आजमगढ़ में सावन के पहले सोमवार को हुए सड़क हादसे में भाजपा नेता संतोष चौहान ने गंभीर रूप से घायल युवक की जान बचाई। भीड़ तमाशबीन बनी रही, लेकिन संतोष चौहान, एक अन्य युवक और तंजीम अहमद ने मिलकर युवक को अस्पताल पहुंचाया।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
सावन के पहले सोमवार की शाम, जब पूरा आजमगढ़ भगवान शिव की भक्ति में लीन था, उसी वक्त शहर के काशी राम आवास (पुरानी जेल के पीछे) के निवासी मनोज शर्मा, पुत्र अनिरुद्ध शर्मा, एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए। शाम करीब 7 बजे, थाना कोतवाली गेट के पास एक अज्ञात चार पहिया वाहन ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। वाहन चालक मौके से फरार हो गया, और मनोज शर्मा अचेत अवस्था में खून से लथपथ सड़क पर पड़े रहे।
तमाशबीन भीड़ और उदासीन समाज
हादसे के बाद घटनास्थल पर लगभग 30 से 50 लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। लेकिन विडंबना यह रही कि इस भीड़ में किसी ने भी घायल को अस्पताल पहुंचाने की पहल नहीं की। कुछ लोग वीडियो बना रहे थे, तो कुछ केवल तमाशा देख रहे थे। कुछ ने एम्बुलेंस को फोन जरूर किया, लेकिन कोई आगे बढ़कर जिम्मेदारी नहीं निभा सका।
मानवता की मिसाल: संतोष चौहान
इसी बीच, संयोग से वहां से गुजर रहे भाजपा युवा नेता और नरौली मोहल्ला के सभासद संतोष चौहान की नजर घायल युवक पर पड़ी। उन्होंने बिना देर किए अपनी गाड़ी रोकी और मोबाइल की टॉर्च से मनोज की नब्ज जांची। उन्हें यह जानकर राहत मिली कि मनोज जीवित हैं।
सहयोग की शुरुआत
संतोष चौहान की पहल पर भीड़ में मौजूद एक अन्य युवक और तंजीम अहमद नामक व्यक्ति ने मदद का हाथ बढ़ाया। तीनों ने मिलकर मनोज को बैटरी रिक्शा पर लादा और पहले महिला अस्पताल फिर सदर अस्पताल लेकर पहुंचे। रास्ते में तंजीम अहमद लगातार आवाज लगाते रहे ताकि भीड़ रास्ता दे। अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सकों ने घायल का प्राथमिक उपचार किया और उनके सिर व चेहरे पर गंभीर चोटों की पुष्टि की।
परिवार का विलाप और नेता की सांत्वना
घटना की सूचना मिलते ही मनोज शर्मा की पत्नी, छोटा बेटा, बुजुर्ग माता शीला देवी और पिता अस्पताल पहुंच गए। रोते-बिलखते परिजनों को संतोष चौहान ने सांत्वना दी और पूरी घटना से अवगत कराया। परिजनों ने थाना कोतवाली में अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए आवेदन भी दिया है।
संतोष चौहान का कड़ा बयान
संतोष चौहान ने हादसे के बाद समाज के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा,
“सरकार ने स्पष्ट किया है कि घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति से कोई सवाल नहीं किया जाएगा। फिर भी लोग मदद करने से डरते हैं या उदासीन बने रहते हैं। यह एक ‘मुर्दा समाज’ बनता जा रहा है जो केवल वीडियो बनाना जानता है। आज मनोज थे, कल कोई और हो सकता है। हमें अब समाज के लिए खड़े होने की आदत डालनी होगी।”
यह घटना सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं है, बल्कि समाज की संवेदनहीन होती मानसिकता का आईना भी है। जहां एक ओर भीड़ केवल मूकदर्शक बनी रही, वहीं तीन लोगों – संतोष चौहान, तंजीम अहमद और एक अनाम युवक – ने जो किया, वह मानवता का सच्चा उदाहरण है।
जरूरत है कि ऐसे लोगों से प्रेरणा लेकर हम भी संकट की घड़ी में निडर होकर मदद का हाथ बढ़ाएं।