उत्तर प्रदेश में छांगुर बाबा के धर्मांतरण और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का खुलासा हुआ है। मंत्री संजय निषाद ने इसे पूर्ववर्ती सरकारों की लापरवाही बताया है और योगी सरकार की सक्रिय एजेंसियों की सराहना की है। पढ़ें पूरा घटनाक्रम।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। इस बार चर्चा का केंद्र बना है छांगुर बाबा, जिस पर धर्मांतरण और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के गंभीर आरोप लगे हैं। मामला सामने आने के बाद प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉक्टर संजय निषाद ने मीडिया को संबोधित करते हुए बड़ा बयान दिया।
पूर्ववर्ती सरकारों पर लगाया संरक्षण देने का आरोप
मंत्री संजय निषाद ने कहा कि छांगुर बाबा को पिछली सरकारों का खुला संरक्षण प्राप्त था, जिसके चलते वह वर्षों तक अपने षड्यंत्रकारी नेटवर्क को विस्तार देता रहा और जांच एजेंसियों की पकड़ से बाहर रहा। उनके अनुसार, “पिछली सरकारों के दौरान माफिया चुनाव लड़ते थे और छांगुर बाबा जैसे लोग खुलेआम समाज को गुमराह करते थे। इन लोगों ने धार्मिक आस्था के नाम पर लोगों को ठगा और राष्ट्रविरोधी ताकतों से साठगांठ कर ली।”
एजेंसियों की सक्रियता से हुआ खुलासा
मंत्री ने दावा किया कि योगी आदित्यनाथ की सरकार के आने के बाद स्थिति में परिवर्तन आया है। अब एटीएस, ईडी और अन्य एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से काम करने का अवसर मिला है, जिसके चलते इस तरह के संगठित धर्मांतरण रैकेट और देश विरोधी गतिविधियों का पर्दाफाश संभव हो सका है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि पहले की सरकारों में राजनीतिक हस्तक्षेप न होता, तो शायद ये साजिशें बहुत पहले उजागर हो जातीं।
जासूसी के लिए महिलाओं का इस्तेमाल: एक खतरनाक साजिश
अब तक की जांच में यह सामने आया है कि छांगुर बाबा आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू परिवारों की महिलाओं को निशाना बनाता था। सबसे पहले उन्हें प्रेमजाल में फंसाया जाता, फिर धर्मांतरण कर निकाह करवाया जाता। इसके बाद इन महिलाओं को नेपाल भेजकर ISI एजेंटों और स्लीपर सेल से जोड़ा जाता था।
इन महिलाओं का इस्तेमाल जासूसी नेटवर्क के लिए करने की योजना थी — जो कि देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा था।
देशभर में फैला नेटवर्क, करोड़ों की विदेशी फंडिंग
यह खुलासा भी हुआ है कि छांगुर बाबा का नेटवर्क सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था। उसका जाल महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ था। इसके अलावा, नेपाल सीमा से सटे सात ज़िलों को खासतौर पर टारगेट किया गया था।
जांच में यह भी पाया गया है कि तीन वर्षों के दौरान 1,000 से अधिक मुस्लिम युवकों को लव जिहाद जैसे अभियानों के लिए कैश पेमेंट दी गई थी।
ईडी और एटीएस ने अब तक 18 बैंक खातों का पता लगाया है जिनमें 68 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। आश्चर्यजनक रूप से, सिर्फ तीन महीनों में ही 3 करोड़ रुपये से अधिक की राशि ट्रांसफर की गई।
जनता से अपील और सतर्कता की आवश्यकता
मंत्री संजय निषाद ने अंत में जनता से अपील करते हुए कहा कि समाज को ऐसे देशविरोधी तत्वों से सतर्क रहना होगा। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि सरकार और जांच एजेंसियों के प्रयासों में सहयोग करें ताकि भविष्य में इस प्रकार की साजिशों को समय रहते रोका जा सके।
निष्कर्षतः, छांगुर बाबा प्रकरण न केवल धार्मिक आस्था के दुरुपयोग का मामला है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ चल रहे एक सुनियोजित षड्यंत्र की ओर भी इशारा करता है। अब देखना यह होगा कि जांच एजेंसियां इस नेटवर्क की जड़ों तक कब और कैसे पहुंचती हैं और कौन-कौन इसमें लिप्त पाए जाते हैं।