नौशाद अली की रिपोर्ट
गोंडा। ग्राम प्रधान व सेक्रेटरी खा गए मजदूरों की मजदूरी जिसे दिलाने में प्रशासन का छूट रहा है पसीना।
सोंच ईमानदार काम दमदार वाली सरकार में मजदूरों का पैसा हजम करने वालों पर ना तो कोई कार्रवाई तय हो रही है और ना ही मजदूरों को उनकी मजदूरी का पैसा मिल पा रहा है।
दरअसल बीते वर्ष 2019 में मुजेहना विकास खण्ड के ग्राम पंचायत रुद्रगढ़ नौसी में स्थित गौ आश्रय केंद्र का संचालन करने वाले केयर टेकर और उनके साथ काम करने वाले मजदूरों को आज तक मजदूरी नही मिल पाई है।
जिसके लिए केयर टेकर चार साल से भटक रहा है, कभी जिलाधिकारी कभी खण्ड विकास अधिकारी कभी सेक्रेटरी तो कभी ग्राम प्रधान की चौखट पर माथा टेकने के बावजूद उसे हर बार यही जबाब मिलता है कि आपके पास काम करने व मजदूरी बकाया होने का साक्ष्य नही है इसलिए भुगतान सम्भव नही है।
जिसके बाद साक्ष्य जुटाने के लिए केयर टेकर ने आर टी आई के तहत जन सूचना मांगी, जिसमे पहली मांग ये थी कि चार जून 2019 से 20 जुलाई 2019 तक आश्रय केंद्र का संचालन किसके द्वारा किया गया, दूसरा यह कि आश्रय केंद्र में कितने मजदूरों ने कार्य किया, तीसरा यह की उन मजदूरों की दैनिक मजदूरी कितनी निर्धारित थी? चौथा यह की मजदूरों को कुल कितना भुगतान किन माध्यमों से किया गया?
केयर टेकर ने पहली सूचना खण्ड विकास अधिकारी से मांगी, जिसका उचित जबाब न मिलने पर मुख्य विकास अधिकारी से द्वितीय अपील की लेकिन आज तक उसे सूचना तक उपलब्ध नही कराई गयी।
केयर टेकर की शिकायत पर हर बार उच्चाधिकारियों को बकायेदारी का साक्ष्य न की रिपोर्ट भेज दी जाती है।
पर किसी अधिकारी ने यह जानने की कोशिश नही की की अगर शिकायत कर्ता ने 12 मजदूरों के साथ संचालन नही किया तो उन तिथियों ने किसके द्वारा ब्यवस्था संचालित की गयी अथवा उन तिथियों में जिन मजदूरों ने कार्य किया उनको भुगतान देने सम्बन्धी अखिलेख कहाँ है।
हालांकि केयर टेकर द्वारा मांगी जा रही मजदूरी और आश्रय केंद्र संचलान की सच्चाई यहां के जितने जिम्मेदारी लोग हैं चाहे वो ब्लॉक प्रमुख हों, ग्राम प्रधान हों, चिकित्सा अधिकारी हों फिर समाज के सक्रिय लोग हों सभी जानते हैं कि गौ शाला निर्माण के लिए वृहद आंदोलन चलाने वाले प्रदीप कुमार शुक्ला जहां गौ शाला निर्माण के लिए लम्बे समय से मांग कर रहे थे।
यूपी में योगी की सरकार बनने के बाद मुख्य मंत्री ने वहां प्रदेश की प्रथम मॉडल गौ शाला बनाने का आदेश दिया था। उसी गौ आश्रय केंद्र का संचालन भी उनके द्वारा किया गया है जिसमे काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी दिलाने के लिए चार साल से नाक रगड़ रहे हैं। उन्हें ही ग्राम प्रधान व सेक्रेटरी झूठा साबित करते आ रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि कागजों में मजदूरी का भुगतान तो हुआ लेकिन किसे मिले इसका कुछ पता नही है। ना ही किसी अधिकारी ने इससे सम्बंधित अखिलेख तलब किया है।
Author: samachar
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