उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां बैंक मैनेजर के बेटे ने बहन की तरह श्रृंगार कर आत्महत्या कर ली। परिजनों का दावा है कि मृतक पर बहन की आत्मा का प्रभाव था। पढ़ें पूरी खबर।
सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
बांदा, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से एक हृदयविदारक और रहस्यमय मामला सामने आया है। अतर्रा थाना क्षेत्र के बदौसा रोड स्थित गांधीनगर मोहल्ले में इंडियन बैंक के मैनेजर शंभू वर्मा के 26 वर्षीय छोटे बेटे संजय वर्मा ने आत्महत्या कर ली। हालांकि, जो बात इस घटना को बेहद चौंकाने वाली बनाती है, वह है आत्महत्या से पहले की गई उसकी हरकतें।
दरअसल, संजय ने खुदकुशी करने से पहले अपनी दिवंगत बहन की लहंगा-चुनरी, दो मंगलसूत्र पहनकर पूरी तरह श्रृंगार किया। इसके बाद उसने घर के एक कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी। जब उसका बड़ा भाई धर्मेंद्र शनिवार शाम उसे कॉल कर रहा था और फोन नहीं उठा, तो चिंता होने पर वह मौसी के बेटे के साथ रविवार को घर पहुंचा।
दरवाजा टूटा तो खुला रहस्य
घर पहुंचने पर दरवाजा अंदर से बंद मिला। काफी आवाजें देने के बावजूद जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची और कटर मशीन से दरवाजा काटकर भीतर दाखिल हुई। अंदर का दृश्य देखकर सभी सन्न रह गए। संजय का शव फंदे से लटक रहा था, और वह श्रृंगार किए हुए था—लहंगा-चुनरी पहनी थी, चोटी बनाई गई थी और दो मंगलसूत्र भी गले में थे।
दो साल पहले बहन की रहस्यमयी मौत
परिजनों के अनुसार, संजय की बड़ी बहन राधा की शादी 2023 में हुई थी, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उसकी जलकर मौत हो गई थी। इस हादसे का संजय पर गहरा मानसिक प्रभाव पड़ा। वह गुमसुम रहने लगा और अक्सर बहन की बातें करता था। कुछ समय बाद उसने कहना शुरू कर दिया कि उसकी बहन की आत्मा उसमें आती है।
परिवार में पसरा मातम
बैंक अधिकारी शंभू वर्मा के चार बच्चों में संजय सबसे छोटा था। बड़े बेटे धर्मेंद्र की शादी हाल ही में चित्रकूट में हुई थी। परिवार खुशी के माहौल में था, लेकिन संजय की रहस्यमयी आत्महत्या ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है।
पुलिस कर रही है जांच
पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की गहराई से जांच की जा रही है। हालांकि अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन परिजनों के बयान इस आत्महत्या को एक मानसिक तनाव और आत्मिक अनुभवों से जोड़ते हैं।
यह घटना न केवल एक पारिवारिक त्रासदी को दर्शाती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और गहरे सदमे से जूझ रहे युवाओं के प्रति समाज की जागरूकता की भी मांग करती है। आत्महत्या के पीछे छुपे मानसिक संघर्षों को समझना और समय पर सहायता देना बेहद आवश्यक है।