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November 23, 2024 12:02 am

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पुराने के लिए साधना और नए के लिए आराधना ; आखिर नये साथियों की तलाश में क्यों है (BJP) भाजपा?

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मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट 

2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल एकजुट होने लगे हैं। मसलन- नए संसद भवन के उद्घाटन का एक साथ 19 पार्टियों ने विरोध किया था। केजरीवाल सरकार की ताकत कम करने वाले अध्यादेश के विरोध में भी एक दर्जन पार्टियां आम आदमी पार्टी के साथ हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले BJP अपनी स्ट्रैटजी बदलने को क्यों मजबूर हुई और इससे पार्टी क्या हासिल करना चाहती है?

BJP की नई स्ट्रैटजी अपने आक्रामक विस्तारवादी एजेंडे को दरकिनार कर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एलायंस यानी सहयोगियों पर ध्यान केंद्रित करना है। इसके संकेत इन 2 खबरों से मिलते हैं…

28 मई 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों के साथ 6 घंटे की बैठक की। मोदी ने पार्टी नेताओं से कहा कि वह NDA में शामिल सहयोगी दलों को भरोसा दिलाएं कि भाजपा अपने साथियों को पूरा मौका और सम्मान देती है। BJP का ध्यान हमेशा से ही क्षेत्रीय आकांक्षाओं पर केंद्रित रहा है और यह धारणा बिल्कुल नहीं होनी चाहिए कि वह क्षेत्रीय दलों के साथ सहज नहीं है।

अप्रैल 2023: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह BJP नेताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। इसी दौरान वहां डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस के करीबी एक उत्साही MLC बताना चाह रहे थे कि शिव सैनिक शिंदे की सेना में नहीं आ रहे हैं। शाह ने उनसे कहा, ‘आप बैठ जाइए, बैठ जाइए। मोदी जी को सब कुछ पता है।’

BJP किन वजह से नए सहयोगियों को तलाश रही है?‌

तमिलनाडु में AIADMK, महाराष्ट्र में शिंदे की शिवसेना और हरियाणा में जननायक जनता पार्टी को छोड़कर, केंद्र में BJP के पास कोई महत्वपूर्ण सहयोगी नहीं है जो राज्य स्तर पर खास फर्क डाल सके। 2024 में इन तीनों की चुनावी क्षमता पर भी सवालिया निशान हैं।

दक्षिण में अपना सबसे सुरक्षित किला कर्नाटक खोने के बाद BJP उन राज्यों के बारे में आशावादी नहीं हो सकती, जहां उसकी जड़े कमजोर हैं। इनमें से ज्यादातर दक्षिण और पूर्व के राज्य हैं। यहां पर कांग्रेस को हटाकर क्षेत्रीय ताकतें मजबूत हुई हैं और ये ही BJP की राह में सबसे बड़ा रोड़ा हैं। राज्यों के हिसाब से हालात जानते हैं…

बिहार, महाराष्ट्र : JDU और उद्धव की शिवसेना का विकल्प चाहिए

नई संसद के उद़्घाटन का बहिष्कार जिन 19 पार्टियों ने किया उनमें JDU और उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी शामिल थी। ये दोनों पार्टियां 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP की सहयोगी रही चुकी हैं।

2019 में BJP ने 303 सीटें जीतीं। वहीं सहयोगियों ने 50 सीटें। इनमें भी JDU और शिवसेना ने अकेले 34 सीटें जीतीं। यानी एक बड़ा हिस्सा इन दोनों पार्टियों ने जीता जो अब BJP की सहयोगी नहीं बल्कि विरोधी हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव के समय NDA में 26 पार्टियां थीं। BJP ने इस चुनाव में 282 सीटें जीतीं, जबकि सहयोगियों ने 54 सीटें जीती थीं। शिवसेना ने सबसे ज्यादा 18, TDP ने 16, LJP ने 6, अकाली दल ने 4, RLSP ने 3 और अन्य सीटें बाकी छोटे दलों ने जीतीं।

इनमें से TDP के साथ ही अकाली दल जैसी पार्टियां भी अब BJP की सहयोगी नहीं हैं। BJP गठबंधन ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में से 31 सीटें जीती थीं, लेकिन 2019 में JDU के साथ आने से यह संख्या 39 पहुंच गई थी। यानी JDU के आने से BJP को सीधे-सीधे 8 सीटों को फायदा हुआ।

JDU अब BJP से दूर जा चुकी है। LJP दो फाड़ हो चुकी है। ऐसे में यह सवाल है कि क्या LJP के पशुपतिनाथ पारस अब रामविलास पासवान की जगह ले सकते हैं। वहीं पशुपतिनाथ पारस को रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान भी चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में 2024 के चुनाव में BJP को यहां पर नए सहयोगियों की जरूरत पड़ेगी।

BJP शिवसेना में भी दो फाड़ कर चुकी है। कुछ सर्वे भी सामने आए हैं जिनमें कहा जा रहा है कि इससे BJP को नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह सर्वे महाराष्ट्र के प्रमुख मीडिया हाउस सकाल टाइम्स ने किया है।

इसमें बताया गया है कि यदि राज्य में अभी विधानसभा चुनाव होते हैं तो BJP सबसे बड़ी पार्टी रहेगी, लेकिन शिंदे की शिवसेना का प्रदर्शन कुछ खास नहीं होगा। हालांकि, यहां गौर करने वाली बात है कि महाराष्ट्र का पवार परिवार सकाल टाइम्स का मालिक है।

आंध्र, तेलंगाना और ओडिशा : BJP को मजबूत सहयोगी की जरूरत

आंध्रप्रदेश का सिनैरियो इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। जगन मोहन रेड्‌डी की अगुआई वाली YSR कांग्रेस अब राज्य में कांग्रेस को उभरने नहीं दे रही है और BJP को पैर जमाने से रोक रखा है।

BJP के लिए जगन ओडिशा के CM नवीन पटनायक जैसे हैं। जगन भी पूरी तरह से पटनायक के रास्ते पर चल रहे हैं। वह पटनायक की तरह ही BJP और कांग्रेस से समान दूरी बनाए हुए हैं। मिड पॉइंट पर खड़े रहकर पटनायक और जगन ने मोदी सरकार के साथ वर्किंग रिलेशन बनाए हैं। इससे उनके राज्यों को केंद्र की लगातार सहायता भी मिल रही है।

BJP का सेंट्रल कमांड 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जगन और पटनायक को जरूरतमंद दोस्त मान रहा है। यानी उस वक्त ज्यादा सहयोगियों की जरूरत पड़ने पर ये काम आ सकते हैं। हालांकि आंध्र में BJP अभी असमंजस की स्थिति में है।

ऐसे में यह सवाल है कि BJP राज्य में किसके साथ जाना पसंद करेगी TDP या YSR कांग्रेस। BJP के पास आंध्र में पवन कल्याण की जन सेना पार्टी जैसी सहयोगी भी है, लेकिन आंकड़े सुकून देने वाले नहीं हैं।

2019 के विधानसभा चुनाव में YSR कांग्रेस क्लीन स्वीप करते हुए 175 में से 151 सीट जीती थी। TDP ने 23 और जन सेना को 1 सीट मिली, जबकि कांग्रेस और BJP को एक भी सीट नहीं मिली।

हालांकि वोट शेयर से पता चलता है कि TDP को भले ही सीट कम मिली, लेकिन उसका वोट बैंक बहुत नहीं खिसका। इस दौरान YSR कांग्रेस को 49.95% और TDP को 39.26% वोट मिले। वहीं जन सेना को 5.53%, कांग्रेस को 1.17% और BJP को 0.84% वोट मिला था।

आंध्र प्रदेश BJP जगन की ईसाई धर्मांतरण नीति से भी असमंजस में है। इसकी वजह है BJP धर्मांतरण को लेकर काफी सख्त नीति की बात करती है। वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में YSR कांग्रेस ने 25 में से 22 सीटों पर जीत हासिल की थी।

यहां तक कि पड़ोसी तेलंगाना में, जहां से BJP को बड़ी उम्मीदें हैं, वहां पर 2018 के विधानसभा चुनाव में TDP एक मामूली खिलाड़ी के रूप में सिमट गई और उसे सिर्फ 3.5% वोट के साथ सिर्फ तीन सीटें मिलीं। ऐसे में तेलंगाना में भी TDP को सहयोगी बनाने को लेकर पसोपेश है। हालांकि, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार के बाद BJP अब रिस्क लेने के मूड में नहीं है।

पंजाब : पुराने दोस्त से फिर जुड़ने की जरूरत

पंजाब दूसरा राज्य है जहां भाजपा को एक सहयोगी की जरूरत है और अकाली दल एक पुराने दोस्त की प्रतीक्षा कर रहा है। BJP सूत्रों ने दावा किया कि 2017 के बाद से लगातार हार के बाद अकाली दल को BJP के समर्थन की ज्यादा जरूरत थी। यह उतना ही मजबूत है जितना हाल ही में जालंधर लोकसभा सीट के उपचुनाव के नतीजों ने दिखाया।

जालंधर सीट को आप ने जीता और उसे 34.05% वोट मिले। कांग्रेस को 27.4%, BJP को 15.2% और अकाली दल को 17.9% वोट मिले। यानी अगर दोनों को मिला दें ता यह 33.1% होता है। यह आप से सिर्फ 1% कम है और कांग्रेस से ज्यादा।

हालांकि, जमीन पर क्या यह गठबंधन फिर से BJP के हिंदू समर्थकों के साथ अकालियों के पारंपरिक जाट वोटों को एक साथ लाने का काम करेगा या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा।

कर्नाटक : JDS की ओर देख रही BJP

कर्नाटक में लोकसभा की कुल 28 लोकसभा सीटें है। 2019 लोकसभा चुनाव में BJP ने 28 सीटों में से 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं कांग्रेस और JDS को एक-एक सीट से संतोष करना पड़ा था। हालांकि, अब विधानसभा चुनाव के बाद राज्य के सियासी समीकरण बदल गए हैं।

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में हार के बाद BJP यहां पर भी सहयोगी की तलाश है। BJP की नजर देवगौड़ा की JDS पर है। इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42.9% वोट शेयर के साथ 135 सीटें जीतीं।

वहीं BJP ने 36% वोट शेयर के 66 सीटें और JDS ने 13.3% वोट शेयर के साथ 19 सीटें जीतीं। यानी यहां पर अगर BJP और JDS का वोट शेयर मिला दें तो यह 49.3% हो जाता है, जो कांग्रेस से लगभग 7% ज्यादा है।

पहले भी BJP और JDS मिलकर कर्नाटक में सरकार बना चुकी हैं। मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में JDS के प्रदर्शन की समीक्षा बैठक के बाद एचडी देवेगौड़ा ने भी BJP के साथ दोस्ती के संकेत दिए हैं। 2024 में BJP के साथ गठबंधन के सवाल पर एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि मैं राष्ट्रीय राजनीति का विश्लेषण कर सकता हूं,लेकिन इसका क्या फायदा है?

उन्होंने कहा कि देश में कोई ऐसी पार्टी है, जो BJP के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी न रही हो। देवेगौड़ा ने आगे कहा कि कांग्रेस यह तर्क दे सकती है कि उसने कभी भी BJP के साथ गठबंधन नहीं किया, लेकिन क्या DMK NDA का हिस्सा नहीं रही है।


Special report by Mohan Dwivedi 

Opposition parties have started uniting before the 2024 Lok Sabha elections.  For example, the inauguration of the new Parliament House was opposed by 19 parties simultaneously.  A dozen parties are also with the Aam Aadmi Party in protest against the ordinance reducing the power of the Kejriwal government.

 Why was the BJP forced to change its strategy before the Lok Sabha elections and what does the party want to achieve from this?

 The new strategy of the BJP is to focus on alliances for the 2024 Lok Sabha elections, bypassing its aggressive expansionist agenda.  Its indications are found in these 2 news…

 28 May 2023: Prime Minister Narendra Modi held a 6-hour meeting with Chief Ministers and Deputy Chief Ministers in Delhi.  Modi asked party leaders to assure allies in the NDA that the BJP gives full opportunity and respect to its allies.  BJP’s focus has always been on regional aspirations and there should not be any impression that it is not comfortable with regional parties.

 April 2023: Union Home Minister Amit Shah was meeting with BJP leaders.  Meanwhile, an enthusiastic MLC close to Deputy CM Devendra Fadnavis wanted to tell that Shiv Sainiks are not joining Shinde’s army.  Shah said to him, ‘You sit down, sit down.  Modi ji knows everything.

Why is BJP looking for new allies?

 Barring the AIADMK in Tamil Nadu, Shinde’s Shiv Sena in Maharashtra and the Jannayak Janata Party in Haryana, the BJP has no significant allies at the Center that can make a difference at the state level.  There are also question marks on the electoral capability of these three in 2024.

 Having lost Karnataka, its most secure fort in the south, the BJP cannot be optimistic about the states where it has weak roots.  Most of these are in the states of South and East.  Here the regional forces have become stronger by removing Congress and they are the biggest obstacle in the way of BJP.  Know the situation according to the states…

Bihar, Maharashtra: Need an alternative to JDU and Uddhav’s Shiv Sena

 JDU and Uddhav Thackeray’s Shiv Sena were among the 19 parties that boycotted the inauguration of the new parliament.  Both these parties have been allies of the BJP in the 2019 Lok Sabha elections.

 In 2019, BJP won 303 seats.  And the allies got 50 seats.  In this also JDU and Shiv Sena won 34 seats alone.  That is, a large part was won by these two parties, which are now not allies of BJP but are opponents.

 At the time of the 2014 Lok Sabha elections, there were 26 parties in the NDA.  BJP won 282 seats in this election, while allies won 54 seats.  Shiv Sena won the maximum 18 seats, TDP 16, LJP 6, Akali Dal 4, RLSP 3 and rest of the seats were won by smaller parties.

 Out of these, parties like TDP as well as Akali Dal are also no longer allies of BJP.  The BJP alliance had won 31 out of 40 seats in Bihar in the 2014 Lok Sabha elections, but in 2019 the number reached 39 with the JDU coming together.  That is, due to the arrival of JDU, BJP directly benefited 8 seats.

JDU has now gone away from BJP.  LJP has split into two.  In such a situation, the question is whether Pashupatinath Paras of LJP can now replace Ram Vilas Paswan.  At the same time, Chirag Paswan, son of Ram Vilas Paswan, is also challenging Pashupatinath Paras.  In such a situation, in the 2024 elections, BJP will need new allies here.

 BJP has split Shiv Sena also.  Some surveys have also come out in which it is being said that BJP may have to suffer due to this.  This survey has been done by Maharashtra’s leading media house Sakal Times.

 It has been told that if assembly elections are held in the state now, BJP will remain the single largest party, but the performance of Shinde’s Shiv Sena will not be much.  However, it is worth noting here that the Pawar family of Maharashtra owns Sakal Times.

Andhra, Telangana and Odisha: BJP needs a strong ally

 The scenario of Andhra Pradesh is the best example of this.  The YSR Congress led by Jagan Mohan Reddy is no longer allowing the Congress to emerge in the state and has prevented the BJP from gaining a foothold.

 For BJP, Jagan is like Odisha CM Naveen Patnaik.  Jagan is also fully following the path of Patnaik.  Like Patnaik, he is maintaining an equal distance from the BJP and the Congress.  By standing on the mid-point, Patnaik and Jagan have built a working relationship with the Modi government.  Due to this, their states are also getting continuous assistance from the Center.

 The BJP’s central command is considering Jagan and Patnaik as needy friends keeping in mind the circumstances after the 2024 Lok Sabha elections.  That is, when more allies are needed at that time, they can come in handy.  However, the BJP in Andhra is still in a state of confusion.

 In such a situation, the question is that with whom BJP would like to go with in the state, TDP or YSR Congress.  The BJP also has allies in Andhra like Pawan Kalyan’s Jana Sena Party, but the figures are not reassuring.

YSR Congress won 151 out of 175 seats in the 2019 assembly elections with a clean sweep.  TDP got 23 and Jana Sena got 1 seat, while Congress and BJP did not get even a single seat.

 Although the vote share shows that TDP may have got less seats, but its vote bank did not change much.  During this, YSR Congress got 49.95% and TDP got 39.26% votes.  While Jana Sena got 5.53%, Congress got 1.17% and BJP got 0.84% votes.

 Andhra Pradesh BJP is also confused with Jagan’s Christian conversion policy.  The reason for this is that the BJP talks about a very strict policy regarding conversion.  And in the 2019 Lok Sabha elections, YSR Congress won 22 out of 25 seats.

 Even in neighboring Telangana, where the BJP has high hopes, the TDP was reduced to a minor player in the 2018 assembly elections, winning just three seats with just 3.5% of the vote.  In such a situation, there is a tussle in Telangana to make TDP an ally.  However, after the defeat in the Karnataka assembly elections, the BJP is no longer in a risk-taking mood.

 Punjab: Need to reconnect with old friend

 Punjab is another state where the BJP needs an ally and the Akali Dal is waiting for an old friend.  BJP sources claimed that the Akali Dal needed the BJP’s support more after the series of defeats since 2017.  It is as strong as the results of the recent Jalandhar Lok Sabha bypoll results showed.

 AAP won the Jalandhar seat and got 34.05% votes.  Congress got 27.4%, BJP 15.2% and Akali Dal 17.9% votes.  Means if both are combined then it is 33.1%.  This is just 1% less than AAP and more than Congress.

 However, whether this alliance will again work to bring together the traditional Jat votes of the Akalis with the Hindu supporters of the BJP on the ground, only time will tell.

Karnataka: BJP looking towards JDS

 Karnataka has a total of 28 Lok Sabha seats.  In the 2019 Lok Sabha elections, BJP had won 26 out of 28 seats.  Whereas Congress and JDS had to satisfy with one seat each.  However, now after the assembly elections, the political equations of the state have changed.

 After the defeat in the assembly elections in Karnataka, BJP is looking for an ally here too.  BJP is eyeing Deve Gowda’s JDS.  In this assembly election, Congress won 135 seats with a vote share of 42.9%.

 BJP won 66 seats with 36% vote share and JDS won 19 seats with 13.3% vote share.  That is, if the vote share of BJP and JDS is mixed here, then it becomes 49.3%, which is about 7% more than Congress.

 Earlier also BJP and JDS together formed the government in Karnataka.  HD Deve Gowda has also indicated friendship with the BJP after a review meeting of the JDS’s performance in the Karnataka assembly elections on Tuesday.  On the question of alliance with BJP in 2024, HD Deve Gowda said that I can analyze national politics, but what is the use of it?

 He said that there is no such party in the country, which has not been directly or indirectly associated with the BJP.  Deve Gowda further said that the Congress can argue that it never aligned with the BJP, but has the DMK not been a part of the NDA. (Translated by news desk)

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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