बलिया के एक पीएचसी में ट्रांसफार्मर खराब होने और सौर ऊर्जा प्रणाली निष्क्रिय रहने के कारण चार महिलाओं की डिलीवरी मोबाइल टॉर्च की रोशनी में करवाई गई। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली फिर सवालों के घेरे में।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में एक बार फिर से स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली सामने आई है। ताज़ा मामला बेरुआरबारी ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) से सामने आया है, जहां बिजली आपूर्ति बाधित होने के चलते डॉक्टरों को चार प्रसव मोबाइल टॉर्च की रोशनी में कराने पड़े।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार को अस्पताल में लगा ट्रांसफार्मर अचानक खराब हो गया। यही नहीं, बैकअप के रूप में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र भी सक्रिय नहीं किया जा सका। इसके चलते डॉक्टरों और स्टाफ को मजबूरी में मोबाइल फोन की टॉर्च जलाकर चार महिलाओं की डिलीवरी करनी पड़ी।
सीएमओ ने की पुष्टि, जांच जारी
बलिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. संजीव बर्मन ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि, “जैसे ही मामला संज्ञान में आया, PHC प्रभारी और अन्य अधिकारियों से जवाब-तलब किया गया। ट्रांसफार्मर को बदला जा चुका है और जेनरेटर क्रियाशील है। मोबाइल की रोशनी में डिलीवरी हुई या नहीं, इसकी पुष्टि जांच रिपोर्ट के बाद की जाएगी।”
स्थानीयों ने उठाए सवाल, सुविधाओं का टोटा
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह PHC क्षेत्र के 26 गांवों और करीब 70,000 लोगों की स्वास्थ्य ज़रूरतों का एकमात्र सहारा है। उन्होंने बताया कि यह पहली बार नहीं हुआ है — पिछले कुछ हफ्तों में कम से कम चार बार ऐसी ही स्थिति में प्रसव कराए गए हैं।
सिर्फ बिजली ही नहीं, भोजन, दवाइयां और साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव बताया गया है।
सीएमओ का बयान: हो सकती है लॉबिंग
इन आरोपों पर CMO डॉ. बर्मन ने कहा कि, “शिकायतों की बढ़ती संख्या संभावित लॉबिंग का नतीजा हो सकती है।” उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि “फिलहाल जांच चल रही है और अंतिम निष्कर्ष रिपोर्ट आने के बाद ही सामने लाया जाएगा।”
पुराना मामला फिर आया चर्चा में
ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि 24 मई को सोनबरसा सीएचसी में एक महिला ने अस्पताल के लाउंज में फर्श पर बच्चे को जन्म दिया था। उस वीडियो के वायरल होने पर CMO ने कड़ी कार्रवाई करते हुए संबंधित इमरजेंसी डॉक्टर, शिफ्ट इंचार्ज और दो स्टाफ नर्सों का तबादला कर दिया था।
बलिया की स्वास्थ्य सेवाएं लगातार सवालों के घेरे में हैं। बिजली, साफ-सफाई और बुनियादी सुविधाओं की कमी इस बात का सबूत है कि ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे में अभी बहुत सुधार की ज़रूरत है। प्रशासन को केवल जांच तक सीमित न रहकर स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।