बलिया खाद्यान्न घोटाले में 19 साल से फरार चल रहे पूर्व बीडीओ दयाराम विश्वकर्मा को ईओडब्ल्यू ने वाराणसी से गिरफ्तार किया। 2002-05 के दौरान करोड़ों के घोटाले में प्रमुख आरोपी था।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
लखनऊ/बलिया। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित बलिया खाद्यान्न घोटाले में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) वाराणसी को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। करीब 19 वर्षों से फरार चल रहे तत्कालीन खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) दयाराम विश्वकर्मा को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी वाराणसी के चितईपुर थाना क्षेत्र के करमजीतपुर इलाके से की गई, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि कानून के हाथ भले ही देर से पहुंचे, लेकिन अचूक साबित होते हैं।
क्या है बलिया खाद्यान्न घोटाला?
दरअसल, वर्ष 2002 से 2005 के बीच केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के अंतर्गत बलिया जिले के बांसडीह विकास खंड में ग्रामीण विकास कार्य कराए जाने थे। इसमें मिट्टी कार्य, नाली निर्माण, खड़ंजा, सीसी रोड और पुलिया निर्माण जैसी योजनाएं शामिल थीं। लेकिन जांच में सामने आया कि ज़्यादातर कार्य या तो अधूरे थे या मानक से बहुत नीचे स्तर के।
इसके अलावा, मजदूरों को खाद्यान्न देने के नाम पर फर्जी मास्टर रोल तैयार किए गए और करोड़ों रुपये का गबन किया गया। अकेले दयाराम विश्वकर्मा पर 27 लाख रुपये और बड़ी मात्रा में सरकारी खाद्यान्न के गबन का आरोप है।
गिरफ्तारी की कहानी: कैसे चढ़ा पुलिस के हत्थे?
दयाराम विश्वकर्मा के खिलाफ बलिया के थाना बांसडीह और थाना रेवती में IPC की गंभीर धाराओं के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दो मुकदमे दर्ज हैं।
गौरतलब है कि वह वर्ष 2022 में सुल्तानपुर जिले में जिला विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुआ था। इसके बाद उसने पहचान छुपाकर वाराणसी के करमजीतपुर में निवास करना शुरू कर दिया। मगर, EOW को गुप्त सूचना मिली, जिसके आधार पर 22 जून की सुबह करीब 11 बजे उसकी गिरफ्तारी कर ली गई।
अब तक कितने आरोपी?
ईओडब्ल्यू की जांच में अब तक 13 लोगों की संलिप्तता उजागर हो चुकी है। इनमें से कई आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। दयाराम विश्वकर्मा को भी प्रमुख अभियुक्तों में गिना जाता है। गिरफ्तारी के बाद उसे वाराणसी की अदालत में पेश किया गया, जहां से रिमांड पर लेकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
इस गिरफ्तारी का क्या मतलब है?
यह गिरफ्तारी न केवल बलिया खाद्यान्न घोटाले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, बल्कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही कार्रवाई को एक नई ताक़त भी देती है। वर्षों तक फरार रहने के बाद भी गिरफ्तारी यह संदेश देती है कि भ्रष्टाचार चाहे कितना भी पुराना हो, उसे दबाया नहीं जा सकता।