मांग की है अनुसूचित जाति के पीड़ित को हरिजन शब्द का इस्तेमाल करते हुए अपमानित करने वालों पर मुकदमा दर्ज करवाने हेतु ज़िम्मेदार अधिकारियों को शिकायती दिया जायेगा जिससे आरोपियो पर सख्त से सख्त कार्यवाही हो सके l

उपरोक्त मामले की जानकारी मिलने पर पत्रकार संजय सिंह राणा ने कहा कि अनुसूचित जाति के पीड़ित को हरिजन शब्द का इस्तेमाल करते हुए अपमानित करने वालों पर पुलिस प्रशासन मुकदमा पंजीकृत करते हुए सख्त से सख्त कार्यवाही करने का काम करे जिससे अनुसूचित जाति के लोगों को दोबारा कोई हरिजन शब्द का इस्तेमाल कर अपमानित करने की कोशिश न कर सके। 

वहीं वरिष्ठ पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह राणा ने सरदार पटेल इण्टर कॉलेज रैपुरा में हुए मामले की जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही की मांग की है l

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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