आजमगढ़ के किशुनदासपुर गांव में 55 वर्षीय महिला रामदुलारी तिवारी की रात के समय छत पर सोते हुए लोढ़ा से कूंचकर बेरहमी से हत्या कर दी गई। संपत्ति विवाद और पैसे की मांग को लेकर एक परिचित पर हत्या का आरोप। पुलिस जांच में जुटी।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़ जिले के तरवा थाना क्षेत्र के किशुनदासपुर गांव में मंगलवार रात एक हृदयविदारक घटना घटी। 55 वर्षीय रामदुलारी तिवारी, जो रोज की तरह अकेले छत पर सो रही थीं, उनकी उसी छत पर लोढ़ा से कूंचकर हत्या कर दी गई। जब सुबह उनके पति अगस्त तिवारी, जो स्थानीय थाना में होमगार्ड हैं, अपनी रात की ड्यूटी से लौटे तो दरवाजा न खुलने पर उन्हें शंका हुई।
बांस की सीढ़ी से छत पर चढ़ने पर जो दृश्य उन्होंने देखा, वह भयावह था। रामदुलारी खून से लथपथ पड़ी थीं। सिर और शरीर पर कई जगह चोट के गहरे निशान थे। पूरे छत पर खून फैला हुआ था, जिससे अंदाजा लगाया गया कि मृतका ने आत्मरक्षा में संघर्ष भी किया था।
परिवार की स्थिति और शक की दिशा
रामदुलारी के परिवार में सात बेटियाँ और एक बेटा है। पांच बेटियों की शादी हो चुकी है, दो बेटियाँ घटना के समय ननिहाल में थीं, जबकि बेटा बाहर था।
अगस्त तिवारी ने आरोप लगाया है कि पिठूपट्टी गांव के मनोज तिवारी ने हत्या की है। उनका कहना है कि रामदुलारी को उनके रिश्तेदार बालमोहन तिवारी ने संपत्ति दी थी। इसी बात को लेकर मनोज तिवारी, जो बालमोहन के पट्टीदार हैं, रामदुलारी पर चार वर्षों से दबाव बना रहे थे और 5 लाख रुपये की मांग कर रहे थे।
रामदुलारी अक्सर कहती थीं,
“मैंने बालमोहन की अंतिम समय में सेवा की है, वही मेरी पूंजी है।”
पुलिस और फोरेंसिक टीम की कार्यवाही
हत्या की जानकारी मिलते ही सीओ लालगंज और एसओ तरवा घटनास्थल पर पहुंचे। फोरेंसिक टीम ने छत से लोढ़ा, प्लास्टिक पाइप और अन्य साक्ष्य जुटाए। डॉग स्क्वाड की मदद ली गई, लेकिन अब तक कोई निर्णायक सुराग नहीं मिला है।
पुलिस का कहना है कि
“सभी संभावित कोणों से जांच की जा रही है। संपत्ति विवाद, पुराना झगड़ा और हत्या की पूर्व-योजना जैसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है।”
गांव में तनाव, परिजनों में शोक
इस निर्मम हत्या से पूरा गांव स्तब्ध है। लोग सदमे में हैं कि इतनी निर्दयता से किसी महिला की हत्या केवल संपत्ति के लिए की जा सकती है। मृतका के परिवार में मातम छाया हुआ है, और ग्रामीणों में आक्रोश भी देखा जा रहा है।
रामदुलारी तिवारी की हत्या ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि महिलाओं की सुरक्षा, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, अब भी कितनी असुरक्षित है। संपत्ति विवाद और निजी स्वार्थ किस हद तक इंसान को निर्दयी बना सकता है, इसका यह ज्वलंत उदाहरण है। पुलिस की जांच पर सबकी निगाहें टिकी हैं — क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा?