अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 5 फरवरी को हुए उपचुनाव के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच इस चुनाव को लेकर जबरदस्त तनातनी देखी जा रही है।
अखिलेश यादव ने लगाया फर्जी वोटिंग का आरोप
मतदान के दिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर फर्जी वोटिंग कराने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की थी। उनका कहना था कि भाजपा ने चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए धांधली की और पुलिस-प्रशासन ने इसमें सत्ताधारी पार्टी को खुला समर्थन दिया।
विवादित पोस्टर से मचा हड़कंप
इस बीच, शुक्रवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी कार्यालय के बाहर एक विवादित पोस्टर ने राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया। विक्रमादित्य मार्ग स्थित सपा कार्यालय के बाहर लगे इस पोस्टर में चुनाव आयोग पर भाजपा को संरक्षण देने का आरोप लगाया गया।
पोस्टर पर लिखा था—
“भाजपा को संरक्षण देने वाला चुनाव आयोग ये ‘कफन’ ओढ़ ले।”
इतना ही नहीं, पोस्टर के जरिए यह अपील भी की गई कि जिलेवार कार्यक्रम चलाए जाएं और चुनाव आयोग को कफन भेंट किया जाए।
पोस्टर किसने लगाया?
यह पोस्टर समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश सचिव अब्दुल अज़ीम मंसूरी की ओर से लगाया गया था। इस पोस्टर ने राजनीतिक गर्मी को और बढ़ा दिया, क्योंकि इसमें चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए और तीखे शब्दों में संदेश दिया गया।
अखिलेश यादव ने निर्वाचन आयोग को लेकर दिया बड़ा बयान
इससे पहले, 8 फरवरी को दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा—
“यह भाजपा का चुनाव लड़ने का तरीका है। चुनाव आयोग मर गया है, अब हमें सफेद कपड़ा भेंट करना पड़ेगा।”
इसके बाद, सपा के कई सांसदों ने सफेद कपड़ा लेकर फोटो भी सोशल मीडिया पर साझा की, जिससे यह मामला और तूल पकड़ गया।
“पुलिस-प्रशासन ने बीजेपी को खुली छूट दी”— अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा ने धांधली के लिए हर संभव हथकंडा अपनाया। उन्होंने कहा कि—
भाजपा के कार्यकर्ताओं ने चुनाव को प्रभावित करने के लिए अराजकता फैलाई।
पुलिस और प्रशासन ने बीजेपी समर्थकों को खुला संरक्षण दिया, जिससे चुनाव आचार संहिता का घोर उल्लंघन हुआ। चुनाव आयोग ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया।
राजनीतिक सरगर्मियां तेज
इस पूरे मामले के बाद यूपी की राजनीति गरमा गई है। भाजपा जहां सपा के आरोपों को निराधार बता रही है, वहीं सपा समर्थकों में चुनाव आयोग और प्रशासन के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है।
अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस पूरे विवाद पर क्या रुख अपनाता है और क्या सपा की शिकायत पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
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Author: मुख्य व्यवसाय प्रभारी
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