संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
देवरिया जिले के पात्र श्रमिकों को नहीं मिला ‘मजदूर विवाह योजना’, का लाभ, ट्रस्ट ने सीएम योगी को पत्र लिखकर जताई नाराजगी।
जहां एक ओर प्रदेश सरकार गरीब, वंचित और श्रमिक वर्ग के उत्थान के लिए विवाह अनुदान योजनाएं चला रही है, वहीं देवरिया जिले के तार कस्बे से आई एक चिट्ठी ने इन योजनाओं के ज़मीनी सच पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
“समाज कल्याण चैरिटेबल ट्रस्ट” के सचिव एम एम लारी ने एक पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया है कि जिले के दर्जनों पात्र लाभार्थी तीन वर्षों से सरकारी योजनाओं के अंतर्गत विवाह अनुदान से वंचित हैं।
पत्र में बताया गया है कि वर्ष 2021 से अब तक कई निर्धन, निराश्रित, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के श्रमिकों ने संबंधित योजनाओं में आवेदन किया। जिनमें कुछ लाभार्थियों की शादियां हो चुकी हैं, लेकिन आज तक उन्हें न तो कोई धनराशि मिली, न ही आवेदन पर कोई जवाब आया।
क्या हैं योजनाएं जिनका लाभ नहीं मिला?
1. मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना
2. निराश्रित महिला विवाह अनुदान योजना
3. जन जाति विवाह योजना
इन योजनाओं के तहत पात्र लाभार्थियों को 35,000 से 51,000 रुपए तक की सहायता राशि दी जाती है, जिससे उनका विवाह सम्मानजनक ढंग से हो सके। लेकिन ट्रस्ट का आरोप है कि देवरिया में ये योजनाएं केवल फाइलों और पोर्टलों तक ही सीमित हैं।
लाभार्थियों की सूची सहित की गई शिकायत
पत्र में ऐसे लाभार्थियों के नाम और मोबाइल नंबर तक उल्लेखित किए गए हैं, जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया था। उदाहरण के तौर पर:
प्रीति (मोबाइल: 9618460022)
रानी (मोबाइल: 9161400492)
पूनम, अनामिका, पूनम यादव, कुसुम, ललिता, गीता, गुड़िया, आदि।
इन सभी ने 2021 से लेकर 2024 तक योजनाओं में आवेदन किया, और उनके विवाह हो चुके हैं, लेकिन आज तक ‘निराश्रित अनुदान विवाह योजना’ का कोई राशि नहीं मिली।
स्थानीय अधिकारियों पर अनदेखी का आरोप
ट्रस्ट ने अपने पत्र में स्थानीय समाज कल्याण विभाग, श्रम विभाग, और विकास खंड कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि बार-बार अनुरोध के बावजूद किसी भी अधिकारी ने पात्र लाभार्थियों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया।
इतना ही नहीं, कुछ मामलों में तो ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भी पोर्टल से हटाए जा चुके हैं, जिससे आगे की प्रक्रिया भी नहीं हो पा रही है।
क्या बोले ट्रस्ट के प्रतिनिधि?
लारी ने कहा कि, “गरीब और श्रमिक वर्ग की बेटियों की शादी के लिए सरकार ने योजनाएं बनाई हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर वह लागू नहीं हो पा रही हैं। हमारी मांग है कि सभी लंबित मामलों की जांच कर लाभार्थियों को तत्काल राशि दी जाए, अन्यथा यह एक तरह का सामाजिक अन्याय होगा।”
मुख्यमंत्री से की गई मांगें
1. देवरिया जिले के सभी लंबित विवाह अनुदान मामलों की उच्चस्तरीय जांच हो।
2. जिन पात्र लाभार्थियों को तीन साल से राशि नहीं मिली, उन्हें तत्काल भुगतान किया जाए।
3. दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
4. योजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए ताकि भविष्य में पात्र वंचित न रहें।
यह प्रकरण दर्शाता है कि यदि समय रहते निगरानी और पारदर्शिता नहीं रखी गई, तो सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं भी सिर्फ सरकारी विज्ञापनों की शोभा बनकर रह जाएंगी। ऐसे में यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री कार्यालय इस पत्र को कितनी गंभीरता से लेता है और कार्रवाई कब तक होती है।
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