आगरा में एक बच्ची ने गोद लेने वाली महिला पर अमानवीय अत्याचार और शोषण का आरोप लगाया। मेडिकल रिपोर्ट में गंभीर खुलासे। पुलिस ने महिला समेत चार को किया गिरफ्तार।
ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक 9 साल की बच्ची की पीड़ा ने पूरे प्रशासन और समाज को झकझोर दिया है। थाना सदर क्षेत्र की रहने वाली इस मासूम ने अपनी गोद लेने वाली मां पर गंभीर शोषण और मारपीट का आरोप लगाया है।
🔷 वायरल वीडियो से खुला मामला
कुछ दिन पहले बच्ची का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उसने साफ-साफ कहा कि उसकी तथाकथित मां उसे जबरन गलत कार्यों के लिए मजबूर करती थी। मना करने पर उसे बुरी तरह पीटा गया और प्रताड़ित किया गया।
🔷 पुलिस की तत्परता: चार आरोपी भेजे गए जेल
एसीपी हेमंत कुमार ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए महिला समेत तीन अन्य लोगों — कुनाल उर्फ राहुल, मानिकचंद और अमित — को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
🔷 ₹60 हज़ार में खरीदी गई थी बच्ची
जांच में सामने आया है कि महिला ने लगभग दो वर्ष पहले बच्ची को ₹60,000 में खरीदा था। यह लेनदेन कुनाल नामक व्यक्ति के माध्यम से हुआ था। यह खुलासा खुद आरोपियों की पूछताछ में हुआ।
🔷 बच्ची की हालत गंभीर, अस्पताल में चल रहा इलाज
बच्ची इस समय सरकारी अस्पताल में भर्ती है, जहां उसका इलाज चल रहा है। शरीर पर अनेकों चोटों के निशान पाए गए हैं, जो शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की पुष्टि करते हैं।
🔷 अब भी तीन आरोपी फरार
पीड़िता ने कुछ और नाम बताए हैं, जिनके खिलाफ जांच जारी है। मोहित, दिलीप और शोहिल नाम के लोगों के खिलाफ पुलिस ने छानबीन तेज कर दी है और लगातार छापेमारी की जा रही है।
🔷 गोद लेने की प्रक्रिया पर उठे गंभीर सवाल
यह मामला न केवल अपराध की क्रूरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गोद लेने की प्रक्रिया कितनी असुरक्षित और अपारदर्शी हो सकती है। बिना निगरानी, बिना सत्यापन, एक मासूम की ज़िंदगी दो साल तक नर्क में बदलती रही और किसी को भनक तक नहीं लगी।
🔷 सवाल समाज से भी
- क्या हम केवल वायरल वीडियो के बाद जागेंगे?
- क्या बाल सुरक्षा संस्थान केवल कागज़ी नाम बनकर रह जाएंगे?
यह समय है कि बाल शोषण और मानव तस्करी जैसे अपराधों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाए।
आगरा की यह घटना सिर्फ एक बच्ची की नहीं, बल्कि समाज और सिस्टम के उस हिस्से की कहानी है, जो आज भी अंधेरे में दबा है। प्रशासन ने कार्रवाई तो की है, लेकिन यह पहल नहीं, प्रतिक्रिया है। जब तक व्यवस्था बच्चों के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी नहीं होगी, ऐसी घटनाएं रुकेंगी नहीं।