भारत के खिलाफ आतंकी हमले की नाकाम कोशिश के बाद पाकिस्तान की सेना और सरकार चारों तरफ से घिर चुकी है। बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और गिलगित-बाल्टिस्तान में बगावत चरम पर है। जानिए कैसे हर मोर्चे पर सरेंडर की ओर बढ़ रहा है पाकिस्तान।
अरमान अली की रिपोर्ट
पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचते हुए इतिहास की वही गलती दोहराई है, जो उसे 1971 में सरेंडर की ओर ले गई थी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत द्वारा आतंकी ठिकानों पर की गई सफल कार्रवाई से बौखलाकर पाकिस्तान ने 8 मई की रात सीमा क्षेत्रों में ड्रोन और मिसाइल हमलों की नाकाम कोशिश की। लेकिन इस दुस्साहस का अंजाम पहले से तय था—नाकामी और बेइज्जती।
पाकिस्तान का दुस्साहस, भारत की निर्णायक प्रतिक्रिया
दरअसल, पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट, जालंधर, जैसलमेर और श्रीगंगानगर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को टारगेट करते हुए ड्रोन और मिसाइल से हमला करने की योजना बनाई थी। हालांकि, भारत की आधुनिक एयर डिफेंस प्रणाली—L-70 गन, Zu-23 एमएम गन, शिल्का सिस्टम और विशेष रूप से ICUG (इंटीग्रेटेड काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स ग्रिड)—ने इस हमले को नाकाम कर दिया।
आतंकी हमले की आड़ में भारत की ताकत का परीक्षण
पाकिस्तान का असल मकसद था भारत की एयर डिफेंस क्षमता का आंकलन करना। इसके लिए सैकड़ों ड्रोन एक साथ भेजे गए, लेकिन सभी मार गिराए गए। इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर एक बार फिर कटघरे में खड़े हो गए हैं।
पाकिस्तान के अंदर गहराया विद्रोह
पाकिस्तानी सेना की इस शर्मनाक नाकामी का असर सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि घरेलू मोर्चे पर भी इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और पंजाब जैसे प्रांतों में विद्रोहियों ने पाकिस्तान आर्मी के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है। वहीं, गिलगित-बाल्टिस्तान में भी हालात तेजी से विस्फोटक होते जा रहे हैं।
बगावत की आग में झुलस रहा पाकिस्तान
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और जय सिंध मुत्ताहिदा महाज़ जैसे संगठन अब पूरी ताकत से पाकिस्तान आर्मी के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष में उतर चुके हैं। नेशनल असेंबली तक में शहबाज शरीफ को “कायर” और “गीदड़” जैसे शब्दों से नवाज़ा गया है। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान की अवाम भी अब अपनी सरकार और सेना से पूरी तरह मोहभंग कर चुकी है।
सरेंडर की तरफ बढ़ता पाकिस्तान
इस समय पाकिस्तान की स्थिति उस मोड़ पर आ चुकी है, जहां सरेंडर के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। चाहे वो घरेलू विद्रोह हो या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ना—हर दिशा से पाकिस्तान को केवल हार का सामना करना पड़ रहा है।
भारत के खिलाफ आतंकी जंग छेड़ने की नाकाम कोशिश ने पाकिस्तान को दोहरे संकट में डाल दिया है। एक ओर भारत की सैन्य तैयारी ने उसे शिकस्त दी, वहीं दूसरी ओर देश के भीतर से उठ रही बगावत की लहर ने सरकार और सेना की नींव हिला दी है। अब साफ है कि पाकिस्तान का भविष्य अराजकता, अंतरराष्ट्रीय अलगाव और संभवतः सरेंडर की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।