पुनीत नौटियाल की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। मामला उस समय चर्चा में आया जब दिव्यांग कोटे से चयनित जिला आबकारी अधिकारी प्रियंका कदम का डांस करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो सामने आने के बाद लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए कि अगर प्रियंका कदम दिव्यांग थीं, तो फिर वह बिना किसी परेशानी के कैसे दौड़ सकती हैं और डांस कर सकती हैं?
कैसे सामने आया मामला?
प्रियंका कदम 2022 की MPPSC परीक्षा में चयनित हुई थीं और उन्हें दिव्यांग कोटे से जिला आबकारी अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया था। लेकिन हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह पूरे उत्साह के साथ डांस कर रही हैं। वीडियो सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने इस भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।
भर्ती प्रक्रिया पर सवाल, धांधली के आरोप
इस मामले को लेकर नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (NEYU) के नेता राधे जाट ने MPPSC भर्ती प्रक्रिया में धांधली के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक, प्रियंका कदम ने पहले ओबीसी (OBC) कोटे से फॉर्म भरा था, फिर बाद में EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटे से परीक्षा दी और अंत में दिव्यांग कोटे से चयनित हो गईं।
NEYU संगठन का कहना है कि यह भर्ती प्रक्रिया में बड़े स्तर पर हुई गड़बड़ी को दर्शाता है। उन्होंने सरकार से इस मामले की गहन जांच की मांग की है और कहा है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित अधिकारी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर बवाल, लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
प्रियंका कदम का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे साफ तौर पर भर्ती प्रक्रिया में धांधली मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि किसी व्यक्ति का डांस करना यह साबित नहीं करता कि वह दिव्यांग नहीं हो सकता।
कई यूजर्स ने इस मामले पर MPPSC और राज्य सरकार से सफाई की मांग की है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि अगर किसी ने गलत तरीके से सरकारी नौकरी हासिल की है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
सरकार और आयोग की क्या है प्रतिक्रिया?
अब तक MPPSC या राज्य सरकार की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस पर कोई स्पष्टीकरण दिया जाएगा।
अगर यह भर्ती घोटाला साबित होता है, तो यह न केवल MPPSC की साख पर सवाल खड़ा करेगा, बल्कि उन योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा जो सही मायने में सरकारी नौकरी पाने के हकदार थे।
जांच होगी या मामले को दबाया जाएगा?
अब देखना यह होगा कि सरकार और आयोग इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाते हैं या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा। लेकिन एक बात तय है कि यह मामला अब मध्य प्रदेश में नौकरी भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर चुका है।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की