ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति लालजी पर 200 से अधिक लोगों के जबरन धर्मांतरण का आरोप है। आर्थिक व सामाजिक प्रलोभनों के ज़रिए हिंदू समुदाय के कमजोर वर्ग को निशाना बनाकर ईसाई धर्म अपनवाने की साजिश रची गई थी। पुलिस जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
धर्मांतरण का षड्यंत्र: फरीदपुर में हुआ पर्दाफाश
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के फरीदपुर थाना क्षेत्र में एक सुनियोजित धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने सोमवार को लालजी नामक आरोपी को गिरफ्तार किया, जिस पर 200 से अधिक लोगों को ईसाई धर्म अपनवाने का आरोप है। आरोपी मूल रूप से मऊ जिले के मुंगेश्वरी गांव का निवासी है और वर्ष 2002 से फरीदपुर में रह रहा था।
योजनाबद्ध तरीके से किया गया धर्मांतरण
बरेली दक्षिणी क्षेत्र की अपर पुलिस अधीक्षक अंशिका वर्मा ने बताया कि आरोपी के पास से चार डायरी, बाइबिल और अन्य धार्मिक सामग्री बरामद की गई है। इन डायरियों में जिन लोगों के नाम दर्ज हैं, उनके आगे लिखा है – “उपदेश दे दिया गया”, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इन सभी का धर्मांतरण किया जा चुका है।
आर्थिक और सामाजिक लालच का जाल
पुलिस के अनुसार, लालजी आर्थिक रूप से कमजोर, अशिक्षित हिंदू महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को रुपये, नौकरी, मकान और विवाह का लालच देकर ईसाई धर्म में परिवर्तित कर रहा था। यह सब कुछ बेहद चुपचाप और योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा था, ताकि कोई शक न कर सके।
जांच में मिले अहम सुराग
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जब आरोपी के कमरे की तलाशी ली, तो वहां से कई अहम दस्तावेज, बाइबिल और चार विस्तृत डायरियाँ बरामद की गईं। इन दस्तावेजों से यह संकेत मिलता है कि आरोपी कई वर्षों से सक्रिय रूप से धर्मांतरण का कार्य कर रहा था।
इसके साथ ही, पुलिस अब लालजी के बैंक खातों और मोबाइल कॉल डिटेल की भी जांच कर रही है, ताकि उसके संपर्क सूत्र और फंडिंग स्रोतों का पता लगाया जा सके।
कैसे हुआ पर्दाफाश?
इस साजिश का भंडाफोड़ तब हुआ जब हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता सुनील कुमार को लालजी की गतिविधियों की जानकारी मिली। सुनील कुमार ने स्वयं आरोपी की सभा में जाकर सच्चाई की पुष्टि की और तत्पश्चात पुलिस को इसकी सूचना दी। शिकायत मिलने पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
धर्मांतरण की शुरुआत कैसे हुई?
पुलिस पूछताछ में लालजी ने बताया कि 2008 में उसे ब्रेन हेमरेज हुआ था, जिसके इलाज के दौरान वह दिल्ली के एक अस्पताल में ईसाई डॉक्टर और नर्स से प्रभावित हुआ। इसके बाद उसके विचारों में बदलाव आया और उसने लोगों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया।
पुलिस की आगे की कार्यवाही
फरीदपुर थाना प्रभारी निरीक्षक राधेश्याम के अनुसार, पुलिस को पूरी आशंका है कि डायरी में लिखे गए सभी नामों का धर्मांतरण हो चुका है। पुलिस अब इस मामले से जुड़े अन्य लोगों और किसी संगठित गिरोह की संलिप्तता की भी जांच कर रही है।
यह मामला एक बार फिर से धर्मांतरण के बढ़ते खतरे और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों की ओर ध्यान आकर्षित करता है। प्रशासन की तत्परता से एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि आखिर इतने वर्षों तक यह गतिविधियाँ बिना किसी रोक-टोक के कैसे चलती रहीं?