आजमगढ़ की सीजेएम कोर्ट ने लूट और प्रयास के दो मामलों में दोषी आरोपी को 5 वर्ष 8 माह की सजा सुनाई। आरोपी ने कोर्ट में अपना जुर्म स्वीकार किया। पुलिस ने लूटी गई चेन भी बरामद की थी।
जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़ की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए दो अलग-अलग मामलों में लिप्त लूट के आरोपी को 5 वर्ष 8 माह की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही आरोपी पर कुल ₹4,000 का आर्थिक दंड भी लगाया गया है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सत्यवीर सिंह की अदालत ने यह फैसला आरोपी मुहम्मद समीर उर्फ शेरा उर्फ शमशेर खान, निवासी बिलरियागंज के विरुद्ध दिया, जिसे पुलिस ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर दोषी करार दिया।
पहला मामला: डेढ़ लाख की नकदी छीनने की कोशिश
प्रथम मामला 7 नवंबर 2019 का है, जब वादी राजेश यादव, जो कि सिधारी थाना क्षेत्र के मुंडा बाजार में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहक सेवा केंद्र (CSP) का संचालक है, बैंक से ₹1,50,000 नकद निकालकर लौट रहे थे। दोपहर करीब 3 बजे जैसे ही वे रोडवेज के पास पहुंचे, दो अज्ञात बदमाशों ने कट्टे की नोक पर उनसे रुपए छीनने का प्रयास किया।
हालांकि, राजेश यादव ने साहस दिखाते हुए शोर मचाया, जिसके चलते स्थानीय लोग मौके पर इकट्ठा हो गए। हालात बिगड़ते देख दोनों बदमाश मौके से मोटरसाइकिल छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने तत्काल एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की।
दूसरा मामला: महिला से चेन स्नैचिंग
दूसरा मामला 16 नवंबर 2019 की शाम का है, जब धर्मेंद्र चौरसिया की माता इंद्रावती देवी, कोतवाली क्षेत्र के कोल पांडे मोहल्ले में सब्जी खरीदकर लौट रही थीं। शाम करीब 6 बजे, दो अज्ञात लुटेरों ने उन्हें निशाना बनाते हुए कट्टे की नोक पर उनके गले से सोने की चेन लूट ली और मौके से फरार हो गए।
पुलिस की जांच और गिरफ्तारी
इन दोनों मामलों की छानबीन करते हुए पुलिस ने मुहम्मद समीर उर्फ शेरा को गिरफ्तार किया। उसके पास से इंद्रावती देवी की लूटी गई सोने की चेन भी बरामद की गई। पूछताछ और साक्ष्य के आधार पर पुलिस ने कोर्ट में मजबूत चार्जशीट दाखिल की।
कोर्ट में आरोपी ने कबूला जुर्म
सुनवाई के दौरान आरोपी मुहम्मद समीर ने कोर्ट में अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। अदालत ने इसे ध्यान में रखते हुए उसे दोनों मामलों में दोषी पाया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपी को 5 वर्ष 8 माह की कैद और प्रत्येक मामले में ₹2,000 का आर्थिक दंड सुनाया।
इस प्रकरण में सहायक अभियोजन अधिकारी अमन प्रसाद ने अभियोजन पक्ष की ओर से प्रभावशाली ढंग से पैरवी की।
न्यायिक संदेश
यह निर्णय न केवल न्यायपालिका की तत्परता और संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि आमजन को यह विश्वास भी दिलाता है कि कानून का शासन सर्वोपरि है। ऐसे मामलों में दोषियों को सख्त सजा देकर समाज में कानून का भय बनाए रखना आवश्यक है।