अंतरराष्ट्रीय

बांग्लादेश की सियासी हलचल: सत्ता संघर्ष और भारत पर असर

WhatsApp Image 2025-04-21 at 21.38.46_2d56b35c
WhatsApp Image 2025-04-21 at 21.38.45_3800383c
IMG-20250425-WA0005
IMG-20250425-WA0006
previous arrow
next arrow
182 पाठकों ने अब तक पढा

सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

बांग्लादेश, दक्षिण एशिया का एक महत्वपूर्ण राष्ट्र, हाल ही में राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, जिसने न केवल देश के आंतरिक मामलों को प्रभावित किया है, बल्कि इसके पड़ोसी देशों, विशेषकर भारत के साथ संबंधों पर भी प्रभाव डाला है। इस आलेख में, हम बांग्लादेश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति, इसके कारणों, और भारत के साथ इसके संबंधों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य

अगस्त 2024 में, बांग्लादेश में एक छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया। इस आंदोलन की शुरुआत स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए रोजगार कोटा बहाल करने के विरोध में हुई थी, लेकिन जल्द ही यह असमानता और राजनीतिक दमन के खिलाफ व्यापक विरोध में बदल गया। शेख हसीना, जो 15 वर्षों से सत्ता में थीं, को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी।

उनकी अनुपस्थिति में, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया। इस सरकार का मुख्य उद्देश्य लोकतांत्रिक संक्रमण को सुगम बनाना, संस्थागत सुधार करना, और निष्पक्ष चुनावों की तैयारी करना है। हालांकि, सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जैसे कि पूर्ववर्ती शासन के प्रभाव को कम करना, भ्रष्टाचार से निपटना, और देश में स्थिरता बहाल करना।

अंतरिम सरकार की चुनौतियाँ

मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं:

1. संस्थागत सुधार: पिछले 15 वर्षों में, सरकारी संस्थानों पर सत्तारूढ़ दल का गहरा प्रभाव रहा है। इन संस्थानों में सुधार करना और उन्हें स्वतंत्र एवं निष्पक्ष बनाना एक कठिन कार्य है।

2. चुनावी प्रक्रिया का पुनर्गठन: विश्वसनीय चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनावी प्रणाली में सुधार आवश्यक है। इसके लिए एक स्वतंत्र चुनाव आयोग की स्थापना और चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाना महत्वपूर्ण है।

3. सामाजिक एकता: विभिन्न राजनीतिक दलों और समुदायों के बीच विश्वास बहाल करना आवश्यक है, ताकि देश में शांति और स्थिरता कायम रह सके।

4. अर्थव्यवस्था की स्थिरता: राजनीतिक अस्थिरता के कारण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। निवेशकों का विश्वास बहाल करना और आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करना एक प्रमुख चुनौती है।

शेख हसीना की संभावित वापसी

हालांकि शेख हसीना वर्तमान में भारत में निर्वासन में हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक वापसी की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता। यदि अंतरिम सरकार देश में स्थिरता लाने में विफल रहती है, तो जनता शेख हसीना के आर्थिक उपलब्धियों को देखते हुए उनकी वापसी का समर्थन कर सकती है। इसके अलावा, उनकी पार्टी, अवामी लीग, अभी भी देश के कई हिस्सों में मजबूत समर्थन रखती है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव

बांग्लादेश में राजनीतिक परिवर्तन का भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक संबंध रहे हैं, लेकिन हाल की घटनाओं ने इन संबंधों में कुछ तनाव उत्पन्न किया है।

1. राजनीतिक शरण: शेख हसीना का भारत में शरण लेना दोनों देशों के बीच एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। अंतरिम सरकार ने उनकी प्रत्यर्पण की मांग की है, लेकिन भारत ने अभी तक इस पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया है।

2. सीमा सुरक्षा: राजनीतिक अस्थिरता के कारण सीमा पर सुरक्षा चिंताएँ बढ़ी हैं। अवैध प्रवास, तस्करी, और सीमा पार अपराधों में वृद्धि की आशंका है, जिसे नियंत्रित करने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग आवश्यक है।

3. आर्थिक संबंध: भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हैं, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण व्यापारिक गतिविधियों में बाधा आ सकती है। निवेशकों की चिंता और व्यापारिक अनुबंधों की पुनर्समीक्षा की आवश्यकता हो सकती है।

4. चीन का प्रभाव: बांग्लादेश में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय है। राजनीतिक अस्थिरता के बीच, चीन अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन प्रभावित हो सकता है।

भविष्य की दिशा

बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता न केवल देश के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए महत्वपूर्ण है। अंतरिम सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन यदि वे सफलतापूर्वक संस्थागत सुधार करते हैं, निष्पक्ष चुनाव कराते हैं, और सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं, तो देश एक स्थिर और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकता है।

भारत के लिए, यह आवश्यक है कि वह बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को संतुलित रखे। शेख हसीना के साथ उसके घनिष्ठ संबंध रहे हैं, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में, भारत को अंतरिम सरकार के साथ भी सकारात्मक संवाद बनाए रखना चाहिए। इसके अलावा, सीमा सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना आवश्यक है।

बांग्लादेश की वर्तमान राजनीतिक उथल-पुथल ने देश के आंतरिक मामलों और भारत के साथ इसके संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला है। अंतरिम सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन यदि वे सफलतापूर्वक इनका सामना करते हैं, तो देश एक नए युग की ओर बढ़ सकता है। भारत के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि वह बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को संतुलित और सकारात्मक रखे, ताकि दोनों देशों के बीच सहयोग और समृद्धि बनी रहे।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close