उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में दसवीं में दो बार फेल होने पर 16 वर्षीय छात्र सोनू वर्मा ने आत्महत्या कर ली। जानिए कैसे उसने अपने परिजनों को पहले ही दिए थे आत्महत्या के संकेत।
सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के सातर गांव से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां के रहने वाले किसान छत्रपाल वर्मा के 16 वर्षीय बेटे सोनू वर्मा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों के अनुसार, सोनू दसवीं कक्षा में लगातार दो बार फेल हो गया था, जिससे वह मानसिक रूप से बेहद परेशान चल रहा था।
असफलता से था बेहद आहत
सोनू वर्मा, जो बबेरू क्षेत्र के जेपी शर्मा इंटर कॉलेज में हाईस्कूल का छात्र था, लगातार असफलता से टूट चुका था। वह अक्सर कहता था कि अब उसका कहीं एडमिशन नहीं हो पाएगा। परिजनों के अनुसार, उसने आत्महत्या से पहले घर की कीमती वस्तुओं की चाबी माता-पिता को सौंप दी थी। यही नहीं, दोस्तों से भी उसने कहा था, “अब तुम लोग मेरा चेहरा नहीं देख पाओगे।”
दूसरे मकान में लगाई फांसी
घटना सोमवार की है। सोनू ने दोपहर का खाना खाने के बाद गांव से लगभग 100 मीटर दूर स्थित एक अन्य मकान की ओर रुख किया। देर शाम जब पिता छत्रपाल वर्मा ने बेटी मधु को यह देखने भेजा कि सोनू ने भैंसों को पानी पिलाया या नहीं, तो वहां पहुंचकर मधु स्तब्ध रह गई। सोनू फंदे से लटका हुआ था।
पुलिस की प्रारंभिक जांच
कोतवाली प्रभारी राजेंद्र कुमार राजावत ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। हालांकि, पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और जांच जारी है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
छत्रपाल वर्मा की कुल पांच संतानें हैं और सोनू चौथे नंबर का था। परिवार की आजीविका मात्र दो बीघा जमीन पर निर्भर है। बताया जा रहा है कि सोनू पढ़ाई में पिछड़ने के कारण काफी समय से अवसाद में था और अपने भीतर गहराता डर उसे इस कदर तोड़ चुका था कि उसने जिंदगी से हार मान ली।