
प्रयागराज में वाराणसी क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर तरुण पांडेय ने आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में पत्नी, साली और साले को बताया मौत का जिम्मेदार। गंभीर बीमारी, पारिवारिक कलह और मानसिक पीड़ा बनी वजह।
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे को झकझोर देने वाली एक दर्दनाक घटना सामने आई है। वाराणसी क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्पेक्टर तरुण कुमार पांडेय ने 6 मार्च को अपनी लाइसेंसी राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना प्रयागराज के म्योर रोड स्थित उनके आवास पर हुई, जिसने पूरे जिले को स्तब्ध कर दिया।
आत्महत्या से पूर्व भेजा गया सुसाइड नोट और वॉयस रिकॉर्डिंग
इस आत्मघाती कदम से पहले इंस्पेक्टर तरुण पांडेय ने एक दो पृष्ठीय सुसाइड नोट लिखा और उसे अपनी पत्नी को व्हाट्सएप पर भेजा। साथ ही एक वॉयस रिकॉर्डिंग भी भेजी, जिसमें उन्होंने अपनी मौत को “लाइव” बताते हुए अपनी पत्नी पूनम पांडेय, साली बिंदु शुक्ला और साले प्रदीप मिश्रा को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया।
परिवारिक कलह और मानसिक पीड़ा
मूल रूप से गोंडा जिले के नवाबगंज निवासी तरुण पांडेय, प्रयागराज में म्योर रोड पर अपने घर में रह रहे थे। कुछ ही दिन पहले, 1 मार्च को उन्होंने अयोध्या में अपनी बेटी की शादी संपन्न की थी। होली से पहले ही उनकी पत्नी अपने बेटे के पास बेंगलुरु चली गई थीं और लौटने से इनकार कर दिया। इसी बीच तरुण गंभीर रीढ़ की हड्डी की बीमारी से जूझ रहे थे, जिसके इलाज के लिए उन्होंने दिल्ली में ऑपरेशन कराया था।
सुसाइड नोट में छलकता दर्द
सुसाइड नोट में इंस्पेक्टर ने लिखा:
“मैं एक गरीब ब्राह्मण परिवार से हूं, अपनी पीड़ा कभी समाज में उजागर नहीं की, क्योंकि इससे हमारे परिवार की बदनामी होती।”
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले 25 वर्षों की नौकरी में उन्होंने जो भी धन अर्जित किया, वह सब ससुराल पक्ष ने उनकी पत्नी के माध्यम से हथिया लिया।
उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बेटी की शादी से पहले फर्जी पते पर उनका इंश्योरेंस कराया गया और उन्हें जलाकर मारने की साजिश रची गई, ताकि इंश्योरेंस की राशि पर ससुराल पक्ष का कब्जा हो सके।
अंतिम इच्छा: मुख्यमंत्री राहत कोष में जाए पैसा
तरुण पांडेय ने अपनी अंतिम इच्छा में लिखा कि उनकी मौत के बाद मिलने वाली कोई भी धनराशि परिवार को न देकर मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दी जाए। उन्होंने तीनों नामित परिजनों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की भी मांग की।
घटनास्थल और फोरेंसिक जांच के खुलासे
मृतक इंस्पेक्टर के शव को पोस्टमार्टम के बाद गोंडा स्थित पैतृक गांव ले जाया गया। मौके पर बीयर की बोतल और राइफल बरामद हुई। फोरेंसिक जांच में यह भी सामने आया कि पहली गोली चूक गई थी, जबकि दूसरी गोली उनके गले के नीचे से होते हुए सिर के ऊपर से निकल गई, जिससे चेहरा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। आत्महत्या के समय उनके पैर बेड से लटक रहे थे।
पुलिस कर रही है मामले की जांच
फिलहाल पुलिस ने उनका मोबाइल कब्जे में ले लिया है और वॉयस रिकॉर्डिंग व व्हाट्सएप संदेशों की तकनीकी जांच की जा रही है। हालांकि अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है।
इंस्पेक्टर तरुण पांडेय की आत्महत्या ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी भी जब पारिवारिक कलह, बीमारी और मानसिक प्रताड़ना से जूझता है, तो अंततः जीवन से हार मान लेता है। यह घटना न केवल पुलिस विभाग के लिए चेतावनी है, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर सवाल खड़ा करती है—क्या हम अपने अपनों की पीड़ा को समझ पा रहे हैं?
➡️अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट