उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में ATS ने एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ किया। छांगुर बाबा और नीतू उर्फ नसरीन की गिरफ्तारी से कई राज़ उजागर हुए हैं। जानिए पूरा मामला।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद में अवैध धर्मांतरण का एक बड़ा षड्यंत्र सामने आया है। एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) की तफ्तीश में जो तथ्य सामने आए हैं, वे न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि प्रदेश के भीतर चल रही गहरी साजिश की ओर भी संकेत करते हैं। इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा निकला है, जिसे उसकी करीबी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन के साथ गिरफ्तार किया गया है।
दुबई और नेपाल से जुड़े तार
जांच एजेंसी के अनुसार, छांगुर की गतिविधियां केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं थीं। वह दुबई से मौलानाओं को बुलाकर अपने गुर्गों को ट्रेनिंग दिलवाता था। इसके अलावा, वह नेपाल में सक्रिय एक कट्टर इस्लामिक संगठन “दावत-ए-इस्लामी” के संपर्क में था। यह संगठन धर्मांतरण की रणनीति बनाने और उसे अंजाम देने में छांगुर की मदद कर रहा था।
गुप्त तहखानों में होती थीं तकरीरें
बलरामपुर स्थित छांगुर की दो आलीशान कोठियां अब जांच के दायरे में हैं। इन कोठियों में तहखानों जैसे गुप्त कमरे बनाए गए थे, जिनका इस्तेमाल धर्मांतरण के प्रशिक्षण सत्रों के लिए किया जाता था। जानकारी के मुताबिक, वह 20 ऐसे कक्षों में नियमित धार्मिक प्रवचन (तकरीर) शुरू करने की योजना पर काम कर रहा था। इसके लिए उसने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से कट्टर विचारधारा वाले मौलानाओं से संपर्क भी साधा था।
हिंदू गरीबों को बनाया गया निशाना
छांगुर की साजिश का सबसे दुखद पहलू यह है कि उसने अपने मिशन के लिए गरीब और श्रमिक वर्ग के हिंदू समुदाय को निशाना बनाया। उन्हें पैसों, इलाज और रोज़गार का लालच देकर इस्लाम अपनाने को मजबूर किया गया। उसने धर्मांतरण को प्रभावी बनाने के लिए “शिजर-ए-तयब्बा” नामक किताब भी तैयार की थी, जिसमें इस्लाम को बेहद आसान भाषा में प्रस्तुत किया गया था ताकि गरीब व अशिक्षित लोग भ्रमित होकर उसमें आस्था दिखाएं।
हिंदू आस्था पर भी थी साजिश की निगाह
जांच में यह भी सामने आया कि छांगुर की अगली योजना हिंदू देवी-देवताओं के प्रति नफरत फैलाने वाली पुस्तकें छापने की थी। इन किताबों के जरिए वह हिंदू आस्था पर प्रहार कर, धर्मांतरण की प्रक्रिया को और तेज करने की साजिश रच रहा था।
आपत्तिजनक दस्तावेज़ और सामग्री बरामद
ATS ने जब कोठियों की गहन तलाशी ली, तो वहां से कई आपत्तिजनक दस्तावेज, साहित्य और डिजिटल सामग्री बरामद की गई। इसके साथ ही, कई मोबाइल फोन, लैपटॉप और डिजिटल रिकॉर्डिंग डिवाइस भी जब्त किए गए हैं, जिनकी फोरेंसिक जांच जारी है।
पीछे की कहानी: साइकिल से कोठी तक
छांगुर बाबा का असली नाम जमालुद्दीन है। वह बलरामपुर के रेहरामाफी गांव का निवासी है। कभी साइकिल पर नग-रत्न और अंगूठियां बेचने वाला यह व्यक्ति, पिछले 15 वर्षों में इतना ताकतवर बन गया कि उसने 3,000 से 4,000 हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करा डाला। यह नेटवर्क न सिर्फ उत्तर प्रदेश में, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल और नेपाल तक फैला हुआ था।
नीतू उर्फ नसरीन की भूमिका
इस षड्यंत्र में छांगुर की सबसे विश्वसनीय और सक्रिय सहयोगी रही नीतू उर्फ नसरीन। नीतू और उसके पति नवीन उर्फ जमालुद्दीन, जो मूल रूप से मुंबई के रहने वाले हैं, ने इस पूरे नेटवर्क को एक संगठित रूप दिया। वे छांगुर की योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए रणनीतिक रूप से काम करते थे।
बलरामपुर का यह मामला केवल एक व्यक्ति या संगठन की करतूत नहीं, बल्कि एक व्यापक वैचारिक साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है। यह न केवल सामाजिक तानेबाने को प्रभावित करता है, बल्कि राष्ट्र की एकता और आस्था पर भी गहरा आघात पहुंचाता है। ATS द्वारा की गई कार्रवाई से जहां इस नेटवर्क की कमर टूटी है, वहीं अभी और भी कई चेहरों के बेनकाब होने की संभावना जताई जा रही है।