google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
भाटपार रानी

अटकी योजनाएं, टूटती उम्मीदें: देवरिया में ‘मजदूर विवाह योजना’ और ‘विधवा पेंशन’ की हकीकत उजागर

देवरिया से उठी आवाज़: जब जनकल्याण योजनाएं बनीं काग़ज़ी घोषणाएं

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

– संजय कुमार वर्मा की विशेष रिपोर्ट

देवरिया जिले में ‘मुख्यमंत्री विवाह योजना’ और ‘विधवा पेंशन योजना’ की भारी अनदेखी सामने आई है। समाज कल्याण चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि सैकड़ों पात्र लाभार्थी अब तक सरकारी सहायता से वंचित हैं। यह रिपोर्ट उन योजनाओं की हकीकत बयान करती है, जो कागज़ों में तो हैं, मगर ज़मीनी स्तर पर नदारद।

जहां एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार गरीब, श्रमिक और बेसहारा वर्ग के लिए तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर देवरिया जिले से आई दो गंभीर शिकायतों ने इन योजनाओं की ज़मीनी हकीकत को नंगा कर दिया है।

समाज कल्याण चैरिटेबल ट्रस्ट, लार द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए पत्रों में न सिर्फ पात्र लाभार्थियों की सूची दी गई है, बल्कि यह भी बताया गया है कि तीन वर्षों से न तो कोई सहायता मिली और न ही कोई समाधान।

पहली शिकायत: ‘मजदूर विवाह योजना’ में तीन साल से लंबित फाइलें

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, निराश्रित महिला विवाह अनुदान योजना, और जनजातीय विवाह योजना – ये तीन मुख्य योजनाएं हैं जिनके तहत राज्य सरकार आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों की शादी में 35,000 से 51,000 रुपए तक की मदद देती है।

लेकिन देवरिया का सच

ट्रस्ट के अनुसार, वर्ष 2021 से 2024 तक, दर्जनों युवतियों ने आवेदन किया, जिनमें से कई की शादी भी हो चुकी है। इसके बावजूद:

  • किसी को धनराशि नहीं मिली।
  • पोर्टल से आवेदन फॉर्म गायब हो चुके हैं।
  • विभागों से कोई फॉलोअप नहीं मिला।
आप को यह भी पसंद आ सकता है  जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक ने किया भाटपाररानी स्थित विभिन्न छठ पूजा स्थलों का निरीक्षण

शिकायत में उल्लिखित नाम

प्रीति (मो: 9618460022), रानी (मो: 9161400492), पूनम, अनामिका, पूनम यादव, कुसुम, ललिता, गीता, गुड़िया आदि – इन सभी को कोई सहायता नहीं मिली, जबकि इनके पति या अभिभावक पंजीकृत श्रमिक हैं।

ट्रस्ट का आरोप: अधिकारियों की उदासीनता है मुख्य कारण

समाज कल्याण विभाग, श्रम विभाग और विकास खंड कार्यालयों पर सीधा आरोप है कि:

  • शिकायतों की अनदेखी की गई।
  • कोई जांच नहीं की गई।
  • पोर्टल पर कोई अपडेट नहीं मिला।
  • एम. एम. लारी, ट्रस्ट सचिव का कहना है,

“सरकार ने योजनाएं बनाई, पर ज़मीन पर कुछ नहीं बदला। यह सामाजिक न्याय का अपमान है।”

दूसरी शिकायत: विधवा महिलाओं की पेंशन पर भी पड़ा सरकारी सन्नाटा

‘विधवा पेंशन योजना’ के तहत ₹500 से ₹1,000 प्रति माह की आर्थिक मदद दी जाती है, ताकि महिलाएं जीवन की कठिन परिस्थितियों में आत्मनिर्भर बन सकें। मगर देवरिया जिले के तार क्षेत्र की दर्जनों विधवाएं वर्षों से इस राहत का इंतजार कर रही हैं।

पात्र महिलाएं, फिर भी पेंशन नहीं

  • कई महिलाएं पंजीकृत श्रमिकों की विधवाएं हैं।
  • वर्षों से आवेदन कर रहीं हैं।
  • उम्रदराज और बीमार महिलाएं अंतिम सांसें गिन रही हैं।

ट्रस्ट का दावा

“कुछ महिलाएं इतनी वृद्ध हैं कि अब बिस्तर से उठ भी नहीं सकतीं, लेकिन उन्हें आज तक एक भी पेंशन की किस्त नहीं मिली।”

आप को यह भी पसंद आ सकता है  नवाबी शहर में बॉलीवुड एक्ट्रेस अनन्या पांडेय ने बिखेरे खूबसूरती के जलवे

सरकारी पोर्टल बनाम ज़मीनी सच्चाई

पोर्टलों पर डेटा अपडेट दिखाया जाता है, योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। लेकिन देवरिया जैसे जिलों की हकीकत बताती है कि ज़मीनी निगरानी का तंत्र पूरी तरह विफल है।

ट्रस्ट की मांगें – दोनों मामलों में एक जैसी पीड़ा

विवाह अनुदान मामलों में मांगें:

1. सभी लंबित मामलों की उच्चस्तरीय जांच।

2. पात्र लाभार्थियों को तत्काल सहायता।

3. जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई।

4. योजना प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हो।

विधवा पेंशन मामलों में मांगें:

1. सूचीबद्ध विधवाओं को तत्काल पेंशन दी जाए।

2. ग्राम पंचायत और श्रम विभाग से समन्वय कर पात्रता की पुष्टि हो।

3. विभागीय लापरवाही की जवाबदेही तय की जाए।

4. एक विशेष अभियान चलाकर लाभ दिलाया जाए।

जब योजनाएं जनता तक नहीं पहुंचतीं, तो वे सिर्फ घोषणाएं रह जाती हैं

देवरिया का यह मामला उत्तर प्रदेश में संचालित कई योजनाओं की वास्तविक स्थिति को उजागर करता है। यह सिर्फ तकनीकी खामी नहीं, बल्कि प्रशासनिक असंवेदनशीलता का प्रमाण है।

अगर सरकार इन शिकायतों को समय रहते गंभीरता से नहीं लेती, तो यह उन सैकड़ों गरीब बेटियों और विधवाओं के साथ विश्वासघात होगा, जो अपनी उम्मीदें सरकार से जोड़कर बैठी हैं।

सरकारी योजनाओं को प्रचार से नहीं, प्रभावी क्रियान्वयन और जवाबदेही से सफल बनाया जा सकता है। देवरिया जैसे मामलों को एक चेतावनी के रूप में लेकर संपूर्ण राज्य में समीक्षा की आवश्यकता है।

61 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close